सिर का शृंगार तभी है, जब सत्य समक्ष नतमस्तक हो।
भाल का शृंगार तभी है, जब यश दीन दुखी के मुख हो॥
नयनों का शृंगार तभी है, जब वह करूणा से सज़ल हो।
नाक का शृंगार तभी है, जब वह परोपकार से उत्तंग हो॥
कान का शृंगार तभी है, जब वह आलोचना सुश्रुत हो।
होठो का शृंगार तभी है, हिले तो मधूर वचन प्रकट हो॥
गले का शृंगार तभी है, जब विनय पूर्ण नम जाय।
सीने का शृंगार तभी है, जिसमें आत्मगौरव बस जाय॥
हाथों का शृंगार तभी है, पीडित सहायता में बढ जाए।
हथेली का शृंगार तभी है, मिलन पर प्रेम को पढ जाए॥
कमर का शृंगार तभी है, जब बल मर्यादा से खाए।
पैरों का शृंगार तभी है, तत्क्षण मदद में उठ जाए॥
भाल का शृंगार तभी है, जब यश दीन दुखी के मुख हो॥
नयनों का शृंगार तभी है, जब वह करूणा से सज़ल हो।
नाक का शृंगार तभी है, जब वह परोपकार से उत्तंग हो॥
कान का शृंगार तभी है, जब वह आलोचना सुश्रुत हो।
होठो का शृंगार तभी है, हिले तो मधूर वचन प्रकट हो॥
गले का शृंगार तभी है, जब विनय पूर्ण नम जाय।
सीने का शृंगार तभी है, जिसमें आत्मगौरव बस जाय॥
हाथों का शृंगार तभी है, पीडित सहायता में बढ जाए।
हथेली का शृंगार तभी है, मिलन पर प्रेम को पढ जाए॥
कमर का शृंगार तभी है, जब बल मर्यादा से खाए।
पैरों का शृंगार तभी है, तत्क्षण मदद में उठ जाए॥
वाह क्या सुन्दर सूक्तिमय बातें हैं
जवाब देंहटाएंबहुत शिक्षाप्रद रचना, अद्भुत
जवाब देंहटाएंआभार, श्री वर्मा जी एवं श्री शर्मा जी
जवाब देंहटाएंमुसलमान बनने के जितने लाभ सलीम बता रहे है,
जवाब देंहटाएंइतने तो हम शृंगार पर यूं ही पा लेते है।
उम्दा प्रेरक प्रस्तुती,वाह शानदार ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा इस प्रस्तुति का पढ़ कर.
जवाब देंहटाएंआभार.
प्रोत्साहन से ही लिख पाता हूं
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअच्छे शब्द ,
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायी सन्देश,
शशक्त भाषाशैली ,
लेखन की परिपक्वता ,
विचारणीय और,... कितना कुछ लिए हुए है ये अकेली रचना ,,,,जीतनी तारीफ़ की जाए कम ही होगी ,,,वाकई अदभुत.....बधाई स्वीकारे ...!!! आपके ब्लॉग की प्रथम यात्रा की ,,,,अच्छा लगा ,,,पर अफ़सोस भी ,,,देर से जो आया ,,,समय निकालकर पिछली रचनाएँ भी पढता हूँ ,,,फिर से बधाई और आभार ...! कुछ ऐसा ही यहाँ है ,,,समय हो तो एक नज़र डाले http://athaah.blogspot.com/2010/05/blog-post_28.html
www.tahelka.co.in
जवाब देंहटाएंहेल्लो मेरे दोस्तों क्या आप www.tahelka.co.in हिंदी -अंग्रेजी ब्लॉग लेखकों का एग्रिगेटर को भूल गए । आप अपने ब्लॉग - साईट को Tahelka.co.in जोड़े । इसके लिए आपको हमारी साईट www.tahelka.co.in पर जाकर sumbit form को भरना करना होगा । बाकी का काम हमारा ?
वाह्……………बहुत ही शिक्षाप्रद सूक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर प्रेरक टिप्पनी के लिये, लाख आभार
वन्दना जी,
जवाब देंहटाएंसूक्ति प्रशस्ति के हृदय से आभार!!
कबिता ने तो दिल को छू लिया
जवाब देंहटाएंयथार्थ क़े नजदीक मनुष्य ऐसा ही बने
भगवान से यही बिनम्र प्रार्थना.
धन्यवाद
प्रेरणादायी सन्देश
जवाब देंहटाएं..........शशक्त भाषाशैली ,
सुन्दर सन्देश, आभार!
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