क्यों लगता जीवन भार सखे, सहले सब दुख प्रहार सखे।
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
माना कि दुर्भागी तुम सा, इस अवनीतल पर एक नहीं।
दुख संकट तुझ पर है सारे, और संग सहारा टेक नहीं।
सभी अहित चाहते तेरा, और कोई ईरादा नेक नहीं।
बस सांसों में साहस भर ले, तू इधर उधर अब देख नहीं।
है सभी पिरोए तेरे ही, कांटों कुसुमों के हार सखे॥
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
निश्चय जो हो खुशियों का, क्या दुख दे पाए कोई तुझे?
तेरी अपनी मुस्कान प्रिये, तेरे ही अधरों पर तो सजे।
तेरे ही तानों बानों में, उलझे संकल्प विकल्प अरे!!
ईंधन जब झोके अग्नी में, फिर तू ही बता कैसे वो बुझे?
मत देख पराए दोषों को, तू अपनी ओर निहार सखे॥
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
कमियाँ खोज खोज मेरी, करता पग पग पर अपमान।
फजियत का मौक़ा ना चुके, यों रोज बिगाडे मेरे काम।
वह मजे लूटता है मेरे, बस देख देख मुझको परेशान।
श्रेय कामना मेरी अपनी, फिसलती कर से रेत समान।
छोड़ कोसना ओरों को, निज दोष छिद्र परिहार सखे॥
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
माना कि दुर्भागी तुम सा, इस अवनीतल पर एक नहीं।
दुख संकट तुझ पर है सारे, और संग सहारा टेक नहीं।
सभी अहित चाहते तेरा, और कोई ईरादा नेक नहीं।
बस सांसों में साहस भर ले, तू इधर उधर अब देख नहीं।
है सभी पिरोए तेरे ही, कांटों कुसुमों के हार सखे॥
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
निश्चय जो हो खुशियों का, क्या दुख दे पाए कोई तुझे?
तेरी अपनी मुस्कान प्रिये, तेरे ही अधरों पर तो सजे।
तेरे ही तानों बानों में, उलझे संकल्प विकल्प अरे!!
ईंधन जब झोके अग्नी में, फिर तू ही बता कैसे वो बुझे?
मत देख पराए दोषों को, तू अपनी ओर निहार सखे॥
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
कमियाँ खोज खोज मेरी, करता पग पग पर अपमान।
फजियत का मौक़ा ना चुके, यों रोज बिगाडे मेरे काम।
वह मजे लूटता है मेरे, बस देख देख मुझको परेशान।
श्रेय कामना मेरी अपनी, फिसलती कर से रेत समान।
छोड़ कोसना ओरों को, निज दोष छिद्र परिहार सखे॥
जीत जीत मत हार सखे, करले निष्फल हर वार सखे॥
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 10/08/2014 को "घरौंदों का पता" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1701 पर.
आभार, राजीव जी
हटाएंआत्म निरिक्षण के प्रेरित करती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंमेघ आया देर से ......
: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
कलिप्रसाद जी, आभार
हटाएंसुन्दर सन्देश है.
जवाब देंहटाएंआभार, निहार रंजन जी
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरक्षाबन्धन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।