19 जनवरी 2011

आज कल के चक्कर में ही, मानव जाता व्यर्थ छला.......

आज नहीं मैं कल कर लूंगा, जीवन में कोई काम भला।
आज कल के चक्कर में ही, मानव जाता व्यर्थ छला॥

इक दो पल नहीं लक्ष-कोटि नहीं, अरब खरब पल बीत गये।
अति विशाल सागर के जैसे, कोटि कोटि घट रीत गये।
पर्वत जैसा बलशाली भी, इक दिन ओले जैसा गला।
आज कल के चक्कर में ही, मानव जाता व्यर्थ छला॥

आज करे सो कर ले रे बंधु, कल की पक्की आश नहीं।
जीवन बहता तीव्र पवन सा, पलभर का विश्वास नहीं।
मौत के दांव के आगे किसी की, चलती नहीं है कोई कला।
आज कल के चक्कर में ही, मानव जाता व्यर्थ छला॥
____________________________________________________

34 टिप्‍पणियां:

  1. अजी आज ही ओर अभी लेलो यह टिपण्णी, हमे छले जाने का डर नही रहे गा:) बहुत सुंदर रचना धन्यवाद

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  2. सुज्ञ जी! एक चिरकाल से चली आ रही बातआपने दोहरा दी है.. शायद आवश्यकता आन पड़ी है यह फिर से दोहराने की.. क्योंकि सब ठाट पड़ा रह जावेगा, जब लाद चलेगा बंजारा!

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  3. सलिल जी,
    मानव सबसे पह्ले इसी सत्य को विस्मृत कर देता है। इसे बार बार दोहराने पर ही उसे समय की कीमत का अंदाजा होता है।

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  4. एक (आशावादी) संप्रदाय कहता है-
    आज करै सो काल कर, काल करै सो परसों
    जल्‍दी-जल्‍दी क्‍यों करना अभी जीना है कई बरसों.

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  5. समय कहता है तुम मेरी कीमत समझो मै तुम्हे बेशकीमती बना दूँगा

    और अगर

    तुम मुझे बर्बाद करोगे तो मै ही तेरे नाश का कारण बनूँगा ।

    आज के समय मै ऐसी पोस्ट की आवश्यकता है , जो हमे सही राह दिखाये
    आपने एक नेक कार्य किया है

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  6. बहुत सुंदर रचना , सच कहा आपने कल किसने देखा है ।

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  7. एक मिनिट का महत्व उससे समझो जिसने मात्र इतनी सी देर से ट्रेन चूकवा दी हो । यह बिल्कुल आवश्यक है कि-
    काल करे सो आज कर, आज कर सो अब.

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  8. आप की रचना पढ़ कर मुझे अपना एक शेर याद आ गया:--

    सोच मत, ठान ले , कर गुज़र
    ज़िन्दगी है बड़ी मुख़्तसर (छोटी)

    नीरज

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  9. मै जो कहना चाह रही थी वो तो राहुल जी ने कह दिया मै तो उन्ही से सहमत हु | काल करे सो आज कर अब इस पर चलेंगे तो सारी पोस्टे आज ही लिख कर प्रकाशित करनी पड़ेगी, एक साथ इतनी पोस्ट कैसे लिखु, लिख लिया तो पढ़ेगा कौन :)))

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  10. अंशुमाला जी,
    राहुल जी तो पुरातत्त्वज्ञ है, उन्होनें तो एक पुरा-आशावादी सम्प्रदाय का दृष्टिकोण मात्र रखा था। जिसे अति-आशावादिता भी कह सकते है। आप तो उसी सम्प्रदाय की सदस्य निकली।:))

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  11. सुज्ञ जी

    क्या करू सभी मुझे कहते है की आप नकारात्मक ज्यादा सोचती और लिखती है साथ ही निराशावादी भी है | ये दो पंक्ति तो सुन चुकि थी पर पता नहीं था की ये आशावादी संप्रदाय से जुड़ा है पता चलते ही लगा की चलो इसी से ठीक से जुड़ जाती हूँ मै भी कुछ आशावादी बन जाऊ :))

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  12. .

    मेरे पिता ने कभी किसी की पक्तियाँ सुनायी थीं.
    आज-कल के सन्दर्भ में ... कुछ लोग 'आज' और 'अभी' कहकर छलते हैं तो कभी-कभी 'कल-कल' से कोई किसी को झूठे आश्वासन देकर छलता है.


    "...... पुलिनों ने सरिता से माँगा आलिंगन.
    पिय आज़ नहीं, कल-कल कहती सरिता तो बहती चली गयी."

    .

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  13. आज कल के चक्कर में ही, मानव जाता व्यर्थ छला॥
    ...bahut sateek.

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  14. अंशुमाला जी,
    तब तो मैं कहूंगा, 'नाकारात्मक आशावादीता':))

    जहाँ व्यक्ति को पता है मृत्यु शास्वत सत्य है, फ़िर भी सोचता है वह दूसरों को आएगी, मुझे नहीं,मेरे पास तो बहुत समय है।

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  15. बहुत सुन्दर संदेश देती रचना मन को छू गयी।

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  16. आज करे सो कर ले रे बंधु, कल की पक्की आश नहीं।
    जीवन बहता तीव्र पवन सा, पलभर का विश्वास नहीं ...

    मुद्दतों से ये बात इंसान सुन तो रहा है पर पालन नहीं कर रहा ... जो इस मन्त्र को जीवन में उतार लेता है उसका बेड़ा पार हो जाता है ....

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  17. मानव जाता ब्यर्थ छाला -------बहुत सुन्दर कबिता भावपूर्ण .

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  18. bahut hi sunder aur bhavourn kavita .............. achchha aahwan hai.

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  19. अनमोल वचन
    जितनी बार पढा और गुना जाये उतना कम है।
    शुभकामनायें

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  20. कल करे सो आज कर..........इस मुहावरे को बडे ही अच्छे अंदाज मी पेश किया है आपने.

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  21. सुबह होती है शाम होती है जिन्दगी यूं ही तमाम होती है ! क्या कीजियेगा !

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  22. बहुत बढ़िया ,मै भी बहुत negative सोच वाला हु ,इसलिए आशवादी कविता पसंद आया

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  23. किसी अज्ञात रचनाकार की कुछ लेने दे रहा हूँ ...आपको पढ़ कर याद आ गयीं !

    क्षण भंगुर जीवन की कलिका
    काल प्रात को जाने खिली न खिली
    कलि काल कुठार लिए फिरता
    तन नम्र से चोट झिली न झिली
    भजि ले हरि नाम अरी रसना
    फिर अंत समय में हिली न हिली

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  24. @सुज्ञ जी
    आपको इसका नया वर्जन बनाना चाहिए था

    "आज नहीं मैं कल कर लूंगा, जीवन में कोई काम बुरा ।
    आज कल के चक्कर में ही, जंग खा जायेगा बुराई का छुरा ॥"

    @अंशुमाला जी
    ये तो नेगेटिव होते हुए भी पोजिटिव है ना !
    :)

    हमेशा खुश रहने या फ्री रहने वाले को आशा वादी नहीं कहा जाता .....मनमौजी कहा जाता है ......... आशावादी कहा जाता है उन्हें जो दुःख की अँधेरी रात में भी सकारात्मक विचारों का दिया जलाये रखते है ...अगर आप जाच करें तो पाएंगे की अधिकतर असामाजिक तत्व मनमौजी मानसिकता के ही होते हैं :)

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  25. [सुधार]
    अगर आप जाँच करें तो पाएंगे/पाएंगी की अधिकतर असामाजिक तत्व मनमौजी मानसिकता के ही होते हैं :) जिनके विरोध में आप लेख लिखते/ लिखतीं हैं

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  26. और हाँ .......
    मेरे जैसे छोटे बच्चों को कलर का ज्ञान दे रहे स्नेही बड़ों को भी अपने समय का सदुपयोग करना ही चाहिए

    कैसे ?

    कुछ ऐसे ......हर कोम्प्लेक्स कलर बेसिक कलर के ही निर्धारित मात्रा में मिश्रण से बना होता है , अच्छा यही है की हर कोम्प्लेक्स कलर को बेसिक [फंडामेंटल] कलर के नजरिये से विभाजित करके ही विश्लेषण करे .. अन्यथा ये तो कुछ ऐसा लगेगा की आंखों पर पट्टी बाँध कर तलवार [शब्दों की] चलाई जा रही है अनजाने में कईं लोग [वर्ग] घायल हो सकते हैं ...... है ना !

    कोई जल्दी [उतावलापन ] नहीं है.... इस टिप्पणी को भी आराम से समझिएगा ......
    मुझे पूरी उम्मीद है "धीरे धीरे सब समझ जायेंगे"

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  27. @ सभी मित्रों से

    सिर्फ समय की कमीं की वजह से ब्लॉग जगत से गायब हूँ .. [और कोई कारण नहीं ]

    सभी को ढेर सारा स्नेह :)

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  28. aap likhen aur hum na padhen .... aisa kabhi ho
    sakta hai.....

    pranam.

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  29. सुज्ञ जी, आपके ब्‍लॉग पर आकर मन सकारात्‍मक ऊर्जा से भर सा जाता है। हार्दिक आभार।

    ---------
    ज्‍योतिष,अंकविद्या,हस्‍तरेख,टोना-टोटका।
    सांपों को दूध पिलाना पुण्‍य का काम है ?

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  30. जो है आज ही है ......कल का नाम काल है :)))

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