tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post2967506102367708996..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: सपेरों का एक ब्लॉग-माध्यमसुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-61363318548257469652011-10-23T00:32:34.550+05:302011-10-23T00:32:34.550+05:30सुज्ञ जी, आप तो पहुँचे हुए कवि हैं। शुभकामनायें!सुज्ञ जी, आप तो पहुँचे हुए कवि हैं। शुभकामनायें!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-16915868981398699812010-10-28T16:01:51.583+05:302010-10-28T16:01:51.583+05:30यह रचना इंसान की फितरत को बता रही है ....यह केवल ब...यह रचना इंसान की फितरत को बता रही है ....यह केवल ब्लॉग जगत की बात नहीं समस्त जग की बात है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-78061363775892622242010-10-27T14:33:13.231+05:302010-10-27T14:33:13.231+05:30bahot achchi lagi.bahot achchi lagi.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-18897452819335246272010-10-27T12:59:17.122+05:302010-10-27T12:59:17.122+05:30ब्लागजगत की हकीकत को ब्याँ करती रचना........
हर चे...ब्लागजगत की हकीकत को ब्याँ करती रचना........<br />हर चेहरे पर नकाब दर नकाब दर नकाब...Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-17464330099563939982010-10-27T11:52:05.956+05:302010-10-27T11:52:05.956+05:30.
जब मजमा लगता है तो सभी आ खड़े होते है.
मनोरंजन ....<br />जब मजमा लगता है तो सभी आ खड़े होते है. <br />मनोरंजन करना दबे-छिपे रूप में ही सही हमारे स्वभाव में ही है. <br />क्या राहगीर क्या दुकानदार, <br />क्या टिप्पणीकर्ता क्या पोस्ट-मास्टर, <br />क्या विचारक क्या विचार से रंक,<br />....... सब के सब ईर्ष्या-द्वेष वाले 'सपेरे के खेल' में नज़रें गढ़ाए दिखते हैं. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-84751155482911106702010-10-27T10:47:01.166+05:302010-10-27T10:47:01.166+05:30हम तो ब्लॉगिंग को ज़हरमोहरा मानते आये थे,
हाँ, अब ल...<i><br />हम तो ब्लॉगिंग को ज़हरमोहरा मानते आये थे,<br />हाँ, अब लगता है कि, आप ही सही हो.. मैं गलत था ।<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-696266930070536872010-10-27T07:22:33.417+05:302010-10-27T07:22:33.417+05:30बहुत जानदार!बहुत जानदार!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-70645556031516686882010-10-27T00:47:12.614+05:302010-10-27T00:47:12.614+05:30वाह! सुज्ञ जी, क्या खूब जोरदार रचना है!
उम्दा प्रस...वाह! सुज्ञ जी, क्या खूब जोरदार रचना है!<br />उम्दा प्रस्तुति!Niranjan Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08597819389525467318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-40011084013847434262010-10-26T23:40:00.669+05:302010-10-26T23:40:00.669+05:30सही कहा जगत में सभी बस परपीड़ा से अपना मनोरंजन ही...सही कहा जगत में सभी बस परपीड़ा से अपना मनोरंजन ही कर रहे है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-55535029879498387052010-10-26T22:21:05.735+05:302010-10-26T22:21:05.735+05:30हंसराज जी! आप सुज्ञ हैं!! इसलिए आपने जो लाइनें लिख...हंसराज जी! आप सुज्ञ हैं!! इसलिए आपने जो लाइनें लिखी हैं, उनपर मेरा साधुवाद स्वीकार करें... रही बात बिटविन द लाइंस पढने की तो वो तो हमें पढना ही नहीं आता!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-44062005007086857132010-10-26T21:51:55.530+05:302010-10-26T21:51:55.530+05:30परपीडन का मनोरंजन है, बैचेनी बदकार लिए॥
----------...परपीडन का मनोरंजन है, बैचेनी बदकार लिए॥<br />---------------------------------------<br />कमाल की सोच..... हर शब्द विचारणीय है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-58218962017934606532010-10-26T21:30:55.170+05:302010-10-26T21:30:55.170+05:30वाह बहुत बढ़िया रचना .....वाह बहुत बढ़िया रचना .....समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-84608013586447991872010-10-26T21:21:56.835+05:302010-10-26T21:21:56.835+05:30.
प्रभावशाली प्रस्तुति।
..<br /><br />प्रभावशाली प्रस्तुति। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-46991796697072063522010-10-26T20:57:45.299+05:302010-10-26T20:57:45.299+05:30ऊपर मेरे उद्धरण में " रे अश्वसेन, तेरे वंशज...ऊपर मेरे उद्धरण में " रे अश्वसेन, तेरे वंशज..." पढ़ा जाय ‘तेरी’ नहीं। धन्यवाद!जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-44609226798150480552010-10-26T20:56:40.739+05:302010-10-26T20:56:40.739+05:30नाग नागिनों और उस्तादों का टिपियाना शुरू हो चुका ह...नाग नागिनों और उस्तादों का टिपियाना शुरू हो चुका है -अंत में बताईयेगा कितने सांप कितने नाग कितनी नागिनियाँ और कितने उस्ताद यहाँ नमूदार हुए और कितनी केंचुले बदली गयीं !<br />सीधे हो सुज्ञ ....और मेरी पोस्ट का इस्तेमाल अपने केवल अपनी इस पोस्ट को प्रोमोट करने के लिए किया ..यह आचारानुकूल नहीं भाई ! आगे से ध्यान रखियेगा !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-21914020590773855062010-10-26T20:52:25.916+05:302010-10-26T20:52:25.916+05:30सुज्ञ जी,
‘परपीडन का मनोरंजन है’
यहाँ 'Stop c...सुज्ञ जी,<br /><br />‘परपीडन का मनोरंजन है’<br />यहाँ 'Stop cruelty against animals' के उद्घोष की याद दिलाती है यह पंक्ति।<br /> <br />‘महाभयंकर नागराज अब, मानव के अनुकूल हुए।’<br />यहाँ तो राष्ट्रकवि दिनकर जी की वे पंक्तियाँ याद आ गयीं कि- "रे अश्वसेन! तेरी वंशज...."<br /><br />‘सम्वेदना के फ़ूल ही क्या, भाव सभी बस शूल हुए।’<br />यह चित्र यथार्थपरक है...बधाई!<br /><br />सुज्ञ जी, इस सबसे इतर, कुछ जगहों पर मुद्रण-दोष रह गये हैं। यथा-<br />‘फ़ूफ़कार’<br />‘फ़ुफ़्कार’<br />‘फ़िरते’ <br />‘कितने’<br />‘छाब’<br />‘नईं’<br />‘फ़ूल’<br />‘परपीडन’<br />‘मशगूल’ आदि।<br />________________________________<br />यदि आप अनुमति दें, तो इस संदर्भ में ‘शुद्ध भाषा-लेखन’ पर एक आलेख अपने ब्लॉग पर लिखूँ।<br /><br />एक बात और... यदि हम-आप एक-दूसरे की सिर्फ़ प्रशंसा ही करते रहे एवं ग़लतियों पर ध्यानाकर्षण नहीं कराया,तो फिर कुछ सीखने को कहाँ मिलेगा... हमे आपसे और आपको दूसरों से? है कि नहीं..?जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauharhttps://www.blogger.com/profile/06480314166015091329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-30945892518507158632010-10-26T20:15:39.331+05:302010-10-26T20:15:39.331+05:30सुज्ञ जी कविता भी पढ़ी और चित्र भी देखा । जबरदस्त...सुज्ञ जी कविता भी पढ़ी और चित्र भी देखा । जबरदस्त हैं। यहां ब्लाग जगत में भी कुछ ऐसा ही लग रहा है कि सपने अपने ब्लाग के पिटारे में एक एक सांप रख लिया है। जो कहने को तो शायद दंत विहीन है,पर जब सपेरे का मन होता है उसके दांत वापस लगा देता है और वह उसकी बीन पर जहर उगलने लगता है। चित्र में एक सपेरा साधु का भेष धरे अपनी एक टांग के बल पर सांप को उत्तेजित करने का प्रयत्न कर रहा है, हालांकि वह जानता है कि सांप दंत विहीन है इसलिए कुछ नहीं करेगा। लेकिन अगर वह दंत विहीन न हो तो शायद उससे भागते भी नहीं बने। पीछे खड़ी भीड़ भी बस मजा लेने के मूड में है लेकिन नहीं जानती कि अगर सांप पिटारे से निकला तो सबको भागना ही पड़ेगा। <br /><br />ब्लाग जगत पर जिस तरह से आजकल ब्लागर अपना खेल दिखा रहे हैं वह भी कुछ इसी तरह का चित्र उपस्िथत कर रहा है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-81067975201498254892010-10-26T20:14:28.900+05:302010-10-26T20:14:28.900+05:30यह सच्चाई है यहाँ की ...हर चेहरा सपेरे का है ! चेह...यह सच्चाई है यहाँ की ...हर चेहरा सपेरे का है ! चेहरे पहचानने आने चाहिए....<br />आपको हार्दिक शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-89334041550554605432010-10-26T19:06:28.721+05:302010-10-26T19:06:28.721+05:30अभिषेक जी,
रचना जी,
आभार आपका आपने भाव को सही पकडा...अभिषेक जी,<br />रचना जी,<br />आभार आपका आपने भाव को सही पकडा।<br /><br />मनोज जी,<br /><br />आभार इस सुंदर टिप्पणी के लिये।<br />सुधार के लिये आभार,टिप्पणी बॉक्स तो ठीक काम कर रहा है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-67045914099703499942010-10-26T18:57:39.856+05:302010-10-26T18:57:39.856+05:30ग़ज़ब की अभिव्यक्ति। काफ़ी विचारोत्तेजक। आभार।
(फ़...ग़ज़ब की अभिव्यक्ति। काफ़ी विचारोत्तेजक। आभार।<br />(फ़ुल=फूल)<br />आपकी टिप्पणी बॉक्स में कुछ सम्स्या है। क्या लिखता हूं दिखता नहीं ठीक से)<br /><a href="http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com/2010/10/blog-post_26.html" rel="nofollow">समकालीन डोगरी साहित्य के प्रथम महत्वपूर्ण हस्ताक्षर : श्री नरेन्द्र खजुरिया<br /></a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-3217526277884675252010-10-26T18:31:12.342+05:302010-10-26T18:31:12.342+05:30wonderful
and very truewonderful <br />and very trueरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-79970260158714506932010-10-26T18:06:45.516+05:302010-10-26T18:06:45.516+05:30अति उत्तम ,
सही नब्ज पकड़ी है आप ने
आप को इस रचना ...अति उत्तम ,<br />सही नब्ज पकड़ी है आप ने <br />आप को इस रचना के लिए बधाईABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.com