13 जुलाई 2011

चार अक्षय मुक्ता




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  •  प्रशंसा

प्रशंसा मानव स्वभाव की एक ऐसी कमजोरी है कि जिससे बड़े बड़े ज्ञानी भी नहीं बच पाते। निंदा की आंच भी जिसे पिघला नहीं पाती, प्रशंसा की ठंड़क उसे छार-छार कर देती है।

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  • कषाय

ब तक क्रोध, मान, माया और लोभ रूपी कषाय से छूटकारा नहीं होता, तब तक दुखों से मुक्ति सम्भव ही नहीं।
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  • सदभावना

दभावना, विषय-कषाय से विरक्त और समभाव में अनुरक्त रखती है। विपत्तियों में समता और सम्पत्तियों में विनम्रता प्रदान करती है।
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  •  समाधि

पूर्ण विवेक से निर्णय करने के उपरांत भी यदि परिणाम प्रतिकूल आ जाय ऐसी विपरित परिस्थिति में भी उसका विरोध करने के बजाय यदि मन को समझाना आ जाय तो समाधि सम्भव है।
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30 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही उत्‍तम बात कही आपने ... आभार ।

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  2. सबसे पहले तो धन्यवाद..... क्योंकि जिस आकर्षक ढंग से आपने इस सारगर्भित पोस्ट को तैयार किया है उससे चित्त प्रसन्न हो गया ....पढने से पहले ही :)

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  3. चारों फंडे एक साथ उठा कर दिमाग की अलमारी में रख लिए हैं :) जो दिल को छू गया वो है लास्ट वाला

    "पूर्ण विवेक से निर्णय करने के उपरांत भी यदि परिणाम प्रतिकूल आ जाय ऐसी विपरित परिस्थिति में भी उसका विरोध करने के बजाय यदि मन को समझाना आ जाय तो समाधि सम्भव है।"



    जरूरत पड़ने पर दिमाग में स्टोर फंडे मन में लोड कर लेने चाहिए जैसे हार्ड डिस्क में स्टोर डेटा रेम(random access memory) में लोड होता है :)

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  4. गौरव जी,

    बार बार मन को फीड किए गए डाटा, अन्ततः मन को प्रोग्रामिंग करते ही है। बस ध्यान मात्र इतना रखना है कि डाटा सार्थक हो, प्रोग्राम सुदृढ सुरूचिप्रद होगा। इसमें एंटी-वायरस का स्ट्रांग फीचर होगा।

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  5. बस ध्यान मात्र इतना रखना है कि डाटा सार्थक हो, प्रोग्राम सुदृढ सुरूचिप्रद होगा। इसमें एंटी-वायरस का स्ट्रांग फीचर होगा।

    हमेशा ध्यान रखा जाएगा :)
    इस बात को तो रेम में ही लोड कर लिया है :)

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  6. यह चार अक्षय-मौक्तिक जीवन माला के सुमेरु हैं .............आभार !

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  7. अत्यंत सुन्दर विचार!

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  8. सुन्दर एवं प्रेरक विचार
    आपका आभार इन प्रेरणा दायक विचारों को हमतक पहुचने के लिए

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  9. सुज्ञ जी!
    चौथी मनोदशा से गुजार रहा था.. आपके इस मुक्ता के प्रकाश ने आलोकित कर दिया.. समाधि की नहीं जानता, किन्तु शान्ति अवश्य मिली है!!

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  10. सलिल जी,

    वस्तुतः तो आप स्वयं सरलमना है। ॠजुप्राज्ञ है। अच्छे विचार यदि किसी एक को क्षण भर भी शान्ति देने में समर्थ होते है तो प्रयास सर्वोत्तम सफल है। चित्त की शान्ति ही तो सही अर्थों में समाधि है।

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  11. प्रेरणात्‍मक प्रस्‍तुति ।

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  12. चारों सूक्तियां जीवन में सुख और आनंद ला सकती हैं ... पर जीवन मिएँ लागू कर पाना बहुत अभ्यास मांगता है ...

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  13. अनमोल वचन !
    संग्रहणीय पोस्ट

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  14. प्रशंसा,कषाय,सद्-भावना और समाधि को बहुत ही सुंदर ढ़ग से बताने की कोशिश सफल रही ।

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  15. सुज्ञ जी,

    ये पढ़िए.....भगवद गीता श्रृंखला की एक कड़ी है
    http://ret-ke-mahal-hindi.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html

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  16. सच में अनमोल वचन, चारों शब्दों की सुन्दर व्याख्या|
    चारों शब्दों को सहेज कर रख लिया है| बड़े काम के शब्द हैं ये|

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  17. गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी मित्रों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ

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  18. cherishing thoughts...
    Each words speaks a lot in itself.

    Regards

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  19. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा शनिवार (१६-०७-११)को नयी-पुरानी हलचल पर होगी |कृपया आयें और अपने विचार दें |आभार.

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  20. सारे विचार अति उत्तम है .....पढ़ने का अवसर देने के लिए आभार

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  21. अति उत्तम और प्रेरक विचार.
    चारों ही अनमोल मोती हैं.
    मनन व अनुसरण करने से अंत;करण को प्रकाशित करने वाले है.
    बहुत बहुत आभार सुज्ञ जी.

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