25 मई 2015

ईमानदारी की अपेक्षा

गाँव में एक पशुपालक रहता था जो दूध से दही और मक्खन बना, बेचकर रोजी चलाता था। हमेशा की तरह आज भी उसकी पत्नी ने  मक्खन तैयार करके दिया, और वह  उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ निकल पड़ा।  मक्खन गोल पिंड़ी के आकार में होता था और प्रत्येक पिंड़ी का वज़न एक किलो था। शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह अपने रोज के दुकानदार को बेच दिया। बदले में दुकानदार से चायपत्ती, चीनी, तेल,  साबुन, मसाले व दालें वगैरहा खरीदकर वापस अपने गाँव चला गया।

किसान के जाने के बाद, दुकानदार को मक्खन फ्रिज़र मे रखते हुए सहसा खयाल आया कि क्यूँ ना आज एक पिंड़ी का वज़न कर ही लिया जाए। वज़न करने पर पिंड़ी सिर्फ 900 ग्राम उतरी।  हैरत और संदेह से उसने सारी पिंडियाँ तोल डाली। प्रत्येक पिंड़ी 900-900 ग्राम ही थी। व्यापारी छले जाने के विषाद से भर उठा।

अगले हफ्ते किसान हमेशा की तरह मक्खन लेकर जैसे ही दुकानदार की दहलीज़ पर चढ़ा। दुकानदार आक्रोश में चिल्लाते हुए, किसान से कहा, कि वह दफा हो जाए, उसे किसी बे-ईमान और धोखेबाज़ व्यक्ति से व्यापार नहीं करना!! एक किलो बताकर, 900 ग्राम मक्खन थामानेवाले धूर्त की वह शक्ल भी देखना नही चाहता।

किसान ने अनुनय विनय की। बड़ी ही विनम्रता से दुकानदार से कहा "मेरे भाई मैं धूर्त नहीं हूं। मुझ पर संदेह न करो, हम गरीब अवश्य है किन्तु ठग नहीं। हमारे पास एक पुरानी सी तुला है, तोलने के लिए बाट (वज़न) खरीदने की हमारी हैसियत नहीं, इसलिए जो एक किलो चीनी आपसे तुलवाकर ले जाता हूँ, उसी पैकेट को तराज़ू के एक पलड़े मे रखकर, दूसरे पलड़े मे भारोभार मक्खन तोल लेता हूँ।

दुनिया से ईमानदारी चाहने से पहले, हमें अपने गिरेबान में झांक कर अवश्य देख लेना चाहिए कि हम स्वयं दुनिया के साथ कितने ईमानदार है। अक्सर स्वयं की बेईमानी तो हमें चतुरता लगती है, या बौद्धिक चालाकी लगती है, किन्तु जब दुनिया से वही पलटकर हमारे सामने आए, तो हमारा क्रोध और आक्रोश नियंत्रण में ही नहीं रहता।

यदि हम चाहते है जगत में ईमानदारी का प्रचलन हो, तो सर्वप्रथम हमें दृढता और  निष्ठापूर्वक ईमानदार रहना होगा।

13 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई यदि इस संसार में हर कोई अपने अपने हिस्से की इमानदारी का पालन करने लगे तो सब कुछ ठीक हो जाए.. बहुत अच्छी लघुकथा।


    आज की ब्लॉग बुलेटिन अप्रवासी की नज़र से मोदी365 :- ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. बहुत सुंदर और व्यावहारिक सीख

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    1. अनुराग जी, बहुत बहुत आभार, उत्साहवर्धन के लिए

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  3. बहुत खूब
    कभी यहाँ भी पधारें

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  4. बहुत बढ़िया और शिक्षाप्रद कहानी है। आपने शायद फेसबुक पर भी शेयर की थी।

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  5. बहुत बढ़िया और शिक्षाप्रद कहानी है। आपने शायद फेसबुक पर भी शेयर की थी।

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