18 अक्तूबर 2010

संगत की रंगत

सद् भावना के रंग, बैठें जो पूर्वाग्रही संग।
संगत की रंगत तो, अनिच्छा ही लगनी हैं॥

जा बैठे उद्यान में तो, महक आये फ़ूलों की।
कामीनी की सेज़ बस, कामेच्छा ही जगनी है॥

काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥

कहे कवि 'सुज्ञ'राज, इतना तो कर विचार।
कायर के संग शूर की, महेच्छा भी भगनी है॥ 

____________________________________________

32 टिप्‍पणियां:

  1. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥
    बहुत सुन्दर ....

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  2. क्या बात है सुज्ञ जी बहुत बढ़िया रचना प्रस्तुति.......

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  3. समीर जी,
    वर्मा जी,
    महेन्द्र जी,

    आभार, सराहना के लिये जो संबल देती है।

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  4. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥

    बहुत सुन्दर !

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  5. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥
    Dil Khush ker diya aapne.

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  6. very nice post
    वाह ,क्या लिखते हो आप . आप ऐसे ही लिखते रहिये . अब तो आप की दूसरी कविता का भी इन्तजार रहेगा

    कहे कवि 'सुज्ञ'राज, इतना तो कर विचार।
    कायर के संग सुरा की, महेच्छा भी भगनी है॥

    कृपया आप इस का अर्थ स्पष्ट कर दे

    जवाब देंहटाएं
  7. .

    काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है...

    इसके जवाब में--

    चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।

    .

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  8. काजल की कोठारी में कितना भी सयाना घुसे ----------
    बहुत ही भाव भारी कबिता ,लेकिन मै दिब्या जी से सहमत हू
    बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  9. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥

    वाह! हंसराज जी, आप तो "कविराज" निकले :)
    सच में बेहद अच्छी लगी आपकी ये रचना....
    बेहतरीन्!

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  10. अच्छी संगत कई बार बुरे लोगों को सुधारने का काम भी करती है ...
    वैसे कविता अच्छी है ...!

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  11. हंसराज जी,
    अच्छी संगत के गुणगान अच्छे लगे!!

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  12. कायर के संग सुरा की, महेच्छा भी भगनी है॥
    @कृपया आप इस का अर्थ स्पष्ट कर दे

    अभिषेक जी,
    कायर का संग करने से वीर की इच्छा भी पलायनवादी हो जाती है।

    जवाब देंहटाएं
  13. @चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग।

    दिव्या जी,
    अलिप्त रहने की दृढ शक्तिवालों के लिये निश्चित ही सही दृष्टांत है।
    पर निश्छल मनोदशा वाला यदि, काली कोठरी से गुजरे तो दाग लेकर ही निकलेगा।

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  14. सद् भावना के रंग, बैठें जो पूर्वाग्रही संग।
    संगत की रंगत तो, अनिच्छा ही लगनी हैं॥

    बहुत बढ़िया रचना प्रस्तुति.......

    जवाब देंहटाएं
  15. अच्छी संगत कई बार बुरे लोगों को सुधारने का काम भी करती है ...

    वाणी जी,

    आपकी बात सही है, लेकिन पात्रता आवश्यक है। संगत गुणसम्पन्न(पात्रता) की हो, और बुराई में स्वयं के सुधार की गुंजाईश(पात्रता)

    सराहना के लिये आभार्।

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  16. ज़िशान साहब,
    मासूम साहब,
    हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया!!

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  17. पंडितवर्य जी,

    आपके प्रोत्साहन और सलाह सूचन का ही परिणाम है। :)

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  18. @अच्छी संगत के गुणगान अच्छे लगे!!

    चैतन्य जी,

    ताकि चैतन्य की संगत में हमारी चेतना भी लगी रहे। ;)

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  19. सुबेदार जी,
    रविंद्र जी,

    आभार, यदि भाव आप तक पहुंचाने में समर्थ हुआ।

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  20. अमित जी,

    आपने कविता के सार्थक अंश को इंगित किया। आभार

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  21. सुज्ञ भाई, बहुत सुंदर बातें आपने कविता के माध्यम से कह दी हैं। हार्दिक बधाई।

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  22. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥
    उच्चवचन !

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  23. ‘रजनीश’ जी,
    गोदियाल जी,

    आभार आपका!!

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  24. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥



    आपकी कवितायें बेहद यथार्थवादी होती हैं ,यह कविता भी बेहद बेहतरीन और लाजवाब है ,मेरे खैयाल से आपकी श्रेष्ठ रचनाओं में से एक ,इसके लिए मेरी ओर से ढेरों बधाइयां स्वीकार करें कविराज हंसराज जी अर्थात सुज्ञराज जी

    महक

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  25. महक जी, यथार्थ आप तक पहुंचा मेरा श्रम सफ़ल हुआ।

    मित्रों का प्रोत्साहन ही मेरा संबल है।

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  26. इसे गाकर पढ़ने में अलग ही मज़ा है ।

    जवाब देंहटाएं
  27. विवेक जी,

    बिल्कुल, यह काव्य सवैया कहलाता है।

    जवाब देंहटाएं
  28. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है॥

    क्या बात है ... बहुत बढ़िया रचना प्रस्तुति.......

    जवाब देंहटाएं
  29. काजल की कोठरी में, कैसा भी सयाना घुसे।
    काली सी एक रेख, निश्चित ही लगनी है ...

    आपने सही लिखा है .. सुंदर प्रस्तुति है ...

    जवाब देंहटाएं

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