tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post7489347996972243724..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: विनम्रतासुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-90547391039218983032013-05-28T12:37:40.750+05:302013-05-28T12:37:40.750+05:30मेरी समझ से विनम्रता आंतरिक सोच का एक फ़ल है, जो...मेरी समझ से विनम्रता आंतरिक सोच का एक फ़ल है, जो स्वयं के द्वारा स्वयं के (पेड)मन पर पैदा होता है. और यह हमेशा ही सुस्वादु और गुण्कारी होता है. दूसरी तरफ़ बाजार से खरीद कर (ओढी हुई)लाया गया फ़ल है जो ज्यादा टिकाऊ नही होता है.<br /><br />यदि व्यक्ति अपनी सोच से ही विनम्र है तो उसे दिखावे की आवश्यकता नही पडती, इसके विपरीत की विनम्रता की पोल खुलने में जरा भी समय नही लगता.<br /><br />बहुत ही उम्दा आलेख.<br /><br />रामराम. ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-71556558174336344922011-05-18T19:06:53.987+05:302011-05-18T19:06:53.987+05:30विनम्रता आत्मशक्ति है , पर सीमा से अधिक नहीं , क्य...विनम्रता आत्मशक्ति है , पर सीमा से अधिक नहीं , क्योंकि वह कमजोरी बन जाती हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-11467223763451422682011-05-18T17:10:52.248+05:302011-05-18T17:10:52.248+05:30.
विनम्रता हृदय को विशाल, स्वच्छ और ईमानदार बनाती....<br /><br />विनम्रता हृदय को विशाल, स्वच्छ और ईमानदार बनाती है। यह आपको सहज सम्बंध स्थापित करने के योग्य बनाती है। विनम्रता न केवल दूसरों का दिल जीतने में कामयाब होती है अपितु आपको अपना ही दिल जीतने के योग्य बना देती है...<br /><br />Great thoughts !<br /><br />Thanks Sugya ji.<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-13329120998288372732011-05-18T16:09:27.220+05:302011-05-18T16:09:27.220+05:30सार्थक पोस्ट ..शुभकामनायेंसार्थक पोस्ट ..शुभकामनायेंAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-17281224524602664232011-05-17T23:52:34.850+05:302011-05-17T23:52:34.850+05:30विनम्रता पर बहुत बढ़िया लिखा है आपने
साभार
विवेक...विनम्रता पर बहुत बढ़िया लिखा है आपने <br />साभार<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-31663320663590459322011-05-17T19:55:23.319+05:302011-05-17T19:55:23.319+05:30Vinamra insaan kee har jagah kadra hoti hai....
ba...Vinamra insaan kee har jagah kadra hoti hai....<br />bahut sundar vinamra prastuti ....कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-62993576151966841102011-05-17T17:51:32.930+05:302011-05-17T17:51:32.930+05:30बहुत बढ़िया लिखा है आपने
विनम्रता जीवन का एक आभूष...बहुत बढ़िया लिखा है आपने <br />विनम्रता जीवन का एक आभूषण है <br />शुभकामनयेDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-68363015913045745692011-05-17T15:17:20.660+05:302011-05-17T15:17:20.660+05:30अहंकारी दूसरों की मुश्किलों के लिए उन्हें ही जिम्म...अहंकारी दूसरों की मुश्किलों के लिए उन्हें ही जिम्मेवार कहता है और उनकी गलतियों पर हंसता है। अपनी मुश्किलो के लिए सदैव दूसरों को जवाबदार ठहराता है और लोगों से द्वेष रखता है.<br /><br /><br />यह बात बिल्कुल सही लिखी है ... बहुत सटीक और सार्थक लेख ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-62403968537265045912011-05-17T13:41:24.514+05:302011-05-17T13:41:24.514+05:30गौरव जी,
यथार्थ से सहमत होना ही चाहिए, मान मोड़ कर...गौरव जी,<br /><br />यथार्थ से सहमत होना ही चाहिए, मान मोड़ कर !!<br />अच्छे विचार सदैव ही मिलते है।<br />रश्मि जी, संजय जी और दीप जी को प्रतिटिप्पणी देने का यह आशय नहीं है कि मैं 'अति'सिद्धांत से सहमत नहीं, मैं सापेक्षता के सिद्धान्त का अनुसरण करता हूँ।<br /><br />और फिर विपरित विचारों को तो अधिक सम्मान मिलना चाहिए……दो फायदे होते है। एक तो आपको अपनी बात को अधिक स्पष्ठ करने का अवसर मिल जाता है या दो, आपको अपने विचार शुद्ध करने का मूल्यवान चांस!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-14722323926618019912011-05-17T13:17:36.621+05:302011-05-17T13:17:36.621+05:30सुधार :
#...इसका मतलब हुआ की मेरे और सुज्ञ जी एक...सुधार : <br /><br />#...इसका मतलब हुआ की मेरे और सुज्ञ जी एक विचार इसा विषय पर भी मिलते हैं :) <br /><br />...को ऐसे पढ़ें ...<br /><br />@इसका मतलब हुआ की मेरे और सुज्ञ जी के विचार इस विषय पर भी मिलते हैं :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-22747966034542103422011-05-17T13:12:42.778+05:302011-05-17T13:12:42.778+05:30हाँ .. तो इसका मतलब हुआ की मेरे और सुज्ञ जी एक वि...हाँ .. तो इसका मतलब हुआ की मेरे और सुज्ञ जी एक विचार इसा विषय पर भी मिलते हैं :) लेख तो अपने आप में सम्पूर्ण है ही ........ पाण्डेय जी भी सहमत हैं ..<br /><br />एक राज की बात :<br /><br />सुज्ञ जी के विचार पढने (ओपिनियन जानने )के लिए भी इस तरह के डिस्क्लेमर यूज किये जाते हैं :)<br /><br />@"जरूरी नहीं की लेखक महोदय मेरे विचारों से सहमत हों :) "<br /><br />क्योंकि सुज्ञ जी के विचार पढना सदैव आनंद देता है .... उनमे हमेशा परफेक्शन होता हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-20787151481323836192011-05-17T12:36:30.427+05:302011-05-17T12:36:30.427+05:30गौरव (ग्लोबल) जी,
इस बात से सहमत हूँ
@"मेरे...गौरव (ग्लोबल) जी,<br /><br />इस बात से सहमत हूँ<br /><br />@"मेरे ख़याल से बात अति की नहीं 'दूरदृष्टि की कमी' की है विनम्रता के साथ किया गया व्यवहार एक बीज की तरह है अब अगर आप ऐसी मन की धरती में बीज बोने की कोशिश कर रहे हैं जहां कुछ उगने की संभावना ही नहीं है , तब तो गलती अपनी ही है , मतलब दूरदृष्टि की कमी है , एक दूसरी बात ये भी है की फसल कभी कभी लेट उगती है"<br /><br />और मैने कहा भी है कि- "जबकि यथार्थ स्वरूप में विनम्रता आपमें गज़ब का धैर्य पैदा करती है।"<br />@"दूरदृष्टि + धैर्य + विनम्रता = मन की धरती में लहलहाती सदभावना की फसल"<br />मैं मानता हूँ विनम्रता के साथ ही विशालदृष्टि, दूरदृष्टि और धैर्य खीचे चले आते है। या समाहित ही होते है।<br /><br />@गुण कोम्बिनेशन के साथ यूजफुल होते हैं <br /><br />सही कहा गौरव जी, और गुणों का अपना प्राकृतिक कोम्बिनेशन होता है। जैसे सावन मे बारिश के बाद स्वतः मेघधनुष की रचना होती है, प्रकृति को रंग बिखेरने नहीं पडते। हर गुण कई गुणो का समुच्य होता है। और दूसरे गुणो पर सवार होकर ही आते है और आगे के गुण भी रचते चलते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-33222577590628779232011-05-17T12:31:52.497+05:302011-05-17T12:31:52.497+05:30गौरव की दूरदृष्टि + धैर्य + विनम्रता और इनकी सह...गौरव की दूरदृष्टि + धैर्य + विनम्रता और इनकी सही मात्र वाली बात में दम है..VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-64883981977754620112011-05-17T12:25:20.873+05:302011-05-17T12:25:20.873+05:30sad-aacharan ka pratham vyabhar 'vinamrata'...sad-aacharan ka pratham vyabhar 'vinamrata' hi hai......<br /><br />sahi hai ke 'ati' kisi bhi baat ko bura bana deta hai......<br /><br />aur is 'ati' ki sima vyktigat hota hai..........<br /><br />jitni sundar path utni achhi tippani............<br /><br />annandam...annandam....<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-384627295125037192011-05-17T12:01:44.944+05:302011-05-17T12:01:44.944+05:30दीप जी,
@जैसा मेरा शारीरिक व्यक्तित्व देखकर लोगों ...दीप जी,<br />@जैसा मेरा शारीरिक व्यक्तित्व देखकर लोगों को मेरी विनम्रता मेरे दब्बुपने जैसी दिखाई पड़ती है.<br /><br />गुणों की शक्ति शारिरिक सौष्ठव में थोडे ही होती है। लडाई में गालियां देना वीरता का परिचायक थोडे ही है। यह हमारी भीरू मानसिकता है। क्यों हम दब्बु नहीं दीखना चाहते? हमारा अहंकार हमें रोकता है, दब्बु दिखने से। और अहंकार और विनम्रता दोनो विपरित गुण है।<br /><br />यह केवल उत्तरभारतीय attitude नहीं है, यह तो मनुष्य मात्र का attitude है। सरलता में स्थित रहना बड़ा मुश्किल होता है और वह गजब की सहनशीलता व धैर्य मांगती है, जबकि दबंग रूख अख्तियार करना सहज हो जाता है। अधूरे में पूरा कारण मिल जाता है कि विनम्रता से कार्य नहीं होता। <br /><br />महाकवि की उक्त काव्य विचारधारा से मैं सहमत नहीं। इसका भावार्थ तो यह हुआ कि गुणों पर भी दबंगो का एकाधिकार होता है। निर्बल को तो क्षमा देने का भी अधिकारी नहीं?<br /><br />उस साधु नें भी सहनशीलता की साधना नहीं की थी, जिसने सांप को न डसने का व्रत दिया और बच्चों द्वारा सताए जाने पर कहता है-'मैने तुझे डसनें को मना किया था, यह नहीं कहा था फुफ्कारना भी मत'। यहां एक स्वसुख निरधारित सीमा पर गुण त्याग का निर्देश है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-28908866897866231312011-05-17T11:39:41.131+05:302011-05-17T11:39:41.131+05:30ये इस विषय पर मेरी अपनी सोच है ..... जरूरी नहीं की...ये इस विषय पर मेरी अपनी सोच है ..... जरूरी नहीं की लेखक महोदय मेरे विचारों से सहमत हों :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-19195833454052252682011-05-17T11:37:37.394+05:302011-05-17T11:37:37.394+05:30स्पष्टीकरण:
दूरदृष्टि + धैर्य + विनम्रता = मन की ...स्पष्टीकरण:<br /><br /><i>दूरदृष्टि + धैर्य + विनम्रता = मन की धरती में लहलहाती सदभावना की फसल </i><br /><br />इस फोर्म्यूले में गुणों की मात्रा परिस्थिति के अनुसार बदल सकती है ,हो सकता है एक परिस्थिति में जो मात्रा 'अति' है दूरी परिस्थिति में वो मात्रा 'सही' हो ..... अध्ययन, चिंतन और अनुभव से अपने आप अनुमान होने लगता है :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-58522765461075271932011-05-17T11:30:51.364+05:302011-05-17T11:30:51.364+05:30लेख में ये लिखा है
@ एक मात्र विनम्रता से सन्तुष्...लेख में ये लिखा है<br /><br />@ एक मात्र विनम्रता से सन्तुष्टि, प्रेम, और साकारात्मकता आपके व्यक्तित्व के स्थायी गुण बन जाते है।<br /><br /><br />मुझे लगता है , इसे तरह से देखे की <br /><br />एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए .. <br /><br />इस आधार पर शुरुआत विनम्रता से की जाये तो कैसा रहेएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-4957434663011347922011-05-17T11:23:39.758+05:302011-05-17T11:23:39.758+05:30मेरे ख़याल से बात अति की नहीं 'दूरदृष्टि की कमी...मेरे ख़याल से बात अति की नहीं 'दूरदृष्टि की कमी' की है विनम्रता के साथ किया गया व्यवहार एक बीज की तरह है अब अगर आप ऐसी मन की धरती में बीज बोने की कोशिश कर रहे हैं जहां कुछ उगने की संभावना ही नहीं है , तब तो गलती अपनी ही है , मतलब दूरदृष्टि की कमी है , एक दूसरी बात ये भी है की फसल कभी कभी लेट उगती है , मतलब <br /><br />दूरदृष्टि + धैर्य + विनम्रता = मन की धरती में लहलहाती सदभावना की फसल<br /><br />[ इसमें कईं इनडायरेक्ट, अप्रत्याशित बेनिफिट भी होते हैं , ]<br /><br />सार बात है..... गुण कोम्बिनेशन के साथ यूजफुल होते हैंएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-20797945109525120972011-05-17T10:53:23.378+05:302011-05-17T10:53:23.378+05:30इस चर्चा में आनंद आ गया सच्ची, और शायद पाण्डेय जी...इस चर्चा में आनंद आ गया सच्ची, और शायद पाण्डेय जी की नयी धमाकेदार पोस्ट का संभावित विषय भी पता चल गया :))एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-29394006169866801502011-05-17T10:29:59.022+05:302011-05-17T10:29:59.022+05:30सुज्ञ जी प्रणाम,
अपने एक बहुत ही बढ़िया बात कही ...सुज्ञ जी प्रणाम,<br /><br /><br />अपने एक बहुत ही बढ़िया बात कही है और जो रही सही कसर थी वो संजय जी की टिपण्णी का जवाब देकर अपने पूरी कर दी है. वास्तव में बेहतरीन लेख. मैं भी अपने जीवन में विनम्र होने का भरसक प्रयत्न करता हूँ पर लाल बहादुर शाश्त्री जैसा मेरा शारीरिक व्यक्तित्व देखकर लोगों को मेरी विनम्रता मेरे दब्बुपने जैसी दिखाई पड़ती है. हम उत्तरभारतीय एक विशेष attitude होता है की हम पहले अपना रोब दिखा कर सामने वाले को अपने बस में करना चाहते हैं. हम लोग तो विनम्रता को दब्बूपन ही समझते हैं. उत्तभारातियों के इस दृष्टि कोण पर एक पूरी पोस्ट लिखी जा सकती है. उत्तर भारतीयों की मानसिकता को एक महाकवि के शब्दों को कुछ परिवर्तित करके कहना चाहूँगा..<br /><br /><br />विनय शोभता उस मलंग को <br /><br />जिसके पास मजबूत बदन,<br /><br />उसको क्या जो <br /><br />डेढ़ पसली बके <br /><br />नम्र वचन.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-83393684205968835642011-05-17T10:05:09.155+05:302011-05-17T10:05:09.155+05:30विनम्रता वह गुण है जो जन्म के साथ मिलता है लेकिन ...विनम्रता वह गुण है जो जन्म के साथ मिलता है लेकिन जिन्हें नहीं मिलता उन्हें भी इस गुण को साधने का प्रयास करना चाहिए। बहुत अच्छा आलेख दिया है आपने।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-73893382364070853602011-05-17T09:36:23.687+05:302011-05-17T09:36:23.687+05:30शायद ऐसा हर व्यक्ति महसूस करता है, आपने उन्हें अ...शायद ऐसा हर व्यक्ति महसूस करता है, आपने उन्हें अच्छी तरह शब्दों में पिरोया है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-15897918901886394372011-05-17T08:40:12.116+05:302011-05-17T08:40:12.116+05:30बहुत सुन्दर और उपयोगी आलेख। लेख के साथ ही मैं आपकी...बहुत सुन्दर और उपयोगी आलेख। लेख के साथ ही मैं आपकी टिप्पणॆए से भी सहमत हूँ, विनम्रता एक व्यवहार भी है और आदत भी। उसकी सीमा नहीं होती है। एक शिष्ट व्यक्ति असहमति और विरोध में भी विनम्र प्रयास करेगा। जो विनम्र है उसे प्रयास भी क्या करना।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-25863622839595730572011-05-17T08:20:30.671+05:302011-05-17T08:20:30.671+05:30बहुत बढ़िया लिख रहे हैं सुज्ञ जी.
सहमत.बहुत बढ़िया लिख रहे हैं सुज्ञ जी.<br />सहमत.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.com