16 अक्तूबर 2010

नम्रता

भवन्ति नम्रास्तरवः फ़लोदगमैर्नवाम्बुभिर्भूमिविलम्बिनो घना:।
अनुद्धता  सत्पुरुषा: समृद्धिभिः  स्वभाव एवैष परोपकारिणम्॥

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- जैसे फ़ल लगने पर वृक्ष नम्र हो जाते है,जल से भरे मेघ भूमि की ओर झुक जाते है, उसी प्रकार सत्पुरुष  समृद्धि पाकर नम्र हो जाते है, परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा होता है।
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4 टिप्‍पणियां:

  1. हंस राज जी... एक बहुत पुराना शेर है, जो बिल्कुल आपकी बात को बल देता हैः
    आप से झुक के जो मिलता होगा,
    उसका क़द आपसे ऊँचा होगा.
    कोई भी झुकने से छोटा नहीं होता, यह उसके बड़प्पन की निशानी है!! आपको तथा आपके परिवार को दशहरे की शुभकामनाएँ!!!

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  2. सत्य वचन ,
    दशहरा की आप और आप के परिवार को मेरी ओर से हार्दिक शुभ कामनाये

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  3. विजय दशमी पर हार्दिक शुभकामनाये, समय पर एक अच्छा सुभाषित.

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