tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post7594645264157555132..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: कटी पतंगसुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-26970636487859557252011-01-18T12:29:53.402+05:302011-01-18T12:29:53.402+05:30डोर के माध्यम से कितना कुछ कह दिया आपने .. ये सच ह...डोर के माध्यम से कितना कुछ कह दिया आपने .. ये सच है की अनुशासन की डोर में बंध कर ही मंजिल पाई जा सकती है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-21723686228364383662011-01-16T19:53:48.350+05:302011-01-16T19:53:48.350+05:30आज आपकी पतंग हमें खींच लायी यहाँ ठहर जाने के लिए ...आज आपकी पतंग हमें खींच लायी यहाँ ठहर जाने के लिए ...शुक्रियाकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-66848615178222163932011-01-15T20:12:19.287+05:302011-01-15T20:12:19.287+05:30बिल्कुल सही यथार्थ का वर्णन किया है आपने। बाकी प्र...बिल्कुल सही यथार्थ का वर्णन किया है आपने। बाकी प्रतुल ने तो इतनी व्याख्या कर दी है पतंग कि कि अब बार बार पढ़ने पर इस यथार्थ चिंतन के अनेकार्थ निकलने लगेंगे .....बेहतर है....पर यर्थाथ वही है जो इस में है......Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-15814964568366649452011-01-15T19:12:41.852+05:302011-01-15T19:12:41.852+05:30पतंग के माध्यम से बहुत गहन दर्शन प्रस्तुत कर दिया ...पतंग के माध्यम से बहुत गहन दर्शन प्रस्तुत कर दिया आपने..बहुत सुन्दरKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-54866067292330805982011-01-15T18:29:43.581+05:302011-01-15T18:29:43.581+05:30आप सभी का आभार, इस प्रस्तुतिकरण की सराहना के लिये।...आप सभी का आभार, इस प्रस्तुतिकरण की सराहना के लिये।<br /><br />अब आप इसे 'सुबोध' पर भी पढ सकते है:<br />http://sugya-subodh.blogspot.com/सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-31331879822241835472011-01-15T16:22:03.180+05:302011-01-15T16:22:03.180+05:30very nice..
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Lyrics Mantra
B...very nice..<br />Please visit my blog.<br /><br /><a href="http://lyrics-mantra.blogspot.com/" rel="nofollow">Lyrics Mantra</a><br /><a href="http://www.bannedarea.blogspot.com/" rel="nofollow">Banned Area News</a>ManPreet Kaurhttps://www.blogger.com/profile/17999706127484396682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-611612892812267142011-01-15T15:28:47.825+05:302011-01-15T15:28:47.825+05:30प्रतुल जी,
शानदार अर्थघटन किया, सभी पाठको ने भी ज...प्रतुल जी,<br /><br />शानदार अर्थघटन किया, सभी पाठको ने भी जोरदार सारयुक्त प्रतिभाव दिए। <br /><br />गौरव जी आते तो मजा दुगुना हो जाता…सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-8669940571831017562011-01-15T15:18:58.142+05:302011-01-15T15:18:58.142+05:30.
कटी पतंग ने अहंकार और अतीव महत्वाकांक्षा की परि....<br /><br />कटी पतंग ने अहंकार और अतीव महत्वाकांक्षा की परिणति को अपने हाल-चाल से बयाँ कर दिया. <br />जो नियमों की डोर से बँधा है वही सुखी है. <br />स्वतंत्रता का सही अर्थ भी यही कि स्वयं पर शासन करना अथवा स्वयं को नियमों से बाँधना, मतलब ये कि खुद को उसूलों के खूँटे से बाँधना. <br />इस कथा ने ही मुझसे इतना श्रम करवाया है कि पतंग के अर्थ करने में जुटा हूँ. पतंग के सभी सन्दर्भ खोल-खोलकर देख रहा हूँ. <br />आपको इस प्ररक कथा के लिये साधुवाद. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-89899387557267917072011-01-15T15:15:20.131+05:302011-01-15T15:15:20.131+05:30प्रतुल जी,
ब्लॉग-जगत के आकाश पर जोरदार पतंगबाजी च...प्रतुल जी,<br /><br />ब्लॉग-जगत के आकाश पर जोरदार पतंगबाजी चल रही है। सारे विचारक वहीं व्यस्त है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-54904783943794900602011-01-15T15:08:00.229+05:302011-01-15T15:08:00.229+05:30.
लो जी पता कर आया....
"उदित उदयगिरी मंच पर....<br /><br />लो जी पता कर आया.... <br />"उदित उदयगिरी मंच पर, रघुवर बालपतंग. <br />बिकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन भृंग.<br />सुज्ञ जी के इस चिंतन-यज्ञ में हमारी भी सभी को शुभकामनाएँ. <br /><br />कथा पर अभी कुछ कहता हूँ. बस दो मिनट ...<br /><br />..प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-18042577021644200332011-01-15T15:00:41.647+05:302011-01-15T15:00:41.647+05:30प्रतुल जी,
पतंग के विभिन्न अर्थ, भावार्थ और व्याख...प्रतुल जी,<br /><br />पतंग के विभिन्न अर्थ, भावार्थ और व्याख्या तो शानदार प्रस्तुत की। आभार!!<br /><br />इस कथा पर भी कुछ कहिए न…सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-24765073579532941982011-01-15T14:55:32.992+05:302011-01-15T14:55:32.992+05:30.
दोहे का अर्थ भी काफी आनंद देगा, जिसे नहीं पता ह....<br /><br />दोहे का अर्थ भी काफी आनंद देगा, जिसे नहीं पता हो वह आस-पास से पूछे. <br />मैं भी पिताजी के पास जाकर इस दोहे को पूरा पताकर विस्मृति को पक्की स्मृति में बदलता हूँ. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-16465589549052554332011-01-15T14:52:13.103+05:302011-01-15T14:52:13.103+05:30.
... किन्तु वर्तमान में 'पतंग' का रूढ़ ....<br /><br />... किन्तु वर्तमान में 'पतंग' का रूढ़ अर्थ 'हवा में उड़ने वाली गुड्डी' और पतंगे का अर्थ फतिंगे से लिया जाता है. <br />तुलसीदास जी का मुझे एक अर्धविस्मृत दोहा याद आ रहा है. <br />"उदित उदयगिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग. <br />........................................ लोचन भंग. <br />[कृपया जिस सज्जन को याद हो मुझे याद करायें]<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-56752722802185498582011-01-15T14:49:45.911+05:302011-01-15T14:49:45.911+05:30.
— नौका ..... [जो तट पर खड़े (गिरे) लोगों को पार....<br /><br />— नौका ..... [जो तट पर खड़े (गिरे) लोगों को पार लगाती है अथवा पतितों का उद्धार करती है.] ..... अब 'पतवार' का अर्थ आप स्वयं लगाएँ..<br />[ध्यान रहे पत का अर्थ लज्जा और प्रतिष्ठा भी होता है, केवल गिरना ही नहीं.]<br />— मक्खी [गंध के वशीभूत होकर गंधित वस्तु पर चिपके (गिरे) रहने वाले छोटे जीव]<br />— कृष्ण का एक नाम [क्योंकि वे ऐसे व्यक्ति थे जिसने सदैव स्वयं को अहंकार से गिराया] सुदामा का प्रकरण हो या फिर कुब्जा से प्रेम का अथवा अर्जुन के सारथी बनने का. <br />— महुआ [वृक्ष.. जिसके पतित फलों से बनी शराब पीने वालों को मस्ती में विभोर (शिष्टता से गिरा देती) करती है.<br />— पिशाच ..... [भयावह अतीत जो निरंतर हतोत्साहित करता (उत्साह को गिराता) है. <br />— घोडा ..... [दौड़कर दूरी को घटाने (गिराने) वाला जीव] <br />— स्फुलिंग/ चिनगारी ..... [जलकर गिरने वाला अंश] <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-59334647161499790502011-01-15T14:49:09.371+05:302011-01-15T14:49:09.371+05:30.
इस कारण पतंग कइयों का संबोधनसूचक हुआ करता था : ....<br /><br />इस कारण पतंग कइयों का संबोधनसूचक हुआ करता था : <br />— पक्षी ..... [जिनके अंग (पंख) निरंतर झड़ते रहते हैं.]<br />— सूर्य ..... [जिसकी पतित (गिरती) किरणों से ऊर्जा पाकर सम्पूर्ण सौर्यमंडल संचालित है.]<br />— फतिंगा ..... [जिसके अंग/पंख झड़ते ही मृत्यु हो जाती है] <br />— शरीर ..... [जिसका निरंतर क्षय होता है.] <br />— जल ..... [जिसका स्वभाव ही निचली सतह पर फिसलना है... पतित होना है.] <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-48244452182502966492011-01-15T14:47:42.695+05:302011-01-15T14:47:42.695+05:30.
पतंग अर्थात जिसके अंग पतित होते हों अथवा गिरते ....<br /><br />पतंग अर्थात जिसके अंग पतित होते हों अथवा गिरते हों. <br />पतंग का सम्पूर्ण अर्थ है ...... जिसके अंग क्षरणशील हों. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-91839352044748046332011-01-15T14:47:06.584+05:302011-01-15T14:47:06.584+05:30.
संस्कृत भाषा में 'पतंग' का अर्थ पक्षी औ....<br /><br />संस्कृत भाषा में 'पतंग' का अर्थ पक्षी और सूर्य आदि से है. जबकि <br />हिंदी भाषा में 'पतंग' का अर्थ वायु में उड़ने वाला कागज़ी खिलौना है. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-11962012010976006082011-01-15T11:06:27.506+05:302011-01-15T11:06:27.506+05:30kahan uchaiyon pe le jakar.....jamin pe patak diye...kahan uchaiyon pe le jakar.....jamin pe patak diye<br /><br />kahan se itne achhe nagine chun ke late hain bhai.<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-79492765815540315372011-01-15T09:54:09.873+05:302011-01-15T09:54:09.873+05:30आपकी दिल को छू गयी , लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार...आपकी दिल को छू गयी , लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाईMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-23485336089502377652011-01-15T07:22:40.148+05:302011-01-15T07:22:40.148+05:30मकर संक्रांति पर अच्छी बोध कथा.मकर संक्रांति पर अच्छी बोध कथा.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-59187183521946130502011-01-15T01:41:02.579+05:302011-01-15T01:41:02.579+05:30kitni achchhi sikh........ sunder prastuti.kitni achchhi sikh........ sunder prastuti.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-30351291923692223282011-01-14T23:48:55.671+05:302011-01-14T23:48:55.671+05:30उफ्फ! क्या ही सुंदर विश्लेषण है!!उफ्फ! क्या ही सुंदर विश्लेषण है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-24663305946523153092011-01-14T23:13:00.945+05:302011-01-14T23:13:00.945+05:30वाह!!! पतंग के माध्यम से क्या ज़बरदस्त सीख दी आपने...वाह!!! पतंग के माध्यम से क्या ज़बरदस्त सीख दी आपने...Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-55460658037504525102011-01-14T21:51:38.746+05:302011-01-14T21:51:38.746+05:30प्रकृति में सर्वत्र परस्पर निर्भरता है। इससे इतर ज...प्रकृति में सर्वत्र परस्पर निर्भरता है। इससे इतर जीवन संभव नहीं।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-15227188625118013182011-01-14T21:31:33.716+05:302011-01-14T21:31:33.716+05:30सार्थक लेखन, पंतग के माघ्यम सेसार्थक लेखन, पंतग के माघ्यम सेDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.com