- बकरकसाई: बकरे आदि जीवहिंसा करने वाला।
- तकरकसाई: खोटा माप-तोल करने वाला।
- लकरकसाई: वृक्ष वन आदि काटने वाला।
- कलमकसाई: लेखन से अन्य को पीडा पहूँचाने वाला।
- क्रोधकसाई: द्वेष, क्रोध से दूसरों को दुखित करने वाला।
- अहंकसाई: अहंकार से दूसरो को हेय,तुच्छ समझने वाला।
- मायाकसाई: ठगी व कपट से अन्याय करने वाला।
- लोभकसाई: स्वार्थवश लालच करने वाला।
29 अक्तूबर 2010
कैसे कैसे कसाई है जग में
प्रस्तुतकर्ता:
सुज्ञ
Labels:
आत्मचिंतन,
विविध-कसाई,
सुविचार
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कलमकसाई बहुत जमा। अभी तो और भी सम्भावनाएँ थीं जैसे देशकसाई, वेशकसाई...
जवाब देंहटाएंnam hans raj kam kasai ka .
जवाब देंहटाएंbhai bura mat manana .
उल्लेखित आठ प्रकार के कसाइयों में से पहले और तीसरे प्रकार का तो नहीं हूँ, दूसरे नंबर का अपनी तरफ से तो सावधानी है, पर व्यापार में कुछ असावधानी से इनकार नहीं करता हूँ, कलम से भी कभी असावधानी हुयी होगी तो आप सावधान कर दीजिएगा ...............................बाकी प्रकार के कसाईपने में किसी प्रकार की कमी नहीं है, कोशिश में लगा हूँ की इन नरक द्वारों से जल्द से जल्द दूर हो पाऊं
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya... itni tarah ke kasai...?
जवाब देंहटाएंकलमकसाई.............. काश कलम चलाने वाले समझें इस बात को ..
जवाब देंहटाएंसूक्ष्म अध्ययन! अभी और भी बाकी हैं (बकौल गिरिजेश जी)..
जवाब देंहटाएं@गिरिजेश जी,
जवाब देंहटाएंसही सुझाया, ये दोनो तो महाकसाई है।
@ nam hans raj kam kasai ka .
@पुरविया जी,
वाकई भाव पहचान गये,यह कलमकसाई पना तो हुआ ही।
@अमित जी,
आपकी स्वीकारोक्ति,शब्दशः मेरी भी है, उन चारों के आगमन पर संवर के प्रयास में हूं।
@भारतीय नागरिक जी,
@डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
आभार आपका।
वाह,वाह लेना उद्देश्य नहिं, प्रयास है इन कसाईयों के प्रति अरति पैदा करना।
@दीदी,
@काश कलम चलाने वाले समझें इस बात को ..
हां, बस दीदी सभी चलाने से पहले इस शब्द का स्मरण कर ले।
@चैतन्य जी,
आभार!!!
@@"अभी और भी बाकी हैं"
सभी से निवेदन विद्वान पाठक सुझाएँ………
सुज्ञ जी, ब्लॉग जगत में आजकल 'शब्दकसाई' भी तो हैं।
जवाब देंहटाएंकसाईयों की क्या दुनिया में कमी है....ये तो युग ही कसाईयों का है.
जवाब देंहटाएंअभी तो और भी कई कसाई आयेंगे .... कर्युग है समाज भरा पड़ा है ...
जवाब देंहटाएंकलमकसाई .... वाह वाह वाह
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