tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post7770904946120151062..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: समता की धोबी पछाड़सुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-79631377559999326952012-08-16T12:46:43.335+05:302012-08-16T12:46:43.335+05:30प्रेरणात्मक प्रस्तुति ... प्रेरणात्मक प्रस्तुति ... सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-40179285672634374752012-08-15T07:52:29.938+05:302012-08-15T07:52:29.938+05:30स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभ कामनाएं ...स्वतंत्रता दिवस महोत्सव पर बधाईयाँ और शुभ कामनाएं Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-3133630254329621212012-08-14T19:51:40.216+05:302012-08-14T19:51:40.216+05:30स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर सभी को बधाई!!स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर सभी को बधाई!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-25319280603558681782012-08-14T14:19:02.767+05:302012-08-14T14:19:02.767+05:30महा-तमा .... trueमहा-तमा .... trueShilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-39409710432105940422012-08-12T11:03:24.748+05:302012-08-12T11:03:24.748+05:30आभार, अर्शिया जीआभार, अर्शिया जीसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-76639452666956937242012-08-12T07:33:59.482+05:302012-08-12T07:33:59.482+05:30सार्थक चिंतन।
............
कितनी बदल रही है हिन्...सार्थक चिंतन।<br /><br />............<br /><b><a href="http://za.samwaad.com/2012/08/old-and-new-hindi.html" rel="nofollow">कितनी बदल रही है हिन्दी !</a></b>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-40177652128750643342012-08-11T22:47:17.178+05:302012-08-11T22:47:17.178+05:30एक और ऐसी ही कथा |
द्रौपदी का अपमान करने के बाद क...एक और ऐसी ही कथा |<br /><br />द्रौपदी का अपमान करने के बाद कीचक को सजा देने के लिए भीम ने भी द्रौपदी से यही कहा था - कि तुम उससे कहो कि तुम उस पर मुग्ध हो किन्तु अपने गन्धर्व पतियों से डरती हो | इसलिए खुले तौर पर उससे नहीं मिल सकतीं | तो वह तुमसे एकांत में रात में कक्ष में मिले | और जब कीचक वहां आया तो वहां वल्लभ (भीम) और ब्रिहन्नला (अर्जुन) थे | भीम के दिए वचन के अनुरूप ही कीचक ने अगला सवेरा नहीं देखा |<br />(if this is vishayantar - please remove the comment)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-30075833060066627492012-08-11T19:08:28.987+05:302012-08-11T19:08:28.987+05:30प्रस्तुत पोस्ट "समता की धोबी पछाड़ " में ...प्रस्तुत पोस्ट "समता की धोबी पछाड़ " में क्रोध से अविचलित रहकर समता धारण पर बल दिया गया है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-47876961488461400012012-08-11T18:32:01.112+05:302012-08-11T18:32:01.112+05:30राजा नहुष की कथांश 'भारतकोश' में इसप्रकार ...राजा नहुष की कथांश 'भारतकोश' में इसप्रकार उपलब्ध है………<br /><br />"…………किन्तु इन्द्रासन पर नहुष के होने के कारण उनकी पूर्ण शक्ति वापस न मिल पाई। इसलिये उन्होंने अपनी पत्नी शची से कहा कि तुम नहुष को आज रात में मिलने का संकेत दे दो किन्तु यह कहना कि वह तुमसे मिलने के लिये सप्तर्षियों की पालकी पर बैठ कर आये। शची के संकेत के अनुसार रात्रि में नहुष सप्तर्षियों की पालकी पर बैठ कर शची से मिलने के लिये जाने लगा। सप्तर्षियों को धीरे-धीरे चलते देख कर उसने 'सर्प-सर्प' (शीघ्र चलो) कह कर अगस्त्य मुनि को एक लात मारी। इस पर अगस्त्य मुनि ने क्रोधित होकर उसे शाप दे दिया कि मूर्ख! तेरा धर्म नष्ट हो और तू दस हज़ार वर्षों तक सर्प योनि में पड़ा रहे। ऋषि के शाप देते ही नहुष सर्प बन कर पृथ्वी पर गिर पड़ा और देवराज इन्द्र को उनका इन्द्रासन पुनः प्राप्त हो गया।"<br /><br />कथासार में क्रोध और कामावेग के कारण, इन्द्रपद एवं समस्त धर्म ही खो देने का भाव है।<br /><br />लिंक-<br />http://mobi.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%B7सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-4458808698863084262012-08-11T18:05:17.214+05:302012-08-11T18:05:17.214+05:30share kijiyega n sanjay ji please :)share kijiyega n sanjay ji please :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-60465987428420938822012-08-11T17:34:03.449+05:302012-08-11T17:34:03.449+05:30विषय परिवर्तन हो जायेगा लेकिन मिलती जुलती एक कथा र...विषय परिवर्तन हो जायेगा लेकिन मिलती जुलती एक कथा राजा नहुष के बारे में भी ध्यान आ रही है जिन्होने इन्द्र पद प्राप्त करने के बाद शची तक पहुंचने की जल्दी में उनकी पालकी ढो रहे अगस्त्य ऋषि पर पदाघात किया था। वो कथा ध्यान है क्या किसी को?संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-56560417988094260042012-08-11T16:55:49.400+05:302012-08-11T16:55:49.400+05:30@भृगु ऋषि की महानता तक पहुँच जाती है |
प्रभु के म...@भृगु ऋषि की महानता तक पहुँच जाती है |<br /><br />प्रभु के महात्म्य के साथ साथ गुण विशेष या दृष्टि विशेष से भृगु ऋषि की महानता प्रकट होती है तो क्या हर्ज़ है?<br />धन चंचलता और "स्त्री दुर्गुण" चंचलता में अन्तर है, लक्ष्मी का किसी के पास स्थायी न रहने के गुण से उसे चंचल कहा जाता है। मानव में मन विचारों के स्थिर न रहने को चंचलता कहा जाता है। यह सभी कथन विशेष अभिप्राय: की दृष्टि सापेक्ष होते है। यही तो विशेषता है आर्ष वचन की। शक्तिरूपा मातृशक्ति का उल्लेख आएगा तब ही "जगद्जननी" उपमा का व्यवहार होगा, जब "धन की अधिष्ठात्री देवी" का उल्लेख आएगा तब "जगद्जननी" उपमा का प्रयोग नहीं होगा। जनेरलाइजेशन तो उलट तब है जब बिना कथन-अपेक्षा विचार किए तथ्य को एकांगी दृष्टि से विवेचित किया जाता है। सभी धान बाईस पसेरी नहीं होता।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-80009747939387360642012-08-11T13:51:46.828+05:302012-08-11T13:51:46.828+05:30जी . आभार | मैं नाम नहीं लिखना चाहती थी :) क्योंक...जी . आभार | मैं नाम नहीं लिखना चाहती थी :) क्योंकि इस पर ग्यानी ब्राह्मणों से मेरी पहले चर्चा हो चुकी है और फिर बात भृगु ऋषि की महानता तक पहुँच जाती है |<br /><br />यह वाक्य भी - "लक्ष्मी जी तो चंचल होती हैं" - यह जनेरलाइजेशन अजीब सा लगता है मुझे | वह भी उनके लिए , जिन्हें हम एक तरफ "जगद्जननी" , अपनी माता मानते हैं , और दूसरी और सिर्फ "धन की अधिष्ठात्री देवी और "स्त्री दुर्गुण" चंचलता युक्त भी उसी सांस में कह देते हैं | - अपनी माँ को चंचला कहना अजीब नहीं है क्या ?Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-69650720717690515792012-08-11T07:27:53.031+05:302012-08-11T07:27:53.031+05:30महात्मा नहीं महा-तमा ...महात्मा नहीं महा-तमा ...Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-44316333066531726982012-08-10T20:02:47.332+05:302012-08-10T20:02:47.332+05:30क्रोध ताप, संताप भरी पोशाक!!क्रोध ताप, संताप भरी पोशाक!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-31304333907182849222012-08-10T19:59:12.368+05:302012-08-10T19:59:12.368+05:30सही कहा अनुराग जी,
साधारण कर्मयोगियों के सरल सहज श...सही कहा अनुराग जी,<br />साधारण कर्मयोगियों के सरल सहज शान्त अवदान पर ही समाज टिका हुआ है।<br /><br />श्री कृष्ण जन्माष्टमी की अनंत शुभकामनायें!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-82714932251197632102012-08-10T19:13:13.282+05:302012-08-10T19:13:13.282+05:30क्रोध की पोशाक और महात्मा...?क्रोध की पोशाक और महात्मा...?संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-20224600298260388372012-08-10T16:59:59.670+05:302012-08-10T16:59:59.670+05:30महात्म्य भीतर तक रसा-बसा नहीं तो उड़ जाते देर नहीं ...महात्म्य भीतर तक रसा-बसा नहीं तो उड़ जाते देर नहीं लगती।<br />रजक तो सहज ही अन्दरूनी पालक था।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-35915784256583603712012-08-10T16:52:07.764+05:302012-08-10T16:52:07.764+05:30इस कथा के माध्यम से बहुत सुन्दरता से अंतर को स्पष्...इस कथा के माध्यम से बहुत सुन्दरता से अंतर को स्पष्ट किया है। मैले मन के साथ कितने भी साफ़ कपड़ॆ पहनकर कैसा भी महात्मा बनने का ढोंग किया जाये सब बेकार है। समाज में साधारण बनकरचुपचाप सफ़ाई करने वालों के दम पर ही समाज टिका हुआ है।<br /><br />जन्माष्टमी की शुभकामनायें!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-80853853985125362002012-08-10T16:47:09.045+05:302012-08-10T16:47:09.045+05:30वे भृगु ॠषि थे।
जिसके पास विनम्रता है वही तो महान ...वे भृगु ॠषि थे।<br />जिसके पास विनम्रता है वही तो महान है।<br />बाकी लक्ष्मी जी तो वैसे भी चंचल है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-44543703579574763152012-08-10T16:44:01.255+05:302012-08-10T16:44:01.255+05:30सही कहा रविकर जी,
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामन...सही कहा रविकर जी,<br />श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-4536270668687383542012-08-10T14:43:05.342+05:302012-08-10T14:43:05.342+05:30महात्मा का महात्म्य एक रजक के सम्मुख तुच्छ साबित ह...महात्मा का महात्म्य एक रजक के सम्मुख तुच्छ साबित हो गया.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-84530048051779474762012-08-10T13:23:30.730+05:302012-08-10T13:23:30.730+05:30श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें...
@ post - ...श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें...<br /><br />@ post - आभार | <br /><br />एक ब्रह्मर्षि थे - जो परीक्षा लेने गए की विष्णु, ब्रह्मा, और शिव में बड़ा कौन ( वैसे क्या मानव इतना बड़ा है की वह यह नाप सके ? जैसे कोई KG का बच्चा यह निर्णय लेना चाहे कि head master बड़े हैं या principal ? ) | <br /><br />अपना "उचित स्वागत" न होने पर क्रुद्ध हो गए, और विष्णु के वक्ष स्थल पर लात मार दी | और विष्णु जी बोले - हे महात्मन, आपके चरण कोमल हैं, और मेरी छाती कठोर है | आपको कष्ट हुआ होगा मुझे मार कर | और उनसे इस "कष्ट" के लिए क्षमा मांगी | अब बड़ा कौन ? ( हाँ - विष्णु तो क्रुद्ध नहीं हुए थे, किन्तु लक्ष्मी जी जो विष्णु जी के ह्रदय में वास करती हैं, वे नाराज हो गयीं, और वे महात्मन लक्ष्मी से सदा को दूर हो कर दरिद्र हुए | )Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-37280190853631830062012-08-10T12:19:30.725+05:302012-08-10T12:19:30.725+05:30आभार, कुसुमेश जी,
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामन...आभार, कुसुमेश जी,<br />श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-52561772815166569932012-08-10T11:49:25.990+05:302012-08-10T11:49:25.990+05:30वाह महात्मन बन्दगी, दिया गन्दगी धोय |
शांत-चित्त ...वाह महात्मन बन्दगी, दिया गन्दगी धोय |<br />शांत-चित्त धोबी असल, साधु कुदरती होय |<br /><br />जन्माष्टमी की शुभकामनायें ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com