निरीह जीवहिंसा में जिनको शर्म नहीं है।
बदनीयत के बहाने, सच्चा कर्म नहीं है।
भूख स्वाद की कुतर्की में मर्म नहीं है।
‘जो मिले वह खाओ’ सच्चा धर्म नहीं है।
मनों से अनुकम्पा कहीं नष्ट हो न जाए।
सभ्यता विकास आदिम भ्रष्ट हो न जाए।
इसलिये मैं लिखता दुर्भाव त्याग के लिए।
ब्लॉग मैं लिखता हूँ बस सुमार्ग के लिए।
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ब्लॉग लेखन पर आप के विचारो की ये कडिया अच्छी लग रही है | वैसे खुद को हम कैसे परखे की हम विचार दे रहे है या कुविचार |
जवाब देंहटाएंअंशुमाला जी,
जवाब देंहटाएंभारी करी!!!
एक ही तरीका है, यदि हम कोई विचार स्वार्थवश रखते है तो विचारों में अहित दृ्ष्टिगोचर हो जाता है। यदि उसमें सर्वसुखाय नजर आये तो समझना चाहिए यह सुविचार ही है।
मनों से अनुकम्पा कहीं नष्ट हो न जाए।
जवाब देंहटाएंसभ्यता विकास आदिम भ्रष्ट हो न जाए।
इसलिये मैं लिखता सम्वेदना मार्ग के लिए।
ब्लॉग मैं लिखता हूँ कुविचार त्याग के लिए
.......बहुत अच्छे विचार है आपके ...ऐसे ही सभी ब्लोग्गेर्स के सोच बने यही शुभकामना है ...
सद्विचारों के लिये धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंसद्विचारों के लिये धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंइससे अच्छी जगहं कहीं और मिलेगी भी नहीं कुविचार त्यागने के लिए :)
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी,
जवाब देंहटाएंएकदम सत्यवदन टिप्पणी, सक्षात अरविन्द मिश्र ब्राण्ड :)
निरपराध जीवहिंसा में जिनको शर्म नहिं है।
जवाब देंहटाएंबदनीयत के है बहाने, सच्चा कर्म नहिं है।
भूख स्वाद की कुतर्की में मर्म नहिं है।
‘जो मिले वह खाओ’ सच्चा धर्म नहिं है।
बात बहुत अच्छी कही है आपने मगर जीव हत्या करने वालों कि समझ में आये तब न
आपके सुविचार से प्रेरणा मिलती है। इसे ग्रहण करना ही चाहिए।
जवाब देंहटाएंबढ़िया वचन हंसराज जी ! आपका आभार !
जवाब देंहटाएंअति सुंदर विचार जी धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसार्थक विचार.....
जवाब देंहटाएंइसलिये मैं लिखता सम्वेदना मार्ग के लिए।
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ कुविचार त्याग के लिए।!
सुविचार! बस आप यूँ ही पथ पर दीप जलाते चलिए.....ताकि हम जैसे राहगीरों को भी अंधमार्ग में भटकने की नौबत न आन पडे :)
सुज्ञ भाई, अच्छी सोच है। ऐसी सोच कम देखने को मिलती है।
जवाब देंहटाएं---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
जिस घड़ी मन में यह बात आ जाए कि मैं कुविचारों से घिरा हूं,शुद्धिकरण की प्रक्रिया उसी वक्त शुरु हो गई समझिए। फिर उसका माध्यम ब्लॉग बने या कुछ और।
जवाब देंहटाएंचेतना को संस्कारित विचारों से सुवासित करती आपकी पोस्ट अच्छी लगी !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के साथ ,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
sarthak lekhan.....
जवाब देंहटाएंaabhar
वाह...क्या बात कही है...
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