26 जुलाई 2014

मातृ-भक्ति की शक्ति


किसी समय चीन देश में होलीन नाम का एक नौजवान रहता था। वह अपनी मां का परमभक्त था। बूढ़ी मां की सेवा-चाकरी बड़े भक्ति-भाव से किया करता था। मां को किस समय, किस चीज की जरुरत पड़ेगी, इसका वह पूरा ख्याल रखता था।

एक बार हो-लीन के घर में एक चोर घुसा। जिस कमरे में हो-लीन सोचा था, उस कमरे में चोर के घुसते ही हो-लीन की नीद खुल गई। लेकिन चोर ताकतवर था। उसने हो-लीन को एक खम्बे से कसकर बांध दिया।

पास ही के कमरे में मां सोई थी। इस सारे झमेले में कहीं मां की नींद न खुल जाय, इस ख्याल से हो-लीन चुप ही रहा।

चोर ने उस कमरे में पड़ी एक पेटी खोली औरवह उसमें में सामान निकालने लगा। उसने हो-लीन का रेशमी कोट निकाला और एक चादर बिछाकर उस पर रख दिया। इस तरह वह एक के बाद एक सामान निकालता और रखता गया। हो-लीन सबकुछ चुपचाप देखता रहा।

इस बीच चोर ने पेटी में से ताम्बे काएक तसला बाहर निकला। उसे देखकर हो-लीन का गला भर आया और उसने कहा, "भाईसाहब, मेहरबानी करके यह तसला यहीं रहने दीजिये। मुझे सुबह ही अपनी मां के लिए पतला दलिया बनाना होगा और मां को देना होगा। तसला न रहा तो बूढ़ी मां को दलिए के बिना रह जाना पड़ेगा।

यह सुनते ही चोर के हाथ से तसला छूट गया। उसने भर्राई हुई आवाज में कहा, "मेरे प्यारे मित्र, तसला ही नही, बल्कि तेरा सारा सामान मैं यहीं छोड़े जा रहा हूं। तेरे जैसे मातृ-भक्त के घर से मैं तनिक-सी भी कोई चीज ले जाऊंगा तो मेरा सत्यानाश हो जायगा। तेरे घर की कोई चीज मुझे हजम नहीं होगी।"

यों कहकर और हो-लीन को बन्धन से मुक्त करके वह चोर धीमे पैरों वहां से चला गया।

सम्वेदनाएं प्रत्येक आत्मा को छूती अवश्य है, कुछ मूढ़ और जड उसकी आवाज को अनसुना कर दे्ते है तो कुछ को छू जाती है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. और जब आत्मा ही मूढ़ हो जाए तो इस 'आज' का ऐसा रूप भी दिखने लगता है .

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  2. संवेदनाएं छूती तो होंगी जिनमे मनुष्यता रत्ती भर भी बची हो ! मगर इन दिनों नरसंहार की बड़ी और अत्याचार की ख़बरें कुछ अविश्वास जगाती है जरुर कि ये मानव है जानवर :)
    सार्थक कथा !

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  3. अक्सर यही देखा है प्रेमतृप्त बाल्यकाल ह्रदय में संवेदना की जडें मज़बूत कर जाता है. वो बचपन जिसमे इसकी कमी रही हो, कुछ ऐसे लोग बना जाते हैं जो आत्मघाती एवं समाजघाती हो जाते हैं.

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  4. सार्थक कथा .... हाँ, संवेदनाएं छूती हैं ...

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  5. आज ऐसी संवेदनाएं केवल किताबों में ही है , वास्तविकता से कोसों दूर !
    अच्छे दिन आयेंगे !
    कर्मफल |

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  6. मातृभक्त को चोर भी संवेदनशील मिला। जय हो!

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  7. ऐसा संवेदनशील चोर सब को मिले.

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  8. सम्वेदनाएं प्रत्येक आत्मा को छूती अवश्य है, कुछ मूढ़ और जड उसकी आवाज को अनसुना कर दे्ते है तो कुछ को छू जाती है।

    बोधकथा के जरिये बेहद गूढ़तम रहस्य उद्घाटित किया है.......

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