सभ्यता की मांग है शिक्षा संस्कार की।
विवेक से पाई यह विद्या पुरस्कार सी।
किन्तु अश्लील दृश्य देखे मेरे देश की पीढी।
गर्त भी इनको लगती विकास की सीढी।
कपडों से कहीं यह पीढी कंगली ना हो जाय।
नाच इनका भी कहीं जंगली ना हो जाय।
इसलिये मैं लिखता नूतनशक्ति के लिए।
ब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
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इसलिये मैं लिखता नूतन शक्ति के लिए।
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
...bahut badhiya.
लिखते रहिए।
जवाब देंहटाएंBahut Khub
जवाब देंहटाएंi too
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंपश्चिमीसभ्यता को फैलाने वाले काश इसे पढ़ते और समझते .
जवाब देंहटाएंरियलिटी शोज़ तो भारत की सभ्यता तो तार तार करने पर तुले हैं.
सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आपको साधुवाद
अरविन्द जी,
जवाब देंहटाएंअजित गुप्ता जी,
तार्केश्वर जी,
नन्हा माधव,
और वन्दना जी,
सराहना प्रोत्साहन के लिये आभार।
कुँवर कुसुमेश जी,
जवाब देंहटाएंप्रश्न हमारी जीवन अनुकूल संस्कृति के संरक्षण का है।
इस प्रोत्साहक टिप्पणी के लिये आभार आपका।
इसलिये मैं लिखता नूतन शक्ति के लिए।
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
स्य्ग्य जी आपने मेरे मन की बात कह दी। बहुत अच्छा लिख रहे हैं लिखते रहिये और सार्थक सन्देश देते रहिये।
यकीनन अभिव्यक्ति का सुन्दर साधन है ब्लाग लेखन
जवाब देंहटाएंसुज्ञ जी! बहुत ही सुंदर... यदि हर व्यक्ति इस अभिव्यक्ति को समझ ले तो देश सचमुच उतना ही सुंदर हो जाए जितनी आपकी कविता!!
जवाब देंहटाएंनिर्मला कपिला जी,
जवाब देंहटाएंएम वर्मा जी,
सलिल जी,
सार्थक संदेशपरक लिखने को प्रोत्साहन के लिये अनंत आभार!!
lokatantr jindabad sir !
जवाब देंहटाएंइस अभिव्यक्ति में एक शालीन संदेश है, जो हम सबको ग्रहण करना चाहिए।
जवाब देंहटाएंइसलिये मैं लिखता नूतनशक्ति के लिए।
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
बहुत ख़ूब... लिखते रहिए...
सभ्यता की मांग है शिक्षा संस्कार की।
जवाब देंहटाएंविवेक से पाई यह विद्या पुरस्कार सी।
सुज्ञ जी,
एक दम सही बात कही है
हम सब आपके साथ हैं ....... लिखते रहें
आज हम बताएँगे की किस तरह अध्यात्म के साथ रहते हुए भी वैज्ञानिक बने रह सकते हैं , आज का विषय है ...... पुनर्जन्म .........
जवाब देंहटाएंhttp://my2010ideas.blogspot.com/2010/12/scientific-evidence-reincarnation.html
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इसलिये मैं लिखता नूतन शक्ति के लिए।
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
बहुत खूब ..यही होना चाहिए.लिखते रहिये.
बहुत सुंदर बात कही आप ने, काश इसे वो भी पढे जो अपने आप को आधुनिक कहते हे, लेकिन....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
नन्हीं सी पर बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
और आप अपनी अभिव्यक्ति में सफल हैं भाई जी ! हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइसलिये मैं लिखता नूतनशक्ति के लिए।
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
इसीलिए हम आपको पढ़ते हैं..... लिखते रहें
वाह जी बहुत सही यही होना भी चाहिये
जवाब देंहटाएंबिलकुल ... हम भी इसी लिए लिखते हैं ...
जवाब देंहटाएंअरे ब्लॉग लिखने पर भी कविता.... बहुत अच्छी है...
जवाब देंहटाएंहमारी भी अभिव्यक्ति का ही माध्यम है ब्लॉग लिखना ...!
जवाब देंहटाएंसही है ,ब्लाग तो हमारे वैचारिक अभिव्यक्ति का मंच है
जवाब देंहटाएंआपकी अभिव्यक्ति व इसे प्रस्तुत करने का यह माध्यम भविष्य में कमाल ढ़ाने वाला है, हैप्पी ब्लॉगिंग
जवाब देंहटाएंएक लोकप्रिय-अतिलोकप्रिय-महालोकप्रिय या वरिष्ठ-कनिष्ट-गरिष्ठ ब्लॉगर
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति ............. प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति की ये प्यास कायम रहे । शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंब्लॉग मैं लिखता हूँ अभिव्यक्ति के लिए॥
जवाब देंहटाएंmai bhi isi lie likhati hu bas aise hi ham sab likhate rahe
बेहतरीन रचना हंसराज जी.....उत्तम भावाभिव्यक्ति!
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