निर्मल गंगा बह रही, प्रेम की जहाँ विशेष॥
नहिं व्यसन-वृति कोई, खान-पान विवेक।
सोए-जागे समय पर, करे कमाई नेक॥
दाता जिस घर में सभी, निंदक नहिं नर-नार।
अतिथि का आदर करे, सात्विक सद्व्यवहार॥
नमन गुणीजनों को करे, दुखीजन के दुख दूर।
स्वावलम्बन समृद्धि धरे, हर्षित रहे भरपूर॥
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vaah...
जवाब देंहटाएंएक आदर्श कुटुम्ब!!
जवाब देंहटाएंसटीक परिभाषा !
जवाब देंहटाएंनमन गुणीजनों को करे, दुखीजन के दुख दूर।
जवाब देंहटाएंस्वावलम्बन समृद्धि धरे, हर्षित रहे भरपूर॥
सुन्दर अभिव्यक्ति...
आदर्श कुटुम्ब!
जवाब देंहटाएंस्नेह. शांति, सुख, सदा ही करते वहां निवास
जवाब देंहटाएंनिष्ठा जिस घर मां बने, पिता बने विश्वास। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
विचार-नाकमयाबी
दाता जिस घर में सभी--- निंदक नहीं नर-नार --
जवाब देंहटाएंबहुत समृद्ध शाली कबिता भारतीयता पर आधारित बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर है घर का यह परिवेश
जवाब देंहटाएंसच है कि ऐसा खानदान है विशेष ....अच्छी प्रस्तुति
@सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर परिभाषा है
सुन्दर .. बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंsundar our satik....
जवाब देंहटाएंBahut Khub............... Mubarak Ho
जवाब देंहटाएंऐसे सुंदर खानदान को नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्याख्या खानदान की
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