आस्था दरिद्र : जो सत्य पर भी कभी आस्थावान नहीं होता।
त्याग दरिद्र : समर्थ होते हुए भी, जिससे कुछ नहीं छूटता।
दया दरिद्र : प्राणियों पर लेशमात्र भी अनुकम्पा नहीं करता।
संतोष दरिद्र : आवश्यकता पूर्ण होनें के बाद भी इच्छाएँ तृप्त नहीं होती।
वचन दरिद्र : जिव्हा पर कभी भी मधुर वचन नहीं होते।
मनुज दरिद्र : मानव बनकर भी जो पशुतुल्य तृष्णाओं से मुक्त नहीं हो पाता।
धन दरिद्र : जिसके पास अल्प धन भी नहीं होता।
और भी दरिद्र हो सकते है, आप बताईए………?
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विवेक दरिद्र : परमात्मा ने हर मनुष्य को सही गलत की पहचान के लिए विवेक नामक परम शक्ति दी है. पर हम सभी विवेक धन को ठोकर मारकर महान दरिद्र बन चुके है .
जवाब देंहटाएंआभार इस पोस्ट के लिए
जवाब देंहटाएंअमित जी,
जवाब देंहटाएंसही कहा……
विवेक दरिद्र : बुद्धि होते हुए भी विवेक का उपयोग न करे।
आभार।
मेरे विचार में दरिद्र वो भी हैं जो किसी के उपकार को भुलाकर आभार का एक शब्द भी व्यक्त नहीं करते.. आभार कि अभिव्यक्ति उस उपकार के प्रतिदान से भी ऊपर है..
जवाब देंहटाएंचैतन्य जी,
जवाब देंहटाएंसच में आप चैतन्य है…।
कृतज्ञता दरिद्र : कृतघ्न,उपकारी के प्रति आभार भी प्रकट नहिं कर पाता।
सुज्ञ जी आप बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं . इस विषय पे मैंने भी कुछ कहा है. धन दरिद्र: जिसे अच्छे मित्र मिलें और वोह शक के कारण उस मित्रता को कुबूल ना कर सके
जवाब देंहटाएं..
जवाब देंहटाएंआस्था दरिद्र : जो सत्य पर भी कभी आस्थावान नहिं होता।
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इसकी परिभाषा यों होनी चाहिए
जो सत्य जानकार भी न सत्य कहता है.
या किसी लोभ के विवश मूक रहता है.
उस कुटिल राजतंत्री कदय को धिक् है,
यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं बधिक है.
............रामधारी सिंह दिनकर ने ऐसे आस्था दरिद्रों को बधिक की श्रेणी में रखा है.
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जवाब देंहटाएंत्याग दरिद्र : समर्थ होते हुए भी, जिससे कुछ नहिं छूटता।
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पूछो कुबेर से, कब सुवर्ण वे देंगे?
यदि आज़ नहीं तो सुयश और कब लेंगे?
तूफ़ान उठेगा, प्रलय-बाण छूटेगा,
है जहाँ स्वर्ण, बम वहीँ स्यात, फूटेगा.
............. दिनकर जी कहते हैं जहाँ त्याग नहीं होता, वहीं कारण बनता है जन-आक्रोश का, क्रान्ति का, आन्दोलन का.
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जवाब देंहटाएंदया दरिद्र : प्राणियों पर लेशमात्र भी अनुकम्पा नहिं करता।
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दरिद्र का अर्थ यदि अभाव से है तो वह एकाधिक भावों में देखी जा सकती है.
और यदि मूल्यों की अवमानना से है तो वे केवल संख्या में उतने ही हैं जितने कि वैदिक संस्कृति के आधार 'मूल्य'.
अभाव तो हम बहुतेरों में सौन्दर्य का, समझ का, तौर-तरीकों (व्यवहार) का पाते हैं. लेकिन वह दारिद्र्य ...... मूल्य-दरिद्रता से कमतर आंकी जाती है.
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जवाब देंहटाएंफिलहाल मेरा ब्लॉग टिप्पणी-दरिद्रता का शिकार है.
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मासूम साहब,
जवाब देंहटाएं@जिसे अच्छे मित्र मिलें और वोह शक के कारण उस मित्रता को कुबूल ना कर सके।
##यदि उसे शक हो और मित्रता स्वीकार न कर पाये, तो सच्चा मित्र उसका शक दूर करने का प्रयास करता है, न कि बार बार उसे शक्की होने के उल्हाने दिया करता है। जब उल्हाने दिया करता है तो उसके शक दूर होने की जगह और भी मज़बूत होते चले जाते है।
प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंबेहद ज्ञानवर्धक…… "यह मूक सत्यहन्ता कम नहीं बधिक है. "
और, दरिद्र का अर्थ,मूल्यों का अभाव ही कहलो!! अथवा गुणहीन होना दरिद्रता है।
@फिलहाल मेरा ब्लॉग टिप्पणी-दरिद्रता का शिकार है.
जवाब देंहटाएंप्रतुलजी,
मेरे अकेले की कुबेरी भी न चलेगी।:)
और फिर हम भी अभावो में पल रहे है।
मुंह से सद्वचन कुछ ज्यादा निकल जाते है, और लोग बाबा ही समझते है। बाबा को आजकल कौन मानता है।
दरिद्र के ये भी प्रकार हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
बेहद उम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमित्र शक का इलाज हमीक लुकमान के पास भी नहीं, शक का इलाज वक़्त के पास हुआ करता है.
जवाब देंहटाएंवाणी जी,
जवाब देंहटाएंदरिद्रों के कुछ ज्यादा ही प्रकार है इसलिये बहुत बढिया? :))
जिन जिन बातों की स्मृद्धि होती है प्रतिलोम में दरिद्रता होती है।
आभार आपका।
वदना ज़ी, खुब खुब आभार।
जवाब देंहटाएं@शक का इलाज हमीक लुकमान के पास भी नहीं
जवाब देंहटाएंमासूम साहब,
यह मात्र कहावत है, वक्त कोई इलाज नहिं करता। प्रयास हमें ही करने पडते है बस हमारे प्रयास वक्त ले लेते है।
प्रयास कभी सफल नहीं होता यदि शक बे बुनियाद हो. मित्रता इंसान से की जाती है, विचार हर विषय पे एक जैसे हूँ यह आवश्यक नहीं,क्योंकि दो व्यक्ति कभी एक जैसे नहीं हो सकते. वोह व्यक्ति मित्र दरिद्र है, जो मित्रता को शक के कारण अस्वीकार कर दे. जीवन का लछ्य सभी इंसानों से प्रेम को बढ़ाते जाना हुआ करता है. ज़रा ज़रा सी बातों को ले के शक और दूरियां पैदा करना इंसानियत का तकाज़ा नहीं. ऐसा मेरा मानना है. आप का विषय अच्छा था इसलिए इतना सब कह गया वरना तो केवल परमात्मा ही बता सकता है कौन क्या है.?.
जवाब देंहटाएंप्रेम दरिद्र - जो बस अपने आप से प्रेम करता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सी नवीन परिभाषाएं हैं ..