आज मेरा चिंतन दिवस है। निश्चित ही बहुमूल्य मनुष्य जीवन पाना अतिदुर्लभ है। पता नहीं कितने ही शुभकर्मों के पश्चात यह मनुष्यायु प्राप्त होती है। कठिन शुभकर्मों से उपार्जित इस प्रतिफल को मुझे वेस्ट करना है या पुनः उत्थान विकास के लिये इनवेस्ट करना है।
क्या मेरा उद्देश्य निरंतर विकास नहीं होना चाहिए? यदि साधना विकास है तो साध्य क्या है? चरम परिणिति क्या है। क्या है जो मुझे पाना चाहिए? यदि लक्ष्य निर्धारित हो जाय तो मै उस और सामर्थ्यानुसार गति कर पाऊँ।
वस्तुतः मै परम् सुख चाहता हूँ, ऐसा सुख जो स्थाई रहे, जिसके बाद पुनः दुख न आए। अनंत सुख जहाँ सुख-दुख का भेद ही समाप्त हो जाए। क्षणिक सुखों की तरह नहीं कि आए और जाए। वो सुख भी नहीं, जिसे इन सांसारिक सुखों से तुलना कर परिभाषित किया जाय। इन भौतिक सुखो के समान प्रलोभन दिया जाय अथवा लॉलीपॉप की तरह दूर से दर्शाया जाय।
क्या मैं किसी ‘जजमेंट डे’ के भरोसे जिऊँ, जहाँ अच्छे या बुरे कर्म में भेद तय करने का अवसर ही नहीं मिलेगा? सीधी ही सजा मुक्कर्र हो जायेगी।और मेरे पास अपने कर्म में सुधार, परिमार्जन का समय ही नहीं होगा? नहीं अब तो मेरा हर पल आखरत होना चाहिए। मुझे हर क्षण शुभ कर्म और सार्थक गुण अपनाने चाहिए बिना किसी भय या संशय के। मेरा विवेक हर पल जाग्रत रहना चाहिए। चिंतन मनन मेरे गवाह रहने चाहिए। मेरे विचारों का क्षण क्षण, प्रतिलेखन, समीक्षा और शुद्धिकरण अनवरत जारी रहना चाहिए। क्षण मात्र का प्रमाद किए बिना।
जीवन के 50 वर्ष मैने बालक अवस्था में ही खो दिए। कब आयेगी मुझ में पुख्तता? पुरूषार्थ की इच्छाएँ तो बहुत है पर इस मार्ग पर इतनी बाधाएँ क्यों? मनोरथ तो मात्र तीन है…… निस्पृह, संयम और समाधी!!
आज मेरा जन्मदिन है। यही चिंतन चल रहा है। मुझे मनुष्य जन्म क्यों मिला? क्या है मेरा प्रयोजन?
मेरे आत्मोत्थान में मददगार उदगार देकर, मेरे प्रेरकबल बनें। मुझे प्रेरणा व प्रोत्साहन दें……।
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मित्र सुज्ञ जी यह मेरा सौभाग्य है की आज आप के जन्मदिन की मुबारकबाद ४/१२/२०१०, १२: १८ मिनट पे दे रहा हूँ.
जवाब देंहटाएंआप को जन्म दिन की बहुत बहुत मुबारकबाद . आप का ज्ञान और बढे और हम सब को उस ज्ञान से सीखने को मिले.
शुभकामनाओं के साथ.
स.म.मासूम
अमन का पैग़ाम
शुभकामनायें और बधाई...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.......हर किसी का कार्यस्थल पूर्व निर्धारित है उसे जो भी कार्य मिला है हर अवस्था में उसे पूर्ण मनोयोग से पूरा करना ही हमारी जिम्मेदारी है ....जो हो चुका अच्छा हुआ,जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो होगा अच्छा होगा ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें! जो बात हमारे हाथ में नहीं है उसके बारे में सोचना क्या - जो अपने बस में है वह सब करने का प्रयास होना चाहिये।
जवाब देंहटाएंcongrates!!!!!!!!!!!!!!this is the best way to live life......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें और बधाई...
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनायें ..... आपका सतत चिंतनशील और कर्मशील बने रहें ..... यही प्रार्थना है ईश्वर से....
जवाब देंहटाएंजीवन उल्लासमय प्रतिपल, बरसों-बरस बना रहे.
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बधाई। आज आपने अपने जीवन के दो बहुमूल्य आश्रम पूर्ण कर लिए है और तीसरे आश्रम - संयास आश्रम में आप प्रवेश ले रहे हैं। यह आश्रम समाज के लिए है। आपने जितना समाज से पाया है अब समय आ गया है कि उसे लौटाएं। यदि हमने स्वयं को पारिवारिक मोह से परे हटकर अब समाज कार्यों में अपने जीवन को लगा लिया है तो समझिए आपका जीवन सार्थक है।
जवाब देंहटाएंजन्म दिन की शुभकामनाएं और बधाई। आपके जन्मदिन से 365 दिन की एक नई यात्रा फिर से शुरू होती है । आपकी ये यात्रा मंगलमय और खुशियों से भरी हो । और आप एक बार फिर से बचपाना जिएं।
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई ! ईश्वर आपको सफल जीवन प्रदान करें .
जवाब देंहटाएंबाकि आपसे निवेदन है की आजीवन बालक ही बने रहिएगा, बालक बने रहने तक ही व्यक्ति निश्चल रहता है बड़ा होते ही तो बुराई दल-दल में ही समाना है .
सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएंआप को जन्मदिन की शुभकामनाये | जैसा की अजित जी ने कहा है की अब आप सन्यास आश्रम में प्रवेश करे जा रहे है तो जो पुरे बाल्य अवस्था में जो सिखा है उसे समाज कार्य में आजमाना शुरू कर दीजिये उसके बाद जो ख़ुशी मिलेगी वो क्षणिक नहीं होगी सच्ची होगी कभी ना जाने वाली |
जन्म दिन कि हार्दिक बधाइयों के साथ ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी चिन्तनशीलता यूँ ही चलती रहे...साधुवाद.
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.....बालक अवस्था वाला एक दिन और जी लें....जी भर कर एन्जॉय करें..चिंतन कल से शुरू करें :)
जवाब देंहटाएंआज तो आप सिर्फ जन्मदिन की शुभकामनाएँ ही स्वीकार कीजिये । चिन्तन-मनन तो चलता आरहा है और चलता ही रहेगा । Happy Birthday To You...
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकामनायें .ये चिन्तन हमेशा बना रहे।
जवाब देंहटाएंएस.एम.मासूम साहब,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये आभार।
ज्ञानार्जन को ही ध्येय बनाया है।
भारतीय नागरिक ज़ी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
अर्चना जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
पूर्ण मनोयोग से जिम्मेदारीयाँ पूरी कर पाउँ।
अनुराग जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
सही कहा, जो अपने बस में है वह सब करने का प्रयास होना चाहिये।
प्रार्थना गुप्ता जी ,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
मुझे सत्य मार्ग का अनुसरण हो।
अशोक मिश्र जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
आप सतत चिंतनशील और कर्मशील बने रहें ..... आपकी प्रार्थना फ़ले!
राहुल सिंह जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
अजित गुप्ता जी,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये आभार।
जितना समाज से पाया है अब उससे कहीं अधिक ही लौटा पाउँ तो सार्थक हो।
मनोज कुमार जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
आपकी शुभकामनाओं से यह जीवन यात्रा सरलता और ॠजुता से आगे बढे।
अमित शर्मा जी ,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
हां, निश्छल, निरामय, निर्मल, निर्दोष बालक सम जीवन बीते, पर ज्ञान पंडितों सा पाउं।
अंशुमाला जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
वही सच्ची और स्थाई खुशी चाहिए।
अरविन्द जांगिड जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
चिन्तनशीलता में प्रयत्नरत हूँ
रश्मी रविजा जी,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये आभार।
हां आज तो आनंद, बाल्यावस्था सम ही उठाया। आपने यह चिंतन भी अच्छा दिया।
सुशील बाकलीवास जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
वन्दना जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
चिन्तन को मनोबल प्रदान करने का पुनः आभार।
विलम्ब अवश्य हुआ है किंतु विस्मृत नहीं हुए आप! हंसराज जी, आपने अपने जन्मदिवस पर स्वयम को एक चिंतन दिया, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है. हम दोनों बंधुओं, चैतन्य और सलिल, यही प्रार्थना करते हैं कि आपके जीवन में सदा चैतन्यता बनी रहे और जीवन निरंतन सलैल प्रवाह की तरह प्रवहमान रहे. जो ज्ञान ज्योति आपने अपने विचारों के माध्यम से प्रकाशित की है वह सदियों तक जन जन का मार्गदर्शन करती रहे!
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की शुभकाम्नाएँ!
नहिं चैतन्य,सलिल बंधुओं, कोई विलम्ब नहिं। इतनी खूबसूरत टिप्पणी नें मुझे आपार प्रेरणा बल प्रदान किया है।
जवाब देंहटाएं"जीवन में सदा चैतन्यता बनी रहे और जीवन निरंतन सलैल प्रवाहमान रहे"
अन्तर में उतर गये बंधु आप, अब बांध रखुंगा दिल में… हंस सम शुभ्र स्वच्छ अन्तरमन है आप दोनो का। अनंत आभार!!!!!
बहुते हो गया ज्ञान-बिग्यान........
जवाब देंहटाएंअभी टाइम होने वाला है - आठ के ठाठ........
बस. इसी के साथ - जन्मदिन की बहुत बहुत शुभाकामनायं
सुज्ञ जी ,
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की ढेरों बधाई और शुभकामनायें ....
दीपक जी,
जवाब देंहटाएंआभार शुभेछा के लिये
संगीता दीदी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही आभार आपकी शुभकामनाएं, जीवन-संबल बनती है।
जन्म दिवस की अनेक शुभकामनायें और बधाई.
जवाब देंहटाएंआपको जन्म दिवस पर ढेरों शुभकामनाएँ और बधाईयाँ। भगवान की कृपा और आशीर्वाद सदा आप पर बना रहै। आपकी सभी मंगलकामनाएँ पूरी हो और आप ताउम्र सेहतमंद रहें। ऐसी मेरी कामना है।
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई ! ईश्वर आपको सफल जीवन प्रदान करें .
जवाब देंहटाएंबाकि आपसे निवेदन है की आजीवन बालक ही बने रहिएगा
http://www.youtube.com/watch?v=ujtCB4OC0hc
जवाब देंहटाएंहेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~हेप्पी बर्थडे टू यू ~~~~~
http://www.youtube.com/watch?v=wFh-rX_Sfhs
~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई ~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~जन्मदिवस की हार्दिक बधाई~~~~~~~~~~
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि कुछ ऐसा ही चिंतन मुझे भी करना चाहिए...
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई...
सबसे पहले तो जन्मदिन की बधाई
जवाब देंहटाएंईश्वर सबका भला चाहता है लेकिन बिना पापकर्म कराये मुक्त भी नही करता
आपको जन्मदिन की ढेरो शुभकामनाये .
जवाब देंहटाएंजिसने आपको मनुष्य रूप में भेजा है और जिस प्रायोजन से भेजा है वह अपने आप उस कार्य को आपसे करा लेगा . हम तो निमित है
आपकी पोस्ट ने सोचने को मजबूर कर दिया...
जवाब देंहटाएंबहरहाल, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं...
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जवाब देंहटाएं.
.
प्रिय सुज्ञ जी,
सबसे पहले तो जन्मदिन की बधाई व शुभकामनायें...
जिस विषय पर आप चिंतन कर रहे हैं... उस पर सोचा तो बहुत है और थोड़ा बहुत लिखा भी है अपने ब्लॉग पर... अब मैं तो वही बता पाउंगा जैसा खुद समझा है...
Purpose of Human Life : Elementary My Dear ! ... :)
...
जाही विधि राखे राम ,ताहि विधि रहिये :)
जवाब देंहटाएंजमन दिन की ढेरों शुभकामनाये.
समीर लाल जी,
जवाब देंहटाएंशुभेच्छाओं के लिये आभार।
विरेन्द्र सिंह चौहान जी
शुभेच्छाओं के लिये आभार। आपकी सभी मंगलकामनाएँ मेरा आधार है।
गौरव अग्रवाल जी,
शुभेच्छाओं के लिये आभार। स्वभाव से बालक बना रहूं, पर अज्ञानी न रहूँ यह आकांशा है। आपने मेरे जन्मदिन को पर्व में ही रूपांतरित कर दिया। धन्यवाद मित्र!!
महफूज़ अली साहब,
शुभेच्छाओं के लिये आभार।
अवश्य चिंतन करें मित्र,नेक इन्सान का चिंतन भी नेक राह ही प्रकट करता है।
दीपक सैनी जी,
शुभेच्छाओं के लिये आभार।
ईश्वर सबका भला चाहता है लेकिन बिना पापकर्म कराये मुक्त भी नही करता ।
नन, ईश्वर नहिं करवाता। वह तो कहता है पापकर्म से निवृत हुए बिना मुक्ति नहिं।
धीरू सिंह जी,
शुभेच्छाओं के लिये आभार।
हां, हम निमित भी है और कर्म करने के लिये स्वतंत्र भी, सही मार्ग का चुनाव तो हमें ही करना होगा।
फ़िरदौस ख़ान जी,
शुभेच्छाओं के लिये आभार।
मनुष्य चेतन प्राणी है, उसके पास चिंतनशीलता है तो क्यों न चिंतन करें।
प्रवीण शाह जी,
शुभेच्छाओं के लिये आभार।
आपकी यह पोस्ट में पहले पढ चुका था, आपके चिंतन में भी कुछेक खामियां है, कभी सरल मन और खुले दिमाग का वातावरण बना तो अवश्य चर्चा करेंगे।
शिखा जी,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये आभार!!
पुरूषार्थ कर्म न करने वालो का तो राम भी नहिं रखता।:)
@सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएंप्रवीण शाह जी की पोस्ट पर कमेन्ट भी पढने हैं :))
चलिए 117 साल पीछे ..... वहां पर कुछ सुनना है हमें, संभवतया यही वो पोस्ट हो जिसका आपको इन्तजार था
यहाँ देखें
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/12/blog-post_05.html
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें सुज्ञ जी, अदभुत चिन्तन है आपका.
जवाब देंहटाएं@सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएंतकनीकी परेशानी की वजह से पोस्ट का लिंक बदलना पड़ा है .... आप यहाँ पढ़ कर अपने विचार अवश्य दें
यहाँ
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/12/blog-post_2487.html
जनम दिन मुबारक .... आप यूँ ही सार्थका लेखन करते रहें ... मार्गदर्शन देते रहें ...
जवाब देंहटाएंसौभाग्य से यहाँ आ गयी ..तो बिलम्ब से ही मेरी शुभकामना भी स्वीकार करें ...आपको बहुत बहुत शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंसुख हो या दुःख , स्थायी नहीं होते । जैसे दिन के बाद रात आती है , वैसे ही सुख के बाद दुःख आना भी तयशुदा है । जीवन का लक्ष्य अपनी सामर्थ्य के अनुसार निर्धारित करते रहना पड़ता है। ज़रूरतमंदों को यथा-शक्ति मदद करना ही हमारा ध्येय होना चाहिए। सतत चिंतन में लगे रहना ही मानुष्य जीवन की सार्थकता है।
जवाब देंहटाएंजीवन का अंत मृत्यु होती है। और यही मृत्यु नव-जीवन की शुरुवात भी है। इसलिए जन्म-मृत्यु भी कभी न रुकने वाली काल-चक्र की परिणति है। सुन्दर लेख के लिए आभार।
................
आपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें ।
आप जियें हज़ारों साल,
साल के दिन हों पचास हज़ार ।
May this Birthday brings lot of happiness and sunshines in your life.
.
.
जवाब देंहटाएंआपकी आयु और अनुभव तो वृहत निकले. आप तो बालक बनकर मुझ अनुज का ही गुरुत्व गुब्बारा फुलाते रहे.
आपकी इस विनम्रता की वायु को मैं अपने गुरुत्व के आकाश में नहीं पहचान पाया.
आप आशीर्वाद दिया करें लेने वाला कार्य अब मेरे लिये छोड़ दें.
.
कुंवर कुसुमेश जी,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिये आभार
चिन्तन तो जरूरी है कुसुमेश जी।
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दिगम्बर नासवा जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
नासवा जी बस लिख लेता हूँ।
_
अमृता तन्मय जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
सौभाग्य तो हमारा आप पधारे।
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दिव्या जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति के लिये ही तो चिंतन है।
-
प्रतुल वशिष्ठ जी,
शुभकामनाओं के लिये आभार।
नहिं प्रतुल जी, वह मात्र गुरुत्व गुब्बारा नहिं, ज्ञानी का विनय करना ही होता है, और आपमें विद्वता के गुण है ही। फ़िर प्रौढ शिक्षा के तो पक्ष में है न आप। :).
जन्मदिन की बधाई व शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंदेर से ही सही ...स्वीकार कीजिये !
वाणी गीत जी,
जवाब देंहटाएंशुभकामना सहित अमृत'वाणी' जब भी मिले ग्रहणीय होती है।
बहुत बहुत आभार आपका!!
संसार समानता का अधिकारी है, सब समान नहीं हो सकते तो भी हम समानता के लिए सतत प्रयत्नशील रहते आये हैं, अमरता सम्भव नहीं है तो भी हमारी साँस-साँस अमरता के लिए सप्रयत्न या अप्रयत्न बेचैन रहती आई है. उसी प्रकार व्यक्ति, वस्तु या कार्य की सम्पूर्णता भी असम्भव है. पर हम सम्पूर्णता को लक्ष्य मानकर ही उस दिशा में यावदकिण्चिदपि दूरी तय कर पाते हैं और यही हमारी सिद्धि का रहस्य और मानक है. हम ईश्वर से यही कामना करेंगें कि इस जीवन में आपके द्वारा किए गए प्रयत्नों, सदप्रयासों का फल आपको यावदकिण्चिदपि सन्तोष देकर आपके किए गए प्रयासों की सार्थकता को सम्बल प्रदान करे.
जवाब देंहटाएंआप अपने जीवन की जिस यात्रा पर अग्रसारित हैं. इस सुखद अवसर पर एक मित्र के रूप में मेरी प्रभु से यही कामना है कि आप अपना कर्मप्रवण जीवन उस लम्बी अवधि तक ले जाने में सफल हों, जहाँ तक पहुँच कर भी सज्जीवन अशेष नहीं होता.
कोटि कोटि शुभकामनाऎँ!!!
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जवाब देंहटाएंमैंने अभी-अभी वत्स जी के विचार आशिर-वाक्य के रूप में पढ़े, पढ़कर अभिभूत हो गया.
अब मुझे भी चाहिए ऐसा ही आशीर्वाद नित्य.
मेरी भी इच्छा हो गई फिर से जन्म-दिवस मनाने की.
इस तरह का उपहार पाने की.
सर्वोत्तम विचार-उपहार मिला है आपको सुज्ञ जी.
.
प्रतुल जी की बात से सहमत हूँ
जवाब देंहटाएंमेरी भी इच्छा हो गई फिर से जन्म-दिवस मनाने की
पंडित वत्स जी,
जवाब देंहटाएंआपके अनुत्तर सद्भावयुक्त शुभकामना संदेश से मेरे पुरूषार्थ रसायन में अभिवृद्धि हुई है। आप जैसे उत्तम मित्रों का स्नेह जीवन में सत्य शुभकर्म को प्रेरित करता है। परमार्थ (परम अर्थ)पानें का लक्ष्य बलवान बनता है।
कोटि कोटि आभार!!
एक बात और है सुज्ञ जी .. पोस्ट में आपने उम्र के बारे में बता के मुझे कन्फ्यूज सा कर दिया है , अब आपसे कुछ कहने में भी डर सा लगेगा| मेरी इस समस्या का कुछ समाधान करें | मेरे लिए आपकी उम्र अंदाजा भी लगाना मुश्किल था क्योंकि आपका स्वभाव ही इतना विनम्र है और आज तक मुझ मासूम को तो मुझसे ५ से १० साल बड़े ही "हम अनुभवी हैं " कह कह के डराते रहते हैं जैसे मैं अभी पैदा हुआ हूँ | सच तो ये है की पहली बार मेरा अंदाजा गलत गया होगा किसी की उम्र के बारे में .. जिसका क्रेडिट जाता है आपकी विनम्रता को
जवाब देंहटाएंप्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंगौरव जी,
वत्स जी का आशिर-वचन मुझे भी अभिभूत कर गया, आपने भी उन वचनों को सर्वोत्तम पुरस्कार कहकर मुझे ही पुनः शुभकामनाएं अर्पित की है। आपका कोटि कोटि आभार!! स्वजन मित्रों
मतलब मेरा मन एनालाइज करने को हो रहा है .... कहीं पिछली चर्चाओं में मैंने कोई गड़बड़ बात ना कह दी हो ? .. मैं एडवांस में क्षमा मांग रहा हूँ ... मैं तो नन्हा मुन्ना राही हूँ ना !!
जवाब देंहटाएंगौरव जी,
जवाब देंहटाएंएक ज्ञान का क्षेत्र ही ऐसा है जहां उम्र को नहिं विद्वत्ता को आदर दिया जाता है। आप स्वयं मुझसे अधिक ज्ञानी और कर्मठ है, यह अतिश्योक्ति नहिं। मैं वस्तुस्थिति स्वीकार करता हूं। अपने स्वाभिमान से कह दें मुझ से निर्भय रहे, मैं ज्ञान का विनय करना जानता हूँ। फ़िर भी हूं तो साधारण मानव ही यदि कभी भूल से अतिक्रमण कर जाऊं तो इतना अवश्य मान लेना वह मेरा सदैव का स्वभाव नहिं है।
@सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह आपकी टिप्पणी से निकले वैचारिक प्रकाश ने मन के "कन्फ्यूजन" जनित अँधेरे को हटाया .. आभारी हूँ आपका .... मेरी नज़रों में तो ज्ञानी वही हैं
१. जिनके विचारों में आपसी टकराव ना हो
२. जो सारांश में सब कुछ कह दे [ये मेरे लिए संभव नहीं :)) ]
उदाहरण : आप, प्रतुल जी, अमित भाई जैसे मित्र
मैं आपकी "ज्ञानी और कर्मठ" वाली बात पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करता रहूँगा , शायद कभी सफल भी हो जाऊं ? :)
इसी तरह अपने स्नेह की छाँव बनाए रखियेगा
गौरव जी,
जवाब देंहटाएं@मेरी नज़रों में तो ज्ञानी वही हैं
१. जिनके विचारों में आपसी टकराव ना हो
जिसके विचारों में विरोधाभास हो वह ज्ञानी कैसा?
हां, सामने वाले को विरोधाभास लग भी सकता है, पर उसका समाधन-निवारण न पर पाए तो भी ज्ञानी कैसा?
२. जो सारांश में सब कुछ कह दे [ये मेरे लिए संभव नहीं :)) ]
सारांश प्रस्तूत कर देना तो आसान है, किन्तु विपक्ष को उससे सहमत कर देना महा-महा दुर्लभ। यह तो ज्ञानीयों के लिये भी असम्भव रहा है, मत-मतांतर ऐसी ही असहमतियों की तो उपज होता है।
गौरव जी,
जवाब देंहटाएंहां, सामने वाले को विरोधाभास लग भी सकता है, पर उसका समाधन-निवारण न पर पाए तो भी ज्ञानी कैसा?
को ऐसे पढें…
हां, सामने वाले को विरोधाभास नजर आ भी सकता है, पर उसका निवारण व समाधन न कर पाए तो भी वह ज्ञानी कैसा?
जन्म दिन की विलम्बित बधाई स्वीकार कीजिए।
जवाब देंहटाएंजिस तत्व की आप प्राप्ति करना चाहते हैं,वह सुख नहीं,आनन्द है। उसकी प्राप्ति केवल ध्यान से संभव है। इसी से स्थितप्रज्ञता की वह स्थिति पाना संभव है,जिसके बाद भौतिक साधनों का पास होना भी उतना ही बेमानी है जितना उसका अभाव।
कुमार राधारमण जी,
जवाब देंहटाएंआभार आपका शुभकाम्नाओं के लिये।
सत्य कहा यह खोज अनंत आनंद की ही है।
आप जैसे लोग कम हैं यहाँ ...आशा है आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा !
जवाब देंहटाएंनए साल पर आपके लिए मंगल कामनाएं !!
सुज्ञ जी ! अब तो अगला जन्म दिन आने वाला है. चलिए , पिछले वर्ष बुधवार, २९ दिसम्बर २०१० को अपने ब्लॉग में पोस्ट की गयी यह रचना आपको समर्पित कर रहा हूँ. मुझे इससे अच्छा और कोई उपहार आपके लिए सूझ नहीं रहा है.
जवाब देंहटाएंजीवन
दौड़ लगाते देखा सबको
लगे दौड़ने संग में हम भी.
चढ़ते देखा हमने सबको
लगे चढ़ाई करने हम भी.
तभी फिसलते देखा सबको
लगने लगी सहज पीड़ा तब
हमें फिसलने की ....अपने भी.
व्यस्त हो गये हैं हम सब ही
दौड़ लगाने .....चढ़ने...... ,
गिरने और गिराने के निष्ठुर समरों में.
बिना ये सोचे, बिना ये समझे
लक्ष्य दौड़ का क्या है हमारी
कौन दिशा है हमारे पथ की
क्या होगी परिणति इस गति की.
लक्ष्यहीन हो भाग रहे सब
कहाँ और किस लिए न जाने
किसके लिए...... किस लिए जी रहे
हम में से ये कोई न जाने
और अंत में इस जीवन के ......
मिला शून्य जब इस मुट्ठी से
प्रश्न एक तब उठा विराट ये
क्यों आए थे यह जीवन ले ?
उपलब्धि रही जीवन भर की क्या ?
हुआ निरंतर प्रश्न विराट ये
मौन हुए सारे प्रतियोगी
छिपा शून्य में उत्तर है ज़ो
नहीं सुनायी देता सबको
जन्म और भी लेने होंगे.
हर जन्म साधना करते -करते
जब सत्य शून्य का मिल पाएगा
तब ज्ञान अचम्भित यह कर देगा-
पाना है सब कुछ यदि हमको
है उपाय सब कुछ खोना ही
सोने को माटी मानो तो
सारी माटी है सोना ही
है लक्ष्य यही ...सुख चरम यही.
दिन बीतते कहाँ पता लगते हैं| दो साल कब औ गुज़र गए पता ही न चला| एक नए जन्मदिन की हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंअनुराग जी, जन्मदिन की बधाई पर आपका आभार!!
हटाएंjanm-din ki subh:kamnaye aapke sri-charnon me samarpit.......
जवाब देंहटाएंpranam.
सञ्जय झा बन्धु,
हटाएंबहुत बहुत आभार इन शुभकामनाओं के लिए।
श्री चरणों में? यह भी अच्छा है कदमो से शुभकामनाएं उठाने के लिए झुकना पडेगा, कमर की कडकाई कुछ कम होगी। :)
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई :)
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शिल्पा जी!! :)
जवाब देंहटाएंहे आदरणीय,
जवाब देंहटाएंआपकी शाब्दिक विनम्रता से ही आपके स्वभाव का अनुमान लगाता रहा। इसी आधार पर आपकी आयु न जाने मुझे क्यों बहुत समय तक वर्तमान आयु से ठीक आधी लगती रही। किसी भी विषय पर चर्चा करना, पुष्ट तर्क देते रहने के बावजूद अपना जिज्ञासु भाव भी न खोने देना - इन दोनों का एक साथ दिखना आपकी आयु को संशय में रखता रहा।
मैं जानता हूँ यदि कोई व्यक्ति तार्किक बुद्धि होता है तो उसमें स्वभावतः अहंकार झलकने लगता ही है। चाहे वह जितना उसे दबाने की चेष्टा करे कहीं न कहीं से प्रकट हो ही जाता है।
और यह भी सच है कि जिज्ञासु भाव का व्यक्ति किसी भी जिज्ञासा को दूसरे के द्वारा शांत होने के अवसर अधिक बनाता है न कि अपनी बुद्धि से विलक्षण तर्क करके अपना पांडित्य प्रकट करता है।
किन्तु आपमें इन दोनों गुणों का मणिकाञ्चन संयोग देखा।
जब आपने अपनी शतकीय खेल ली तभी इस ओर ध्यान गया था अन्यथा जब आपसे आपके विचारों के कारण जुड़ा था तब आपको कॉलेज का मेधावी छात्र मात्र ही मानता था।
सही भी है हम आयु में जितने भी बड़े हो जाएँ --- प्रेम और आत्मीयता एक बच्चे की तरह करें। कर्तव्य व सामाजिक दायित्व एक युवा की तरह निभाएँ। जन-जागृति और सत्य के प्रति हठ एक प्रौढ़ मष्तिष्क के साथ करें। क्षमा भाव और शालीनता एक बुजुर्ग व्यक्ति की तरह न खोने दें।
ब्लॉग जगत के माध्यम से आपको जाना और यह मेरे जीवन की एक अद्वितीय उपलब्धि है जिसे मैं कभी खोना नहीं चाहूँगा। आपका आज़ की तारीख में माँ के गर्भ से जन्म बेशक हुआ हो लेकिन आपका जन्म ब्लॉग-जगत में 29 अप्रैल को हुआ था। वही तारीख थी जो ब्लॉग जगत के स्मरणीय रहेगी।
प्रसन्नता और उत्सव मनाने के अवसर जितने अधिक गढ़े जाएँ उतने अच्छे। 4 दिसम्बर, 29 अप्रैल, या फिर निरामिष के अवतरण वाली तारीख सभी विशेष अवसर हैं। ये ब्लॉग जगत की धरोहर हैं। ऎसी धरोहर में जितनी वृद्धि हो उतनी कम।
हे आदरणीय सुज्ञ जी, मैं इस अवसर यही कामना करूँगा कि आपकी हितकर वाणी ब्लॉग-सन्देश रूप में लम्बे समय तक मिलती रही। आपसे जैसे चरित्रों का चरण-वंदन करना तीर्थ करने के समान है। और आपकी मित्रता पाना पूर्व जन्म के पुण्यों का संचित फल है।
सुधार :
हटाएं- अपनी शतकीय पारी खेल ली
- वही तारीख थी जो ब्लॉग जगत में स्मरणीय रहेगी।
- इस अवसर पर यही कामना
सरल हृदय प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंसबसे पहले शुभकामनाओँ के लिए आभार मित्र!!
आपकी टिप्पणी मेरे अहँकार और आत्मश्लाधा को प्रबल करने के लिए पर्याप्त खाद-पानी थी. आपने तो मोहनिन्द्रा वश करने का पर्याप्त प्रबन्ध किया था.'चरण-वंदन' 'तीर्थ' 'पुण्यों का संचित फल'???. साधारण मित्र रहने दो यार!! कोई दो राय नही संघर्षरत हैँ. बस अच्छे जीवन मूल्योँ को धार देने प्रयास भर है.
हाँ आपने सही कहा......"सही भी है हम आयु में जितने भी बड़े हो जाएँ --- प्रेम और आत्मीयता एक बच्चे की तरह करें। कर्तव्य व सामाजिक दायित्व एक युवा की तरह निभाएँ। जन-जागृति और सत्य के प्रति हठ एक प्रौढ़ मष्तिष्क के साथ करें। क्षमा भाव और शालीनता एक बुजुर्ग व्यक्ति की तरह न खोने दें।" इस व्यवहार पर टिके रहना अभिलाषा अवश्य है.
आप तो सरल हृदय है जो इतना स्वमान मर्दन कर खुल कर प्रश्ंसा किए है पर हितचिंतक होँ तो कृपया फिर कभी मेरे ईगो को सहलाकर चेताने की ऐसी भूल न करेँ. श्लाधा नही स्नेह बनाए रखेँ.
प्रशँसा के लिए नही, शुभकामनाओँ के लिए एक बार पुनः आभार!!
सुधार.....
हटाएंबस अच्छे जीवन मूल्योँ को धार देने का प्रयास भर है.