13 दिसंबर 2010

ब्लॉग मैं लिखता हूँ बस सुमार्ग के लिए


निरीह जीवहिंसा में जिनको शर्म नहीं है।
बदनीयत के  बहाने, सच्चा कर्म नहीं है।
भूख स्वाद की कुतर्की में मर्म नहीं है।
‘जो मिले वह खाओ’ सच्चा धर्म नहीं है।
मनों से अनुकम्पा कहीं नष्ट हो न जाए।
सभ्यता विकास आदिम भ्रष्ट हो न जाए।
इसलिये मैं लिखता दुर्भाव त्याग के लिए।
ब्लॉग मैं लिखता हूँ बस सुमार्ग के लिए।
_______________________________

18 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग लेखन पर आप के विचारो की ये कडिया अच्छी लग रही है | वैसे खुद को हम कैसे परखे की हम विचार दे रहे है या कुविचार |

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  2. अंशुमाला जी,

    भारी करी!!!

    एक ही तरीका है, यदि हम कोई विचार स्वार्थवश रखते है तो विचारों में अहित दृ्ष्टिगोचर हो जाता है। यदि उसमें सर्वसुखाय नजर आये तो समझना चाहिए यह सुविचार ही है।

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  3. मनों से अनुकम्पा कहीं नष्ट हो न जाए।
    सभ्यता विकास आदिम भ्रष्ट हो न जाए।
    इसलिये मैं लिखता सम्वेदना मार्ग के लिए।
    ब्लॉग मैं लिखता हूँ कुविचार त्याग के लिए
    .......बहुत अच्छे विचार है आपके ...ऐसे ही सभी ब्लोग्गेर्स के सोच बने यही शुभकामना है ...

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  4. इससे अच्छी जगहं कहीं और मिलेगी भी नहीं कुविचार त्यागने के लिए :)

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  5. अरविन्द जी,

    एकदम सत्यवदन टिप्पणी, सक्षात अरविन्द मिश्र ब्राण्ड :)

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  6. निरपराध जीवहिंसा में जिनको शर्म नहिं है।
    बदनीयत के है बहाने, सच्चा कर्म नहिं है।
    भूख स्वाद की कुतर्की में मर्म नहिं है।
    ‘जो मिले वह खाओ’ सच्चा धर्म नहिं है।

    बात बहुत अच्छी कही है आपने मगर जीव हत्या करने वालों कि समझ में आये तब न

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  7. आपके सुविचार से प्रेरणा मिलती है। इसे ग्रहण करना ही चाहिए।

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  8. बढ़िया वचन हंसराज जी ! आपका आभार !

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  9. अति सुंदर विचार जी धन्यवाद

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  10. इसलिये मैं लिखता सम्वेदना मार्ग के लिए।
    ब्लॉग मैं लिखता हूँ कुविचार त्याग के लिए।!

    सुविचार! बस आप यूँ ही पथ पर दीप जलाते चलिए.....ताकि हम जैसे राहगीरों को भी अंधमार्ग में भटकने की नौबत न आन पडे :)

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  11. सुज्ञ भाई, अच्‍छी सोच है। ऐसी सोच कम देखने को मिलती है।

    ---------
    दिल्‍ली के दिलवाले ब्‍लॉगर।

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  12. जिस घड़ी मन में यह बात आ जाए कि मैं कुविचारों से घिरा हूं,शुद्धिकरण की प्रक्रिया उसी वक्त शुरु हो गई समझिए। फिर उसका माध्यम ब्लॉग बने या कुछ और।

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  13. चेतना को संस्कारित विचारों से सुवासित करती आपकी पोस्ट अच्छी लगी !
    शुभकामनाओं के साथ ,
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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