tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post940737456757862606..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: मांसाहार करते हुए वनस्पति जीवन पर करूणा क्यों उमड रही है?सुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-2472974061482285422010-08-21T21:26:24.958+05:302010-08-21T21:26:24.958+05:30सबसे अजीबोगरीब टिप्पणी अख्तरखान अकेला जी की रही। इ...सबसे अजीबोगरीब टिप्पणी अख्तरखान अकेला जी की रही। इन्होने तो अपने स्तर पर सर्वेक्षण करवा कर शाकाहारियों को मिलावटखोरी, बेईमानी, धोखाबाजी आदि के लिए शाकाहारियों को दोषी ठहरा दिया।<br />गजब है प्रभु! अखतर खान जी के ज्ञान पर नतमस्तक हूँ।<br />खान साहब ये बताएं जिन मुल्कों में मांसाहार ज्यादा या पहली पसंद है, क्या उन मुल्कों में बेईमानी, धोखेबाजी, मिलावटखोरी नहीं होती?सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-41183147186777412082010-08-20T07:48:42.936+05:302010-08-20T07:48:42.936+05:30रोचक और जानकारीपूर्णरोचक और जानकारीपूर्णArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-53980540597691195822010-08-20T05:10:41.481+05:302010-08-20T05:10:41.481+05:30सुज्ञ जी,
आलेख की प्रस्तुति के लिये आपका आभारी हूँ...सुज्ञ जी,<br />आलेख की प्रस्तुति के लिये आपका आभारी हूँ। आंकडों की फिक्र करने वाले <a href="http://pittpat.blogspot.com/2008/09/blog-post_10.html" rel="nofollow">ब्रिटिश जेल के प्रयोग</a> पर दृष्टिपात कर सकते हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-48973909863217604782010-08-20T02:06:24.761+05:302010-08-20T02:06:24.761+05:30अच्छी जानकारी ...लेकिन बस प्रयास किया जा सकता है....अच्छी जानकारी ...लेकिन बस प्रयास किया जा सकता है....आदतें आसानी से नहीं बदलतीं ...वैसे अब पश्चिम के लोग भी शाकाहार को महत्त्व देने लगे हैं ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-70589507871837041492010-08-19T21:43:09.530+05:302010-08-19T21:43:09.530+05:30bhai muslmano ko shakahaar ka paad dena kuch yes h...bhai muslmano ko shakahaar ka paad dena kuch yes hi hai "bhais ke aage been bajao bhais khadi pagyray"<br /><br />bhai jis aadmi ka dhrm ,saskaar,parivaar use maas khane ki ijjjat dete hai wo kahn se amnega<br /><br />mai sabhi se apeel kerta hu aap jeevo per daya kero permatma aap per daya karegaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-69549927709707739392010-08-19T21:20:54.618+05:302010-08-19T21:20:54.618+05:30@आदरणीय सुज्ञ जी
आपकी एक-२ बात से सौ फ़ीसदी सहमत ...@आदरणीय सुज्ञ जी <br /><br />आपकी एक-२ बात से सौ फ़ीसदी सहमत हूँ और आपकी इस मुहीम में पूरी तरह से आपके साथ हूँ <br /><br />आप ब्लॉग संसद में भी आपनी पोस्ट्स और टिप्पणियों के माध्यम से मांसाहार नामक इस दुष्कृत्य के खिलाफ माहौल बनाने में सहयोग देते रहे <br /><br />एक बार ब्लॉग संसद पर वर्तमान प्रस्ताव सम्बन्धी बहस और मतदान पूरा हो जाए उसके बाद आप अपनी पोस्ट बेहिचक पब्लिश करें<br /><br />महकMahakhttps://www.blogger.com/profile/11844015265293418272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-64137008298704638342010-08-19T20:01:12.959+05:302010-08-19T20:01:12.959+05:30यह सब स्वटिप्पणियां वस्तूत कल के मेरे आलेख का संकल...यह सब स्वटिप्पणियां वस्तूत कल के मेरे आलेख का संकलन है।<br />फ़िर उंचा चढाने का भाव तो है ही, ताकि मुझे टिपाणियों द्वारा नये नये विचार मिले। इस विषय के साथ आत्मिय जुडाव मह्सुस करता हूं<br />आभार आपका पढने के लिये।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-48099309851604626332010-08-19T19:57:33.558+05:302010-08-19T19:57:33.558+05:30जिन देशों में शाकाहार उपलब्ध न था, वहां मांसाहार क...जिन देशों में शाकाहार उपलब्ध न था, वहां मांसाहार क्षेत्र वातावरण की अपेक्षा से मज़बूरन हो सकता है, लेकिन यदि उपलब्ध हो तो शाकाहार हमारी पहली पसंद ही होना चाहिए। और जहां सात्विक पौष्ठिक शाकाहार प्रचूरता से उपलब्ध है वहां तो हमें जीवों को करूणा दान,अभयदान दे ही देना श्रेयस्कर है। <br />सजीव और निर्जीव एक गहन विषय है। जीवन वनस्पतियों आदि में भी है,लेकिन प्राण बचाने को संघर्षरत पशुओं को मात्र स्वाद के लिये मार खाना तो पराकाष्ठा है।<br /> आप लोग तो कहते भी हो कि "मुसलमान शाकाहारी होकर भी एक अच्छा मुसलमान हो सकता है" फ़िर मांसाहार की इतनी ज़िद्द क्यों?,सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-65777841130668824072010-08-19T19:54:00.332+05:302010-08-19T19:54:00.332+05:30धन्यवाद आशिष, शाकाहार पर जब भी जरूरत पडे, चले आना!...धन्यवाद आशिष, शाकाहार पर जब भी जरूरत पडे, चले आना!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-68803734831640002062010-08-19T19:15:05.422+05:302010-08-19T19:15:05.422+05:30शाकाहार सर्वोत्तम आहार!
सहमत! शत-प्रतिशत!शाकाहार सर्वोत्तम आहार!<br />सहमत! शत-प्रतिशत!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-68543005246207491882010-08-19T18:27:40.553+05:302010-08-19T18:27:40.553+05:30अखतर ज़नाब,
आपकी इस बौद्धिक टिप्पणी से तो मैं हत्प्...अखतर ज़नाब,<br />आपकी इस बौद्धिक टिप्पणी से तो मैं हत्प्रभ रह गया।<br />शाकाहारी बे-ईमान होते है वो आंकडे अगर आपके पास हो तो कृपया शीघ्र<br />मुझे भेज दें, मैं मोमिनों को गेहूं का एक दाना न खाने दूं।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-48366765287360381582010-08-19T18:18:46.354+05:302010-08-19T18:18:46.354+05:30अखतर ज़नाब,
मेरे राजस्थान की वीर भूमि का शख्स,भृष्...अखतर ज़नाब,<br /><br />मेरे राजस्थान की वीर भूमि का शख्स,भृष्टाचार के लिये शाकाहार को दोषी ठहरा रहा है,राष्ट्र के नैतिक निर्माण से पहले नवनिर्माण में वक़्त लगानें की सलाह दे रहा है?<br />बेकार की बात?, यदि आपके साहबज़ादे अकारण किसी कीडे को पांवो तले जानकर कुचल दे तो आप उसे कुछ शिक्षा देंगे कि बेकार की बात कहकर चुप रह जायेंगे। जरा बताना?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-22999884787480098832010-08-19T17:56:20.148+05:302010-08-19T17:56:20.148+05:30hnsraaj ji sb apne apne trh se pet paal rhe hen ye...hnsraaj ji sb apne apne trh se pet paal rhe hen yeh bekaar ki chize hen ise apn bdl nhin skte lekin jo log gribon kaa khun chus rhe hen desh ki surkshaa or asmitaa se blaatkaar kr rhe hen unkaa srvekshn krvaa li jiye aapko shayd ptaa hogaa ke maansaahaari km beimaan hote hen jbki shaakaahaariyon men beimaani ki prvrti hoti he aap chahen to jel se aankde le len maarpit men to maansaahaar aage hen or milaavt,bhrstaachaar.lut baeimaani.dhokaadhdi men shaakaharon ka vrchsv he chaaho to aankde uthaakr dekh lo kyun apn aesi baat kren sb apne hmaam men nnge hen isliyen bhulen in bekaar ki chizon ko or desh ke nv nirmaan men apni taaqt lgaayen . akhtar khan akela kota rajsthanआपका अख्तर खान अकेलाhttps://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-20086838273296227142010-08-19T16:15:52.264+05:302010-08-19T16:15:52.264+05:30लोग मुर्दाखोर हैं?
तर्क से तो बिना जान निकले शरीर ...लोग मुर्दाखोर हैं?<br />तर्क से तो बिना जान निकले शरीर मांस में परिणित हो ही नहिं सकता। लाजिक से तो कोई भी मांस मुर्दे का ही होगा। और वह तुक्का ही है कि काटो तो वह मुर्दा नहिं।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-88777954679987480632010-08-19T16:09:01.522+05:302010-08-19T16:09:01.522+05:30जब सभी में जीवन हैं, और उनका प्राणांत हिंसादोष है,...जब सभी में जीवन हैं, और उनका प्राणांत हिंसादोष है, तो क्यों न सबसे उच्च्तम, क्रूर, घिघौना हिंसाजनक दोष अपनाया जाय? है ना आश्चर्य!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-36718486228840144682010-08-19T16:02:43.090+05:302010-08-19T16:02:43.090+05:30"ऐसा कोनसा आहार है,जिसमें हिंसा नहिं होती।&qu..."ऐसा कोनसा आहार है,जिसमें हिंसा नहिं होती।"<br />यह कुतर्क ठीक ऐसा है कि 'वो कौनसा देश है जहां मानव हत्याएं नहिं होती। अतः हत्याओं को जायज मान लिया जाय। और स्वीकार कर लिया जाय और उसे बुरा न बताया जाय। है ना आश्चर्य!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-32606927752783156872010-08-19T15:47:40.038+05:302010-08-19T15:47:40.038+05:30चैतन्य जी,
आभार, आपका ओशो-दर्शन इस विषय में स्पष्ट...चैतन्य जी,<br />आभार, आपका ओशो-दर्शन इस विषय में स्पष्ट है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-19318944108743031892010-08-19T15:20:25.174+05:302010-08-19T15:20:25.174+05:30मनुष्य की आतों (इंटस्टाइन) का इतना लम्बा होना ही ब...मनुष्य की आतों (इंटस्टाइन) का इतना लम्बा होना ही बतया जाता है उसके वस्तुत: शाकाहारी होने को. मेरी दृष्टि में जो जितना सम्वेदंशील है उतना ही कम हिंसक है, भोजन भी उसकी हिंसा का एक आयाम है. महावीर को चीटीं में भी प्राण दिखायी पडते हैं इस कारण वो उन्हें कष्ट न हो इसका ख्याल रखते हैं. हरे फलों में जीवन जान पड़ता है और जीवन का उनके मन में गहरा सम्मान है तो उसे भी बचाने को कहते हैं.सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-71740089349019039392010-08-19T15:11:26.508+05:302010-08-19T15:11:26.508+05:30"एक यह भी कुतर्क दिया जाता है कि शाकाहारी सब्..."एक यह भी कुतर्क दिया जाता है कि शाकाहारी सब्जीओ को पैदा करनें के लिये आठ दस प्रकार के जंतु व कीटों को मारा जाता है।"<br /><br />इन्ही की तरह कुतर्क करने को दिल चाह्ता है:-<br />भाई इतनी ही जीवों पर करूणा आ रही है,तो दोनो को छोड दो,और दोनो नहिं तो पूरी तरह से किसी एक का तो त्याग करो…॥<br /><br />जीव की मांस के लिये जब हत्या की जाती है,तो जान निकलते ही मक्खियां करोडों अंडे उस मुर्दे पर दे जाती है,पता नहीं जान निकलनें का एक क्षण में मक्खिओं को कैसे आभास हो जाता है,उसी क्षण से वह मांस मक्खिओं के लार्वा का भोजन बनता है,जिंदा जीव के मुर्दे में परिवर्तित होते ही उसके मांस में 563 तरह के सुक्ष्म जीव उस मुर्दा मांस में पैदा हो जाते है। और जहां यह तैयार किया जाता है वह जगह व बाज़ार रोगाणुओं के घर होते है, और यह रोगाणु भी जीव होते है। यनि ताज़ा मांस के टुकडे पर ही हज़ारों मक्खी के अंडे,<br />हज़ारो सुक्ष्म जीव,और हज़ारों रोगाणु होते है।<br />कहो, किसमें जीव हिंसा ज्यादा है।, मुर्दाखोरी में या अनाज दाल फ़ल तरकारी में?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-59481658458256737382010-08-19T14:51:02.081+05:302010-08-19T14:51:02.081+05:30यह घोर विडम्बना है कि जो इस्लाम को बदनाम करने के ल...यह घोर विडम्बना है कि जो इस्लाम को बदनाम करने के लिये उसे क्रूरता, हिंसा,जेहाद व आंतक से जोड देना चाहते है,और उसके लिये मांसाहार की क्रुरता को आगे कर उसके क्रूर स्वभाव पर ध्यान केंद्रित करते है। मुसलमान भी उसी मानसिकता का पोषण करते दिखाई देते है। और उन्ही का भरपूर सहयोग करते नज़र आते है। अर्थार्त वे चाह्ते है यह क्रूर ठप्पा सलामत रहे। है ना आश्चर्य है!!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-32857045145239680152010-08-19T14:46:13.275+05:302010-08-19T14:46:13.275+05:30मांसाहार की उपयोगिता व आवश्यकता का भ्रमजाल हटाना आ...मांसाहार की उपयोगिता व आवश्यकता का भ्रमजाल हटाना आवश्यक है।<br />ताकि लोग अपनी पसंद को सौमय सात्विक आधार दे सके।<br /><br />शाकाहार को प्रचार की आवश्यकता ही नहिं है। लेकिन मांसाहार का घ्रणित दुष्प्रचार रोकना आवश्यक है। और फ़िर मांसाहारियो के आहार में भी अधिकांश हिस्सा शाकाहार का ही होता है, आधे से भी अधिक वह शाकाहारी वस्तुएं लेता है।<br />शाकाहार को पूर्णतः छोड कर मानव मात्र मांसाहार पर रह ही नहीं सकता।<br />जरूरत है कुतर्कों द्वारा मांसाहार के भ्रमित प्रचार का, तर्कबद्ध प्रतिकार किया जाय।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.com