19 जनवरी 2015

रघुनाथ पटेल की छास

रघुनाथ पटेल एक छोटे से गांव के मुखिया थे, उनके यहाँ अच्छी संख्या में दूधारु गाय भैस आदि थे। गांव में बाकि लोग तो दूध बेच दिया करते थे, किन्तु बिलौना मात्र रघुनाथ पटेल के यहाँ ही होता था। अतः गांव के लोग अपने जरुरत की छास, रघुनाथ पटेल के यहाँ से ही लाते थे।

 एक बार उस गांव में कोई आचार्य महाराज, अपने शिष्य समुदाय सहित पधारे। जब शिष्य गांव में गोचरी (भिक्षा) के लिए घूमे, उन्हें रघुनाथ पटेल सहित बहुत से घरों से छास प्राप्त हुई। आहार ग्रहण करते हुए शिष्यों नें देखा, सभी घरों से मिली छास अलग अलग है। उन्होने आचार्य महाराज से पूछा, गुरूदेव जब छास का मूल स्रोत एक मात्र रघुनाथ पटेल का घर है तो फिर भी सभी की छास अलग अलग क्यों? स्वाद में इतना भारी अन्तर क्यों?

गुरूदेव ने कहा, निश्चित ही छास तो मूल से रघुनाथ पटेल के बिलौने की ही है। और सभी गांव वाले अपने अपने उपयोग हेतू वहीं से छास लाते है। किन्तु वे उसे घर लाकर, अपनी अपनी आवश्यकता अनुसार उसमें पानी मिलाते है। किसी के कुटुम्ब में सदस्य संख्या अधिक होने के कारण, कोई ज्यादा मिला देते है, तो कोई कम। कोई अपने अपने स्वाद के अनुसार नमक की कम ज्यादा मात्रा मिला देते है, तो कोई भिन्न भिन्न प्रकार के मसाले मिला देते है। इसी कारण छास में यह अन्तर है।

लगे हाथ गुरू नें विभिन्न धर्म दर्शनों में पाए जाने वाले अन्तर के कारण को स्पष्ट किया। गुरू नें कहा, धर्म का मूल स्रोत तो 'रघुनाथ पटेल की छास' समान एक ही है किन्तु लोगों ने अपनी अपनी अवश्यकता, सहजता, अनुकूलता अनुसार भिन्नताएं पैदा कर दी है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. धर्म का मूल स्रोत तो 'रघुनाथ पटेल की छास' समान एक ही है किन्तु लोगों ने अपनी अपनी अवश्यकता, सहजता, अनुकूलता अनुसार भिन्नताएं पैदा कर दी है।-sach ko spasht karti sundar laghu-katha .aabhar

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  2. सुंदर कथा, धर्मों केअन्तर का कारण स्पष्ट करती हुई।

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  3. सुज्ञ जी! मेरा मान रखकर यहाँ लिखने का धन्यवाद!!
    बहुत ही प्रेरक कथा!!

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