5 अगस्त 2013

आज चारों ओर झूठ कपट भ्रष्टता का माहौल है ऐसे में नैतिक व आदर्श जीवन-मूल्य अप्रासंगिक है।

यदि आज के दौर में उनकी प्रासंगिता त्वरित लाभकारी दृष्टिगोचर नहीं होती, तो फिर क्या आज उनकी कोई सार्थकता नहीं रह गयी है. क्या हमें इन मूल्यों का समूल रूप से परित्याग करके समय की आवश्यकता के अनुरूप सुविधाभोगी जीवन मूल्य अपना लेने चाहिए? आज सेवा, त्याग, उपकार, निष्ठा, नैतिकता का स्थान स्वार्थ, परिग्रह, कपट, ईर्ष्या, लोभ-लिप्सा आदि ने ले लिया और यही सफलता के उपाय बन कर रह गए है।  विचारधारा के स्वार्थमय परिवर्तन से मानवीय मूल्यों के प्रति विश्वास और आस्था में कमी आई है।

आज चारों ओर झूठ, कपट, भ्रष्टता का माहौल है, नैतिक बने रहना मूर्खता का पर्याय माना जाता है और अक्सर परिहास का कारण बनता है। आश्चर्य तो यह है नैतिक जीवन मूल्यों  की चाहत सभी को है किन्तु इन्हें जीवन में उतार नहीं पाते!! आज मूल्यों को अनुपयोगी मानते हुए भी सभी को अपने आस पास मित्र सम्बंधी तो सर्वांग नैतिक और मूल्य निष्ठ चाहिए। चाहे स्वयं से मूल्य निष्ठा निभे या न निभे!! हम कैसे भी हों किन्तु हमारे आस पास की दुनिया तो हमें शान्त और सुखद ही चाहिए। यह कैसा विरोधाभास है? कर्तव्य तो मित्र निभाए और अधिकार हम भोगें। बलिदान पडौसी दे और लाभ हमे प्राप्त हो। सभी अनजाने ही इस स्वार्थ से ग्रस्त हो जाते है। सभी अपने आस पास सुखद वातावरण चाहते है, किन्तु सुखद वातावरण का परिणाम  नहीं आता। हमें चिंतन करना पडेगा कि सुख शान्ति और प्रमोद भरा वातावरण हमें तभी प्राप्त हो सकता है जब नैतिकताओं की महानता पर हमारी स्वयं की दृढ़ आस्था हो, अविचलित धारणा हो, हमारे पुरूषार्थ का भी योगदान हो। कोई भी नैतिक आचरणों का निरादर न करे, उनकी ज्वलंत आवश्यकता प्रतिपादित करे तभी नैतिक जीवन मूल्यों की प्रासंगिकता स्थायी रह सकती है।

आज की सर्वाधिक ज्वलंत समस्या नैतिक मूल्य संकट ही हैं। वैज्ञानिक प्रगति, प्रौद्योगिक विकास, अर्थ प्रधानता के कारण, उस पर अनेक प्रश्न-चिह्न खडे हो गए। हर व्यक्ति कुंठा, अवसाद और हताशा में जीने के लिए विवश हो रहा है। इसके लिए हमें अपना चिंतन बदलना होगा, पुराने किंतु उन शाश्वत जीवन मूल्यों को जीवन में फिर से स्थापित करना होगा। आज चारों और अंधेरा घिर चुका है तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसमें हम बस कुछ और तिमिर का योगदान करें! जीवन मूल्यों पर चलकर ही किसी भी व्यक्ति, परिवार, समाज एवं देश के चरित्र का निर्माण होता है। नैतिक मूल्य, मानव जीवन को स्थायित्व प्रदान करते हैं। आदर्श मूल्यों द्वारा ही सामाजिक सुव्यवस्था का निर्माण होता है। हमारे परम्परागत स्रोतों से निसृत, जीवन मूल्य चिरन्तन और शाश्वत हैं। इसके अवमूल्यन पर सजग रहना आवश्यक है।  नैतिक जीवन मूल्यों की उपयोगिता, काल, स्थान वातावरण से अपरिवर्तित और शाश्वत आवश्यकता है। इसकी उपादेयता निर्विवाद है। नैतिन मूल्य सर्वकालिक उत्तम और प्रासंगिक है।

24 टिप्‍पणियां:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. आप ने सही लिखा है कि अगर हम सभी सामूहिक रूप से नैतिक आचरणों का आदर करे और उन्हें अपनायें तो सुअहर्द अक माहौल कायम हो सकता है.
    नैतिक शिक्षा का प्रसार आज के समय में अति आवश्यक है.

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    1. नैतिक शिक्षा को त्वरित फलद्रुप व पाकर भी प्रसार जारी रहना चाहिए क्योंकि यह मानवता के अस्तित्व रक्षा की दवा है।

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  3. इस हेतु संत कबीर दास के इस मूल मंत्र को अपने जीवन में स्थान देना चाहिए : -- " मैं सुधरा तो जग सुधरा "

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    1. बात तो सही है नीतू जी, किन्तु लोग बडे वक्र है, सोचते है एक मैं ही न सुधरा तो क्या फर्क पड जाएगा, बस मेरे लिए जग सुधर जाए…… :)

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  4. नैतिक मूल्य कभी अप्रसांगिक नहीं हो सकते , बल्कि निराशाओं के इस दौर में ही इनकी अधिक आवशयकता है। जो ना चेते, प्रकृति अपने हिसाब से हिसाब लेगी ही !!

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    1. सही बात है। आज और भी अधिक आवश्यकता है। वाणी जी!!

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  5. सब अपनी अपनी शान्ति की खोज में निकल जायें, अध्यात्म फैल जायेगा।

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    1. सही कहा प्रवीण जी,

      सभी सूझबूझ निष्ठा से शान्ति की खोज करे, तो सभी सहज उपलब्ध हो जाएगी।

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  6. हमें एक एक कर के इन मूल्यों को जीवन में लाने का प्रयत्न करना होगा ।
    जैसे सत्य का पालन । इसमें सत्यंब्रूयात प्रियं ब्रूयात,न ब्रूयात सत्यं अप्रियं को अपनाने से काफी आसानी हो जाती है ।

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  7. तुषार जी, आपका बहुत ही आभार!!

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  8. 'इतना तो चलता है' या 'थोडा बहुत तो चलता है' वाले एटीट्यूड ने सब बँटाढार कर दिया।

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  9. आदर्श मूल्यों को जीवन में उतारने का प्रयास होगा तो कुछ कम ही सही पर कुछ मूल्य जरूर आएंगे जीवन में ...

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    1. असफलता से विचलित न होते हुए प्रयास जारी रहे जीवन में अवश्य प्रकाश करेंगे!!

      टिप्पणी के लिए आभार, नासवा जी!!

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  10. आपकी चिंता जायज है पर आजकल लोग पूछते हैं कि नैतिकता क्या होती है? आदमी कितनी रिश्वत बेईमानी से माल कमाता है उसको गोल्ड मैडल की तरह बखान करता है.

    शायद कुछ समय बाद यह शब्द ही डिक्शनरी से बाहर हो जायेगा.

    रामराम.

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    1. चिंता यही है ताऊ जी,

      लोग पूछते क्या, अब तो रिश्वत में लाख की मांग के सामने 50 हजार का कोई ओफर करे तो, रिश्वतखोर बेईमान भी आंखे दिखाकर कहता है "इतना ही? कोई ईमान धर्म है या नहीं?" :)

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  11. सार्थक चिंतन से भरी प्रस्तुति ...

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  12. Samasya ka samadhan hai , Happy Healthy Insane ban sakta hai , Cash change to check help only Income Base than without corruption Happy Healthy Hindustan . Sabhee Jila Adalata me Lye Defective Machine ke Madhayam se byaan le sachchayee jald ayega jald Judgement hoga . Pani se Garee chalegee Bachat hoga , Hindutan sabse Dhani Desh ban jayega . Rajaram sahu 9768243077 any qu.call me .

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  13. Our Mission Without Corruption happy healthy Insane .
    You spot us for Healthy Hindustan . Rajaram Sahu ,
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