शिक्षा से मानव शिक्षित कहलाता है और वह सर्वत्र आदर पाता है। किन्तु शिक्षित की अपेक्षा चरित्रवान अधिक आदर पाता है। शिक्षित के खिलाफ़ अंगुली निर्देश सम्भव है पर चरित्रवान के खिलाफ़ यह सम्भव नहीं। चरित्रवान मेंकथनी और करनी की एकरूपता हो जाती है।
"शिक्षित के खिलाफ़ अंगुली निर्देश सम्भव है पर चरित्रवान के खिलाफ़ यह सम्भव नहीं।" @ असहमत. जैसी बुद्धि स्वयं की होती है उसी के अनुसार दूसरे के विषय में वैसे अनुमान भी लगा ही लिये जाते हैं. — वनवास उपरान्त 'सीता' पर लांक्षण लगा. और आज भी 'अपहृत सीता' पर कलंक आरोपित वाली कथाओं में लोग कल्पना के घोड़े दौडाते मिल जायेंगे.
"चरित्रवान में कथनी और करनी की एकरूपता हो जाती है।" @ सहमत.
शिक्षा और ज्ञान में फर्क है. शिक्षित व्यक्ति चरित्रहीन हो सकता है, पर ज्ञानी कभी ऐसा कृत्य नहीं करेगा जो चरित्रहीन की श्रेणी में आये. केवल शिक्षा प्राप्त करने से व्यक्ति ज्ञानी नहीं होजाता .
जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
उत्तम विचार,अच्छी प्रस्तुति इस देश में अब उन लोगों का ही वर्चस्व बढ़ता जा रहा है जिनके लिए नैतिकता, निष्ठा, आस्था और अस्मिता के बजाय वाचालता, उच्छृंखलता, दुष्टता और पैशाचिकता का अधिक महत्व है। हार्दिक शुभकामनाएं!
Satya vachan
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं"शिक्षित के खिलाफ़ अंगुली निर्देश सम्भव है पर चरित्रवान के खिलाफ़ यह सम्भव नहीं।"
@ असहमत. जैसी बुद्धि स्वयं की होती है उसी के अनुसार दूसरे के विषय में वैसे अनुमान भी लगा ही लिये जाते हैं.
— वनवास उपरान्त 'सीता' पर लांक्षण लगा. और आज भी 'अपहृत सीता' पर कलंक आरोपित वाली कथाओं में लोग कल्पना के घोड़े दौडाते मिल जायेंगे.
"चरित्रवान में कथनी और करनी की एकरूपता हो जाती है।"
@ सहमत.
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मनसा, वाचा, कर्मणा एकरूपता चरित्र को विश्वसनीयता प्रदान करती है.
जवाब देंहटाएंविचारणीय ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है आपने ...।
जवाब देंहटाएंsochne layak post...:)
जवाब देंहटाएंशिक्षा और ज्ञान में फर्क है. शिक्षित व्यक्ति चरित्रहीन हो सकता है, पर ज्ञानी कभी ऐसा कृत्य नहीं करेगा जो चरित्रहीन की श्रेणी में आये. केवल शिक्षा प्राप्त करने से व्यक्ति ज्ञानी नहीं होजाता .
जवाब देंहटाएंbouthe ha aache shabad likhe hai aapne is post mein... read kar ke aacha lagaa..thz
जवाब देंहटाएंPleace visit My Blog Dear Friends...
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इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.
जवाब देंहटाएं@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"
जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?
जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.
आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.
आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?
वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.
हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.
सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी
बहुत प्यारी बात कही है आपने..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही बात ....
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबालिका दिवस
हाउस वाइफ़
बहुत सही कहा जी, आप से समहत हे, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआजकल तो सम्मान पाते हैं.......????
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार,अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार,अच्छी प्रस्तुति इस देश में अब उन लोगों का ही वर्चस्व बढ़ता जा रहा है जिनके लिए नैतिकता, निष्ठा, आस्था और अस्मिता के बजाय वाचालता, उच्छृंखलता, दुष्टता और पैशाचिकता का अधिक महत्व है।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं!