बात महात्मा बुद्ध के पूर्व भव की है जब वे जंगली भैंसे की योनि भोग रहे थे। तब भी वे एकदम शान्त प्रकृति के थे। जंगल में एक नटखट बन्दर उनका हमजोली था। उसे महात्मा बुद्ध को तंग करने में बड़ा आनन्द आता। वह कभी उनकी पीठ पर सवार हो जाता तो कभी पूंछ से लटक कर झूलता, कभी कान में ऊंगली डाल देता तो कभी नथुने में। कई बार गर्दन पर बैठकर दोनों हाथों से सींग पकड़ कर झकझोरता। महात्मा बुद्ध उससे कुछ न कहते।
उनकी सहनशक्ति और वानर की धृष्टता देखकर देवताओं ने उनसे निवेदन किया, "शान्ति के अग्रदूत, इस नटखट बंदर को दंड दीजिये। यह आपको बहुत सताता है और आप चुपचाप सह लेते हैं!"
वह बोले, "मैं इसे सींग से चीर सकता हूं, माथे की टक्कर से पीस सकता हूं, परन्तु में ऐसा नहीं करता, न करुंगा। अपने से बलशाली के अत्याचार को सहने की शक्ति तो सभी जुटा लेते हैं, परन्तु सच्ची सहनशक्ति तो अपने से बलहीन की प्रताड़ना सहन करने में है।"
उनकी सहनशक्ति और वानर की धृष्टता देखकर देवताओं ने उनसे निवेदन किया, "शान्ति के अग्रदूत, इस नटखट बंदर को दंड दीजिये। यह आपको बहुत सताता है और आप चुपचाप सह लेते हैं!"
वह बोले, "मैं इसे सींग से चीर सकता हूं, माथे की टक्कर से पीस सकता हूं, परन्तु में ऐसा नहीं करता, न करुंगा। अपने से बलशाली के अत्याचार को सहने की शक्ति तो सभी जुटा लेते हैं, परन्तु सच्ची सहनशक्ति तो अपने से बलहीन की प्रताड़ना सहन करने में है।"
विजय दिवस की हार्दिक बधाइयाँ - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार जी,
हटाएंगहन प्रसंग ...
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग।
जवाब देंहटाएंक्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो की तरह सहन-शक्ति भी अपने से कम बलवान व्यक्ति की प्रताडना को हंसकर सहने में है!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक प्रसंग!!
जन्मों के संस्कार।
जवाब देंहटाएंयूँ भी जिसके पास क्षमा, दया, सहिष्णुता है वही तो यह दे सकने में सक्षम है, जो पहले ही इन से हीन हैं वो कहाँ से दे सकेंगे?
सहन-शक्ति ही महानता है,बहुत प्रेरक प्रस्तुति ,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post हमको रखवालो ने लूटा
क्षमा बड़न को चाहिए ... बड़ी शिक्षा है - आभार!
जवाब देंहटाएंसहना भी शक्ति का प्रतीक है।
जवाब देंहटाएंchhama sobhati us bhujang ko jiske pas garal ho-----!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसहनशक्ति की सही परख !
जवाब देंहटाएंविचारणीय !
वाह ....
जवाब देंहटाएंयह सहनशक्ति जुटाना आसान नहीं ...
मंगल कामनाएं !
सुन्दर प्रस्तुति। सहनशक्ति की सही परख .मंगल कामनाएं !
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद।
जवाब देंहटाएंhhhmmm...
जवाब देंहटाएंवाह...सुन्दर प्रेरक प्रसंग...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रेरक प्रसंग...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंhttp://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_4891.html
जवाब देंहटाएंसुंदर कथा।
जवाब देंहटाएंहर कोई अपना रौब अपने से कमजोर पर ही दिखाता है...
सराहनीय कथा ।साझा करने के लिए आपका आभार आदरणीय दीदी 🙏💐
जवाब देंहटाएंअप्रतिम प्रेरक प्रसंग,बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंक्षमा वीरस्य भूषणम।
जवाब देंहटाएंसुंदर।