27 जुलाई 2010

शृंगार करो ना ...

सिर का शृंगार तभी है, जब सत्य समक्ष नतमस्तक हो।
भाल का शृंगार तभी है, जब यश दीन दुखी के मुख हो॥
नयनों का शृंगार तभी है, जब वह करूणा से सज़ल हो।
नाक का शृंगार तभी है, जब वह परोपकार से उत्तंग हो॥
कान का शृंगार तभी है, जब वह आलोचना सुश्रुत हो।
होठो का शृंगार तभी है, हिले तो मधूर वचन प्रकट हो॥
गले का शृंगार तभी है, जब विनय पूर्ण नम जाय।
सीने का शृंगार तभी है, जिसमें आत्मगौरव बस जाय॥
हाथों का शृंगार तभी है, पीडित सहायता में बढ जाए।
हथेली का शृंगार तभी है, मिलन पर प्रेम को पढ जाए॥
कमर का शृंगार तभी है, जब बल मर्यादा से खाए।
पैरों का शृंगार तभी है, तत्क्षण मदद में उठ जाए॥

16 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या सुन्दर सूक्तिमय बातें हैं

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत शिक्षाप्रद रचना, अद्भुत

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार, श्री वर्मा जी एवं श्री शर्मा जी

    जवाब देंहटाएं
  4. मुसलमान बनने के जितने लाभ सलीम बता रहे है,
    इतने तो हम शृंगार पर यूं ही पा लेते है।

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा प्रेरक प्रस्तुती,वाह शानदार ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छा लगा इस प्रस्तुति का पढ़ कर.

    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रोत्साहन से ही लिख पाता हूं

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छे शब्द ,
    प्रेरणादायी सन्देश,
    शशक्त भाषाशैली ,
    लेखन की परिपक्वता ,
    विचारणीय और,... कितना कुछ लिए हुए है ये अकेली रचना ,,,,जीतनी तारीफ़ की जाए कम ही होगी ,,,वाकई अदभुत.....बधाई स्वीकारे ...!!! आपके ब्लॉग की प्रथम यात्रा की ,,,,अच्छा लगा ,,,पर अफ़सोस भी ,,,देर से जो आया ,,,समय निकालकर पिछली रचनाएँ भी पढता हूँ ,,,फिर से बधाई और आभार ...! कुछ ऐसा ही यहाँ है ,,,समय हो तो एक नज़र डाले http://athaah.blogspot.com/2010/05/blog-post_28.html

    जवाब देंहटाएं
  10. www.tahelka.co.in
    हेल्लो मेरे दोस्तों क्या आप www.tahelka.co.in हिंदी -अंग्रेजी ब्लॉग लेखकों का एग्रिगेटर को भूल गए । आप अपने ब्लॉग - साईट को Tahelka.co.in जोड़े । इसके लिए आपको हमारी साईट www.tahelka.co.in पर जाकर sumbit form को भरना करना होगा । बाकी का काम हमारा ?

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह्……………बहुत ही शिक्षाप्रद सूक्तियाँ।

    जवाब देंहटाएं
  12. राजेन्द्र जी,
    इस सुन्दर प्रेरक टिप्पनी के लिये, लाख आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. वन्दना जी,
    सूक्ति प्रशस्ति के हृदय से आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  14. कबिता ने तो दिल को छू लिया
    यथार्थ क़े नजदीक मनुष्य ऐसा ही बने
    भगवान से यही बिनम्र प्रार्थना.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  15. प्रेरणादायी सन्देश
    ..........शशक्त भाषाशैली ,

    जवाब देंहटाएं

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...