28 मार्च 2012

“क्रोध पर नियंत्रण” प्रोग्राम को चलाईए अपने सिस्टम पर तेज - कुछ ट्रिक और टिप्स

पिछले अध्याय में पाठकों नें कहा कि क्रोध बुरी बला है किन्तु इस पर नियंत्रण नही चलता। ‘क्रोध पर नियंत्रण’ एक जटिल और हैवी सॉफ्ट्वेयर है जिसे आपके सिस्टम पर सक्षम होना अनिवार्य है। अगर यह आपके सिस्टम पर स्थापित है तो निश्चित रूप से यह आपकी प्रोफाइल को उत्कृष्ट और अद्यतन बना देता है। किन्तु इस भारी और प्रयोग-कठिन प्रोग्राम को हेंडल करने में वाकई बहुत ही समस्या आती है।

पाठकों की इस समस्या के निवारण हेतु कुछ ‘ट्रिक और टिप्स’ यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे है  आसान सी प्रक्रिया है, अपनी प्रोफाइल में सावधानी व सजगता के साथ मामूली से परिवर्तन कीजिए फिर देखिए ‘क्रोध पर नियंत्रण’ नामक यह प्रोग्राम कैसे तेज काम करता है।

यह मात्र 7 के.बी. का टूल है, आपको अपने HTML (मानवीय सोच व मानसिकता लेखा) में कुछ परिवर्तन करने है। उसे करने के लिए निम्न स्टेप्स को फोलो करें……

1- सर्वप्रथम अपनी प्रोफाइल को स्कैन करें और स्व-निरपेक्ष होकर गुण-दोषों का अध्ययन समीक्षा कर लें। जो आपको आगे चल कर परिवर्तन विकल्प के चुनाव में सहायक सिद्ध होगा। समीक्षा के बाद वर्तमान प्रोफाइल को सुरक्षित सेव करलें ताकि परिवर्तनों में कुछ गड़बड़ या त्रृटि आने की दशा में पुनः अपनी पुरानी प्रोफ़ाइल पर लौटा जा सके।

2- अब अपने प्रोफाइल के HTML कोड-लेख में <शीर्ष>  कोड को ढ़ूंढ़े और उसके ठीक नीचे इस कोड़ को पेस्ट करलें…

<   href="समता”> <प्रतिक्रिया=”0”> <तत्क्षण उबाल गति= “0”> <आवेश अवरोध अवधि= 10 सैकण्ड> <त्वरित विवेक सजगता= सक्रिय> <परिणामो पर चिन्तन=100%> <दृष्टिकोण=समस्त>

3- ध्यान रहे इस कोड को कहीं भी /> बंद नहीं करना है।

4- यह बताना रह गया कि - आपके सिस्टम पर “मिथ्या धारणा ध्वंशक” एंटीवायरस प्रोग्राम सक्षम होना चाहिए। यदि अभी तक यह इन्सटॉल नहीं है तो कर लीजिए, बेहतरीन फायदेमंद यह छोटा सा उपकरण बिलकुल मुफ्त है। इस “मिथ्या धारणा ध्वंशक” एंटीवायरस प्रोग्राम की सहायता से प्रोफाइल HTML में <स्वाभिमान> कोड ढ़ूंढ़े आपको सर्च रिजल्ट में <अहंकार> दिखाई देगा, चौंक गए न? वस्तुतः यह ‘मिथ्या धारणा’ नामक वायरस का कमाल है यह वायरस गुणों के छ्द्म नाम के पिछे दूषणों को स्थापित कर अपना काम करता है। अब यहाँ <अहंकार> हो या <स्वाभिमान> जो भी हो, इसे तत्काल <ॠजुता> कोड से बदल दीजिए, साथ ही इसके ठीक आगे देखिए- उस <स्वाभिमान> को < href=" श्रेष्ठता, दर्प, घमंड”> से लिंक किया गया होगा,और <target="_ ईष्या द्वेष और हिंसा”> होगा। यह वायरस इसी तरह के कुपाथ निर्देशित छद्म लिंक बना देता है। इस कुपाथ की जगह आप  <ॠजुता> कोड को < href=" सहजता सरलता और न्याय”> से  लिंक कर दीजिए वस्तुतः यही इसका प्रमाणिक सुपाथ है। यह परिवर्तन शुरू शुरू में ‘निस्तेज’ से लगने वाले परिणाम दे सकता है पर घबराएं नहीं, <सरलता=__> कोड के तीन स्तर होते है यथा 1<सरलता=समझदारी>2 <सरलता=अबोध>3<सरलता=मूर्खता> यदि वहाँ अबोध या मूर्खता है तो इसे 'समझदारी' पर सैट कर लीजिए। प्रारंभिक आउटपुट अस्पष्ट और विभ्रमदर्शी हो सकते है, तात्कालिक प्रभावो से निश्चल रहते हुए, लगातार दृढ़ संकल्प से प्रयोग करने पर यह सब भी सुगम और 'लोकप्रिय' हो जाते है।

5- अब ठीक उसी तरह <सफल_क्रोध> कोड को ढ़ूंढ़े आपको वहाँ भी फाईंड रिजल्ट में छद्म कोड का असल रूप <अहंकारी_जीत> लिखा मिलेगा इसे भी < href="त्वरित-आवेश, प्रतिशोध-प्रेरित-आक्रोश”> और target="_ क्षणिक दर्पसंतोष और शेष पश्चाताप”> से क्रमशः लिंक व टार्गेट किया मिलेगा। तत्काल <अहंकारी_जीत> को <सफल_क्षमा> कोड से बदल दीजिए और < href="समता,क्षमत्व,धीर-गम्भीर> से लिंक करते हुए  टार्गेट - target="_  शान्ति,सुख व आमोद-प्रमोद भरा जीवन, ”> कर दीजिए।

6- अगला कदम प्रोफाइल छायाचित्र में परिवर्तन करना है। वर्तमान इमेज-< “रक्तिम_नयन.gif को <“सुधारस_झरना.gif इमेज से बदल डालिए। ध्यान रहे हमेशा (.gif) इमेज का ही प्रयोग करें यह किसी भी तरह के बैकग्राउण्ड पर स्थापित हो सकती है

7- अब सारे परिवर्तनों को सेव कर दीजिए, आपका सिस्टम ‘क्रोध पर नियंत्रण” प्रोग्राम के 'मित्रवत उपयोग' के लिए तैयार है।

निश्चित ही इस विरल प्रयोग से आपकी प्रोफाइल उन्नत व उत्कृष्ट हो जाएगी। सभी नियमों का सावधानी से प्रयोग करने के बाद भी यदि आप के साथ कोई त्रृटि होती है, और आपको लगे कि उलट यह तो दुविधाग्रस्त हो गया, पहले जो कार्य रक्तिम नयन से सहज ही समपन्न हो जाते थे, अब कोई घास भी नहीं डालता और सुधारस तो लोग झपट झपट उठा ले जाते है और आभार तक व्यक्त नहीं करते!! जैसे ‘धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का!!’ किन्तु इस स्तरीय विचार को निकाल फैकिए। घबराकर जल्दबाज़ी में पुरानी प्रोफाइल पर लौटने की कोई आवश्यकता नहीं है। दृढता से परिवर्तन स्थापित होने की प्रतीक्षा कीजिए। टिके रहिए और अभ्यास जारी रखिए। ‘क्रोध पर नियंत्रण’ प्रोग्राम पर जब एक बार हाथ जमा कि फिर आप भी इसके बिना नहीं चला पाएंगे। इसके उपरांत भी यदि समस्याएँ आती है तो हमें लिख भेजिए, आपके समाधान का पूर्ण प्रयास किया जाएगा।
तकनीकी शब्दावली का प्रयोग लेख को रोचक बनाने के उद्देश्य से किया गया है। लेख में वर्णित प्रोफ़ाइल का आपके फ़ेसबुक, ब्लॉगर, प्लस आदि के प्रोफ़ाइल से कोई लेना-देना नहीं है कृपया वहाँ का कोड न बदलें :)

पिछला सूत्र
 क्रोध

33 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!!!
    मान गए सर...
    ईश्वर की दया से मेरे सिस्टम को ज़रूरत नहीं है इस प्रोग्राम की, मगर आस पास कई हैं जिन्हें सख्त ज़रूरत है.....
    क्यूंकि निशाना तो हम ही बनते हैं.
    :-)

    बहुत आभार.

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  2. रोचक प्रस्तुति ....क्रोध से भगवन बचाए रखें ....

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  3. विधिवत और निष्कर्ष प्रसन्नता।

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  4. मेने कल ही अपना सिस्टम फार्मेट किया और अब उसपर आप के बताए अनुसार नयी फाइल लोड हो रही है --कल मुझे मेरी सहायता हेतु भाई अनुराग जी (पिट्स बर्ग से ) ने फोन लगाकर मेरी मदद की है इस घुस्से को मार देने में ही भलाई है |

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  5. बहुत बढ़िया .....यहाँ मन मस्तिष्क का कोड बदलना होगा ....

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  6. बहुत बढ़िया पोस्ट! उपयोगी विषयवस्तु और अन्दाज़ एकदम अलग! आपकी इस कलाकारी से तो हम अब तक अपरिचित ही थे!

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  7. सत्यम...शिवम... सुन्दरम.. अति सुन्दरम!
    आचरण का तकनीकी विन्यास मज़ेदार रहा। अनुकरणीय( डाउनलोडेबल सॉफ़्टवेयर) :))

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  8. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...

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  9. ट्राई करते हैं जी, अभ्यास करने का प्रयास करेंगे।

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  10. अद्भुत अंदाज है... वाह!
    सादर।

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  11. पूरी प्रक्रिया बहुत बोझिल लगती है। क्रोध और बढ़ रहा है।

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    उत्तर
    1. जी, किन्तु समता और धैर्य प्रथम कमाण्ड है।

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  12. बस समझने में कुछ सेकेण्ड लगे. बाद में दोबारा पढ़ने में आनंद आया.

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  13. क्रोध नियंत्रण का कोड देने के लिए आभार | :)

    परन्तु नियंत्रण से भी कितनी ज्यादा सुन्दर स्थिति हो - यदि हम क्रोध में आयें ही नहीं ? "नियंत्रण" का अर्थ है - कण्ट्रोल/दमन | परन्तु क्रोध आया और उसका दमन कर दया - तो यह कोई बहुत स्थायी हल नहीं होगा |

    जड़ में जाना होगा - क्रोध आता क्यों है ? जो जड़ है - वहीँ मन्यु के साथ (परन्तु अक्रोध के साथ) काट हो - तो बेहतर |

    क्रोध आने की दो स्थितियां (जडें ) होती हैं अक्सर -

    १) एक - जो हमें शत्रुवत लगते हैं / जो शत्रु हैं {दोनों में फर्क है :) }- उनकी (हमारे विरुद्ध ) की गयीं गतिविधियाँ | तो - हल निकलने क प्रयास हो - क्रोध करने से भी लाभ नहीं - क्रोध पी जाने से भी लाभ नहीं | मन्यु हो - सकारात्मक प्रयास हो परिस्थिति को सुधरने के - किन्तु क्रोध ? न | उससे कुछ होने वाला नहीं - यदि वह सच ही आपका शत्रु है - तो उसे ख़ुशी ही होगी आपको क्रोध में पगलाते / बिलबिलाते / परेशान होते देख कर | तो शत्रु की ख़ुशी के लिए अपना नुक्सान करने वाले को तो स्वयं का उस शत्रु से भी बड़ा शत्रु मानना चाहिए | :)

    २) दूसरा - जो पहले वाले से कहीं ज्यादा होता है - हम उन पर क्रोधित होते हैं - जो हमारे अपने हैं - जिनसे हम प्रेम करते हैं | कोई न कोई misunderstanding , कोई न कोई expectation जो पूरी न हुई, कोई न कोई बात जो हम एक तरह से चाहते थे और हो रही है दूसरे तरीके से | यह क्रोध न सिर्फ हमें, बल्कि हमारे प्रिय जनों को , हमारे रिश्तो को भी चोट पहुंचाता है | इसे "नियंत्रित" करने के बजाय - कितना बेहतर हो यदि इन differences को बिलकुल normal समझा जाए - एक दूजे को accept किया जाय - "as is " rather than "as i wish it was "!!! तो क्रोध आये ही नहीं ?

    वैसे ही परेशानियां कम हैं क्या जीवन में की हम ऊपर से यह सेल्फ क्रियेटेड परेशानी ओढें अपने ऊपर ??

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    उत्तर
    1. जी, प्रस्तुत कोड में क्रोध के आगमन कारणों पर ही नियंत्रण प्रस्तुत है।

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    2. :) जी :)

      वैसे, इस ब्लॉग पर आती हूँ - तो लगता है - आप वही सुज्ञ भैया हैं जिन्हें मैंने "छोटे भैया सुज्ञ जी" कहा था कभी | निरामिष पर तो आप बड़े भैया सुज्ञ जी ही लगते हैं :) |

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    3. :) कमाल का अवलोकन!! अब तो मुझे भी लगता है।

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  14. सर जी......बढ़िया लगा क्रोध नियंत्रण का आपका तरीका।

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  15. आपको श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  16. बहुत बढ़िया प्रस्तुति.
    सादर।

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  17. दिलचस्प प्रस्तुति । थोड़ा समय लगा पर अन्त में आनंद रहा:)

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    उत्तर
    1. आपका आगमन भी आनन्ददायक रहा, मेरे लिए

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  18. बढ़िया पोस्ट .सुज्ञ भाई आवशयक परिवर्तन कर दिया गया है .शुक्रिया आपकी तवज्जो का . आपके टिपण्णी नेक सलाह हमारी धरोहर है .

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  19. ...गज़ब का अवलोकन है ! अगर नीचे डिस्क्लेमर-टाइप का नहीं लिखते आप तो न जाने कित्ते प्रोफाइल बदलते-बदलते 'क्रोधी-मूड' में आ जाते !

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  20. बहुत बढ़िया प्रस्तुति..

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  21. और कोई आसान तरीका नहीं है क्या इस वैज्ञानिक प्रक्रिया के अलावा ?

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    उत्तर
    1. मानकषाय (ईगो) का त्याग सबसे आसान उपचार है।

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    2. मानकषाय एक नये शब्द का पता चला है !
      आभार ......

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  22. HANSRAJJI HUM APKE SATH HAI AAP KOSIS JARI RAKHIYE

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