20 सितंबर 2010

छलती है मैत्री

यत्न करें असीम, कहां निभ पाती है मैत्री।
अपेक्षाएं है अनंत, बडी नादां होती है मैत्री।

निश्छल नेह मिले कहां, मात्र दंभ पे चलती है मैत्री।
दमन के चलते है दांव, छल को ही छलती है मैत्री।

मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री।
जब भी पडते है काम, स्वार्थी बन लेती है मैत्री।
_______________________________________________

25 टिप्‍पणियां:

  1. .

    मैंने तो अपने मित्रों को हमेशा प्यार किया, कभी कोई अपेक्षा ही नहीं रखी। मुझे अपने एक तरफ़ा प्यार पर गर्व है। और अपने मित्रों के साथ मैत्री पर। ...आभार।

    .

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  2. @मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री!

    मैं इस बात को पूरी तरह नहीं समझ पाया हूँ ....आप [या कोई भी पाठक] जब भी समय मिले इसे कुछ खुल कर बताइये :)

    यहाँ मैत्री मतलब फ्रेंडलीनेस और मित्रता मतलब फ्रेंडशिप ही है ना ?? :)

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  3. मैत्री और मित्रता (फ्रेंडशिप)समानार्थक है।
    @मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री!

    अर्थात, दोस्ती किसी दिन काम आयेगी, मात्र इसी अपेक्षा पर आज मित्रता चलती है। पर खरे वक्त में स्वार्थ आडे आ जाता है।

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  4. मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री।
    यही सच है

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  5. दोस्ती किसी दिन काम आयेगी, मात्र इसी अपेक्षा पर आज मित्रता चलती है। पर खरे वक्त में स्वार्थ आडे आ जाता है।

    @सुज्ञ जी
    आपकी उपरोक्त पंक्तियों से पूर्णतः सहमत हूँ

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  6. लगा जैसे कुछ अधूरा रह गया यहाँ ....शुभकामनायें

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  7. मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री।
    जब भी पडते है काम, स्वार्थी बन लेती है मैत्री।

    सुन्‍दर पंक्तियां ।

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  8. अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री!

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  9. @ मित्रता आयेगी काम, अपेक्षाओं पे चलती है मैत्री।
    जब भी पडते है काम, स्वार्थी बन लेती है मैत्री।

    जे न मित्र दुख होहिं दुखारी
    तिन्हहिं विलोकत पातक भारी।
    (रामचरित मानस ४/८)

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  10. @सुज्ञ जी

    हाँ .. अब मुझे कंसेप्ट [जो आप कहना चाहते हैं ] क्लीयर हुआ

    बस एक ही लाइन पर मामला अटका था

    कम शब्दों में लिखी गयी गहन अर्थ वाली इस पोस्ट के लिए आभार
    जो भी सीखा है याद रखूंगा :)

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  11. .... बहुत अच्छे समझाया आपने और अमित जी की टिपण्णी ने भी

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  12. चैतन्य जी,
    दिव्या जी,
    गौरव जी,
    वर्मा जी,
    महक जी,
    सतीश जी,
    सदा जी,
    संजय जी,
    अमित जी,

    उत्साहवर्धन के लिये आभार॥

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  13. मैत्री निः स्वार्थ
    कणुआ सच .

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  14. कितनी अच्छी और सच्ची बात कही है आपने...बड़ी मुश्किल से मगर दोस्त मिलते हैं...

    नीरज

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  15. जहाँ मित्रता है वहाँ इन चीज़ों का क्या काम .... सच्ची मित्रता स्वार्थ पर नही चल सकती ....
    अच्छी रचना है बहुत आपकी ....

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  16. मैंने तो अपने मित्रों को हमेशा प्यार किया, कभी कोई अपेक्षा ही नहीं रखी। मुझे अपने एक तरफ़ा प्यार पर गर्व है। और अपने मित्रों के साथ मैत्री पर।
    Thanks Zeal for beautiful message.

    जवाब देंहटाएं
  17. अच्छी रचना... मित्रता को समझने में सहायक ..

    जवाब देंहटाएं
  18. एक एक शब्द सच का बखान है.
    सुंदर रचना.

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  19. आदरयोग्य सुज्ञ,
    मैं तो अपनी लापरवाही के कारण आपको भुला ही बैठा था, एक लाइन का आपका कमेन्ट कहीं दिल पर छू गया , स्नेह के लिए आभार !

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  20. Love wants no wall - जहां मिट गई है मंदिर-मस्जिद के बीच की दीवारमेरे ब्लॉग पर पढ़ें

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  21. सुज्ञ @ आपने कहा हम अपने रिश्तों का चुनाव नहिं कर सकते पर दोस्ती चुन सकते हैं।
    मित्र मेरा भी यही माना है की जो तुम्हारी तरफ दोस्ती का हाथ बढाए, उससे इनकार करना एक बड़ा नुकसान है. और सुज्ञ जी इस दुनिया मैं क्या रखा है, कुछ दिन हैं, प्यार , ईमानदारी,वफ़ा और शांति सी जी ले जो इंसान वही सफल है. आपके प्रेम सन्देश और दोस्ती का मैं स्वागत करता हूँ, आशा है

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