11 जनवरी 2012

धर्म विकार


धर्म के नाम पर……

या धार्मिक विधानो के तौर पर

कितने ही………


  • अच्छे अच्छे जीवन तरीके अपनालो,

  • सुन्दर वेश, परिवेश, गणवेश धारण कर लो,

  • पुरानी रिति, निति, परम्पराएं और प्रतीक अपना लो,

  • आधा दिन भूखे रहो, और आधा दिन डट कर पेट भरो,

  • या कुछ दिन भूखे रहो और अन्य सभी दिन खाद्य व्यर्थ करो,

  • हिंसा करके दान करो, या बुरी कमाई से पुण्य करो,

  • यात्रा करो, पहाड़ चढ़ो, नदी, पोख़रों,सोतों में नहाओ,
  • भोगवाद को धर्मानुष्ठान बनालो


यदि आपका यह सारा उपक्रम मानवता के हित में अंश भर भी योगदान नहीं करता,


समस्त प्रकृति के जीवन हित में कुछ भी सहयोग नहीं करता,


तो व्यर्थ है, निर्थक है। वह निश्चित ही धर्म नहीं है। मोहांध विकार है, पाखण्ड है।

6 जनवरी 2012

निरामिष पर शाकाहार पहेली

निरामिष के सभी पाठकों व हितैषियों को नववर्ष 2012 की शुभकामनायें! पता ही नहीं चला कि आपसे बात करते-करते कब एक वर्ष बीत गया। शाकाहार, करुणा, और जीवदया मे आपकी रुचि के कारण ही इस अल्पकाल में निरामिष ब्लॉग ने इतनी प्रगति की। एक वर्ष के अंतराल में ही हमारे नियमित पाठकों की संख्या हमारे अनुमान से कहीं अधिक हो गयी है और लगातार बढती जा रही है। इस ब्लॉग पर हम शाकाहार के सभी पक्षों को वैज्ञानिक, स्वास्थ सम्बन्धी, धार्मिक, मानवीय विश्लेषण करके तथ्यों के प्रकाश में सामने रखते हैं ताकि ज्ञानी पाठक अपने विवेक का प्रयोग करके शाकाहार का निष्पाप मार्ग चुनकर संतुष्ट हों।

हमारे पाठक ब्लॉगर श्री सतीश सक्सेना जी, डॉ रूपचन्द शास्त्री जी, राकेश कुमार जी, रेखा जी, वाणी गीत जी, मदन शर्मा जी, तरूण भारतीय जी, सवाईसिंह जी, पटाली द विलेज, संदीप पंवार जी, कुमार राधारमण जी का प्रोत्साहन के लिए आभार व्यक्त करते है।

हमारे सुदृढ़ स्तम्भ, विशेषकर सर्वश्री विरेन्द्र सिंह चौहान, गौरव अग्रवाल, डॉ मोनिका शर्मा, शिल्पा मेहता, आलोक मोहन, प्रश्नवादी  जैसे समर्थकों का विशेषरूप से आभार व्यक्त करना चाहते हैं जिन्होंने लेखकमण्डल से बाहर रहते हुए भी हमें भरपूर समर्थन दिया है। हमारे एक जोशीले पाठक ने निरामिष ब्लॉग के सामने शाकाहार के विरोध में कई भ्रांतियाँ और चुनौतियाँ रखीं। डॉ. अनवर जमाल द्वारा पोषण, शाकाहार, और भारतीय संस्कृति और परम्पराओं के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रश्नों ने हमें प्रचलित बहुत सी भ्रांतियों को दूर करने का अवसर प्रदान किया। मांसाहार की बुराइयों को उद्घाटित करने और उनके मन में पल रहे भ्रम के बारे में जानने के कारण हमें शाकाहार सम्बन्धी विषयों की वैज्ञानिक और तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत करने में अपनी प्राथमिकतायें चुनने में आसानी हुई। आशा है कि वे हमें भविष्य में भी झूठे प्रचार की कलई खोलने के अवसर इसी प्रकार प्रदान करते रहेंगे।

पहेली की ओर आगे बढने से पहले हम अभिनन्दन करना चाहते हैं उन सभी महानुभावों का जिन्होने गतवर्ष शाकाहार अपनाकर हमारे प्रयास को बल दिया:
* दीप पांडेय
* इम्तियाज़ हुसैन
* कुमार राधारमण
* शिल्पा मेहता


अपनी पहली वर्षगांठ के अवसर पर आज हम आपका आभार व्यक्त करना चाहते हैं, एक छोटे से आयोजन के साथ। आइये, हल करते हैं आज की निरामिष पहेली अपने निराले शाकाहारी, सात्विक अन्दाज़ में। केवल कुछ सरल प्रश्न और बहुत से पुरस्कार। हमारा प्रयास है कि इस प्रतियोगिता में सम्मिलित प्रश्नों के उत्तर या उनके संकेत आपको निरामिष ब्लॉग की पिछली प्रविष्टियों व टिप्पणियों में मिल जायें।

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