प्रविष्ठियाँ टिप्पणीयों से बल पाकर, आस पास बैठ जाती है। सहसा पडौसी प्रविष्ठियों पर व्यंग्य बाण चलाने लगती है। संख्या के आधार पर समूह में जा बैठती है,और अरस-परस की पोस्टों पर ताने मारती है। ये टिप्पणियां अन्य पोस्टों को विचित्र प्रतिक्रिया प्रकट करने को बाध्य करती है।
रविवार शाम 7/20 , "चिठ्ठाजगत" पर टॉप टिप्पणी सूची , नजारा कुछ यह था, दो-दो-तीन पोस्ट शिर्षक को एक साथ पढ आप भी आनंद लिजिये………
उदासी मन का एक्स रे होती है [35]
दोस्ती का एक दिन [25]
वो सारे ज़ख़्म पुराने, बदन में लौट आए [21]
भैया जरा बच के , जाना दिल्ली में, -तारकेश्वर गिरी. [20]
रविवार भोर ६ बजे [20]
.....अब आप भी प्रेम की रूहानी यादों में तनिक खो जाईये तो बात बनें! [19]
द डे व्हेन एवरीथिंग वेंट रॉंग.....वेल..नॉट एवरीथिंग :) [19]
सावन की बरसात [18]
फ्रैंडशिप डे -ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगें [17]
The real Guide सच का जानने और बताने वाला केवल वह मालिक है . वही मार्गदर्शन करने का सच्चा अधिकारी है। कर्तव्य और अकर्तव्य का सही ज्ञान वही कराता है। -Anwer Jamal [16]
पहचान पायेंगे क्या? [16]
तेरे चाहने वाले, तमाम बढ़ गए है[16]
फ्रैंडशिप- डे की बधाई [15]
गड्ढे में हाथी [15]
सनडे मानसिक फीस्ट .... हंसते क्यों नहीं हो ? [14]
ब्लॉग-गुरु ! कैरान्वी भाई, कहाँ हो आजकल आप !! [12]
घर लौटने का समय [11]
सर्दी की गुनगुनी धूप में ममता भरी रजाई अम्मा -सतीश सक्सेना [11]
नेता और कुत्ता [11]
फ्रेण्डशिप-डे: ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे [11]
आराम की ज़रूरत है…! [10]
शेर [10]
अपने ही घर में मुझे सब , मेहमान बना देते हैं............अजय कुमार झा [10]
परिशिष्ट:
हिंदी सबके लिए [13]
यह कौन सी भाषा है विभूति जी? [13]
आत्मा कहाँ जाती है ? [22]
रविवार भोर ६ बजे [22]
खाओ मनभाता, पहनो जगभाता और लिखो....... [11]
सलामत रहे दोस्ताना हमारा [11]
“… खुद चलके आती नही” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) [11]
अन्तिम तुर्रा……॥
हमारे ज्ञान की परिधि कितनी सीमित है----- [14]
टिप्पणियां स्वतः आ आकर व्यंग्य करती है!! [14]
सामग्री: ज्यों की त्यों चिठ्ठाजगत से साभार। विद्वानों के नाम आना 'कट-पेस्ट' संयोगमात्र है,कृपया हास्य विनोद से लें । :)
श्रेष्ठ सटीक प्रति्क्रिया, ………
"इसे कहते हैं..
पहने कुर्ता पर पतलून
आधा फागुन,आधा जून.
और तुर्रा ये कि किसी का कुर्ता,किसी की पतलून.."
---सम्वेदना के स्वर
"हिन्दी ब्लॉगों की टिप्पणी 'दशा' पर
अब तक की सबसे सार्थक, सटीक,
अर्थयुक्त टिप्पणी :) "
---रवि रतलामी
हा! हा!! हा!!!
जवाब देंहटाएंबचपन में ऐसा बहुत सा चुटकुला बनता था..
जापान में विश्व सुंदरी सम्मेलन
नेता जी जापान रवाना.
बहुत खुब
जवाब देंहटाएंजी हाँ!
जवाब देंहटाएंमौन होकर भी टिप्पणियाँ बहुत कुछ कह देती हैं!
bahot badhiya
जवाब देंहटाएं:-) Mast Pakda hai aapne
जवाब देंहटाएंbhai vah badi achchhi tukbandi hai.
जवाब देंहटाएंरोचक...........
जवाब देंहटाएंदिलचस्प.........
सृजन के लिए बधाई.
बढिया लपेटे हैं सुज्ञ जी ....हा हा हा... एकदम सूट दुपट्टा टाईप मैच हुआ है ..कंट्रास्ट में .....हा हा हा
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं..
जवाब देंहटाएंपहने कुर्ता पर पतलून
आधा फागुन,आधा जून.
और तुर्रा ये कि किसी का कुर्ता,किसी की पतलून..
अरे यहाँ तो आत्मा भी लपेटे में आ गयी ...कमाल है !
जवाब देंहटाएंसलिल जी
जवाब देंहटाएंक्या गजब की टिप्पनी आपकी!
और ये एकदम अभी की ----
जवाब देंहटाएंफ्रेण्डशिप-डे: ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे [13]
नेता और कुत्ता [13]
आराम की ज़रूरत है…! [13]
और ये भी ---
जवाब देंहटाएंतस्वीरें बोलती हैं शब्दों से ज्यादा [11]
कभी मिली थी एक मासूम नाजुक सी लड़की [10]
अर्चनाजी,
जवाब देंहटाएंआप भी ?
क्या खूब!!
सही है !!!
जवाब देंहटाएंतुर्रा ये कि किसी का कुर्ता,किसी की पतलून.. :)
हिन्दी ब्लॉगों की टिप्पणी 'दशा' पर अब तक की सबसे सार्थक, सटीक, अर्थयुक्त टिप्पणी :)
जवाब देंहटाएंरवि जी,
जवाब देंहटाएंव्यंग्य पारखीयों को मेरा नमन पहुंचे।
शिवम जी,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया!!
गज़ब का कॉम्बिनेशन है ...!
जवाब देंहटाएंजय हो टिप्पणियों की।
जवाब देंहटाएंताज़ातरीन…………
जवाब देंहटाएंकभी मिली थी एक मासूम नाजुक सी लड़की [10]
जो न समझे नज़र की भाषा को [10]
चल रहा हूं अकेला दोस्तो= गज़ल [10]
लायक़ - नालायक़ [10]
खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंअरे वाह !
जवाब देंहटाएंTipaniyon ka jawab nahi!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसुज्ञ भाई, आपका जवाब नहीं।
मुझे चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख है।
मुझे…
जवाब देंहटाएंबहुत पहले से उन कदमों की आहट.... [40]
थी कि समीर भाई आयेगें और टिप्पणियों में पछाड देंग॥
सूखे फूल [36]
भी भारी पडेंगे।
और धडाधड टिप्पणियों से
संबंध-विच्छेद [35]
हो जायेगा,इसका कि
टिप्पणियां स्वतः आ आकर व्यंग्य करती है!! [29]
यह आवाज़ कहां से आई……
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे---ये भी खूब रही [27]
:) क्या खूब लपेटा है...:)
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक जुटाए आपने......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।