ब्लॉगजगत में एक संत ब्लॉगर, ब्लॉग दर ब्लॉग घूम रहे थे। साथ एक शिष्यब्लॉगर भी था। संतब्लॉगर छांट-छांट कर ब्लॉग्स पर आशिर्वाद - टिप्पणियाँ कर रहे थे। अच्छे विचारों वाले ब्लॉग्स पर आशिर्वाद देते “आपका ब्लॉग न जमें” और दुर्विचारों वाले ब्लॉग्स पर आशिर्वाद देते “आपका ब्लॉग, पोस्ट-दर-पोस्ट से हरा भरा रहे”
शिष्यब्लॉगर को बडा आश्चर्य हो रहा था, उसने पूछा महात्मन् यह क्या? आप बुरे विचार फ़ैलाने वालों को तो पोस्टों से भरने-फूलने का आशिर्वाद दे रहे है, और अच्छे ब्लॉग्स को उजडने का?
संतब्लॉगर ने शिष्य को समझाते हुए कहा- अच्छे विचारवान ब्लॉगर कहीं भी जाय, हमेशा अच्छे विचारों का प्रसार ही करेंगे, जब उनके ब्लॉग नहीं जमेंगे तो वे निश्चित ही दूसरे ब्लॉग पर अच्छे विचारों की टिप्पणियाँ करेंगे, जिससे अच्छे विचारों का प्रसार होगा।
शिष्यब्लॉगर- तो फ़िर दुर्विचारों वाले ब्लॉग्स को अधिक पोस्ट का आशिर्वाद क्यों?
संतब्लॉगर- वे दुर्विचार वाले ब्लॉगर, मात्र अपने ब्लॉग पर लिखने में ही व्यस्त रहेंगे। इसतरह उन्हें दूसरे ब्लॉग्स पर कुविचार टिप्पणियाँ करने का समय ही नहीं मिलेगा। जिससे दुर्विचार का फैलाव न होगा, और दुर्विचार उनके अपने ब्लॉग तक सीमित हो जाएँगे। जिन पाठको का सद्विचार से दूर दूर तक कोई नाता न होगा, वे पाठक ही उन ब्लॉग्स पर जाएगें। और इस तरह दुर्विचारों का प्रसार व प्रचार न हो पाएगा।
शिष्यब्लॉगर, संतब्लॉगगुरू की औजस्वी निर्मलवाणी में छिपी दूरदृष्टि देख नतमस्तक हो गया।
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गाँव वाली कथा का नवीनी करण ....सटीक ..
जवाब देंहटाएंसही पहचाना दीदी,
जवाब देंहटाएंयह गांव वाली बोध-कथा का ब्लॉगीकरण है।
सुज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंआपने पुरानी कथा का ब्लोगीकरण कर दिया..
आज आप का लेख पढ कर लगा की सच मे भारत आधुनिक हो गया, बहुत मस्त लिखा महाराज एक बुढिया को जींस ओर टी शर्ट पहना दी, धन्य हे जी:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रूपांतरण है .. आनंद आ गया
जवाब देंहटाएंपर मैं तो यही कहूँगा
जवाब देंहटाएं"आपका ब्लॉग जमा रहे"
और आगे से आपकी टिप्पणियाँ ध्यान से पढनी पढ़ेंगी लगता है :))))
सुधार :
जवाब देंहटाएंऔर आगे से आपकी टिप्पणियाँ ध्यान से पढनी होंगी लगता है :))))
गौरव जी,
जवाब देंहटाएं@"आपका ब्लॉग जमा रहे"
ताकि आप सद्विचार टिप्पणियां फ़ैलाते जाएँ? अकेले ही???
आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंनानक वाणी के साथ सुज्ञ जी के स्वर सुनकर,बस यही कामना है कि प्रार्थना में जब भी उठें मेरे हाथ तो यही माँगें कि आपका कहना सच हो!!
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार हर जगह हर समय में ऐसे ही लागु हो जाते है जैसे आप ने नानक विचार का ब्लॉग के लिए किया है |
जवाब देंहटाएं@सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएं.... हमारा काम तो पूरा हुआ ..... २०१० जो पूरा हुआ :))
.....शुभकामनाएं :)
कुछ एक दो अच्छी अच्छी पोस्ट के जरिये कहेंगे बाय बाय
जवाब देंहटाएंगौरव जी,
जवाब देंहटाएंआपका काम पूरा कहाँ हुआ? यह तो मात्र ईस्वी साल खत्म हुआ है।
हम तो नये साल पर नये अवतार में आपका स्वागत करेंगे।
bhai bahut khoob...kya door ki kaudi laayen hain aap...
जवाब देंहटाएंwaah.
neeraj
गुरू नानक जी के विचारों को आधुनिक और सामयिक रूप में रखने के लिये बधाई..
जवाब देंहटाएंगुरु नानक के उपदेश का सही सदुपयोग किया है।
जवाब देंहटाएंइस प्रेरक प्रसंग के लिए आपका आभार।
जवाब देंहटाएंगुरु नानक जी की कथा का ये ब्लोगीकरण बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुज्ञ जी अच्छा प्रस्तुतिकरण ! हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंभाई जी हम भी नत मस्तक हो गयें ऐसे ज्ञान के पीछे............ कमाल का ज्ञान है. अच्छी लगी ये प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंफर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
कई बार सुनी पढ़ी कथा ब्लॉगजगत के लिए भी सही सन्देश दे रही है ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी जी यह पोस्ट
प्रणाम
बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति ...आभार ।
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