हाथोंहाथ तूं दुख खरीद के, सुख सारे ही खोता।
कर्ज़, फ़र्ज और मर्ज़ बहाने, जीवन बोझा ढोता।
ढोते ढोते ही निकल गई सारी जिन्दगी॥
जन्म लेते ही इस धरती पर, तुने रूदन मचाया।
आंख अभी तो खुल ना पाई, भूख भूख चिल्लाया॥
खाते खाते ही निकल गई सारी जिन्दगी॥
बचपन खोया खेल कूद में, योवन पा गुर्राया।
धर्म-कर्म का मर्म न जाने, विषय-भोग मन भाया।
भोगों भोगों में निकल गई सारी जिन्दगी॥
शाम पडे रोज रे बंदे, पाप-पंक नहीँ धोता।
चिंता जब असह्य बने तो, चद्दर तान के सोता।
सोते सोते ही निकल गई सारी जिन्दगी॥
धीरे धीरे आया बुढापा, डगमग डोले काया।
सब के सब रोगों ने देखो, डेरा खूब जमाया।
रोगों रोगों में निकल गई सारी जिन्दगी॥
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इससे निजी और पारिवारिक संबंधों पर भी बुरा असर पड़ता है।
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी....
जवाब देंहटाएंवाह सुज्ञ जी .. बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिखा है सुज्ञ भाई.
जवाब देंहटाएंदुःख ही जीवन की कथा रही -क्या कहूं जो अब तक नहीं कही -निराला !
जवाब देंहटाएंउत्तम कोटि का सन्देश
जवाब देंहटाएंहम तो ये विचार ही नही करते की हमारे पास निश्चित समय है .उस का सदुपयोग न किया तो पछतावे से सिवा हाथ कुछ न लगेगा और अपनी ही दुनिया में खोए रहते है और जब कोई जगता है तो ये वही शब्द है जो संभवतः उस के मुख से निकलते होंगे
..सुंदर आध्यात्मिक चिंतन।
जवाब देंहटाएं..बहुत अच्छा लिखा है आपने।
kehte bhi hai, duniya mein sabse pechida aur dilchasp kaam hai jindagi mein se jeevan nikaalana...
जवाब देंहटाएंlikhate rahiye ...
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जवाब देंहटाएंभारतीय नागरिक - Indian Citizen ने आपकी पोस्ट " सोते सोते ही निकल गई सारी जिन्दगी " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
बढ़िया...
जन्म लेते ही इस धरती पर, तुने रूदन मचाया।
जवाब देंहटाएंआंख अभी तो खुल ना पाई, भूख भूख चिल्लाया॥
खाते खाते ही निकल गई सारी जिन्दगी॥
बहुत सुंदर रचना ....
बहुत काम का और बढ़िया लिखा है
जवाब देंहटाएंवास्तव में जिंदगी इसी तरह निकल जाती है और हम सोचते हुए भी कुछ नहीं कर पाते...जिंदगी के यथार्थ का सुन्दर चित्रण...
जवाब देंहटाएंबह ज़िंदगी इसी में निकाल दी कटी है ..जागरूक स करने वाली रचना ..
जवाब देंहटाएंआम आदमी ऐसे ही जीता है-तमाम लालसाएं लिए,असंतुष्ट,दुनिया भर से शिकायत करता हुआ। जीवन-सूत्र।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएंहंसराज जी! जीवन का सार समझा दिया इस कविता में!!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर , कविता में जीवन का सार .
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