tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post9018573707368456298..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: शिष्टाचारसुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-65728460863637487722013-04-02T16:58:20.644+05:302013-04-02T16:58:20.644+05:30ठीक है, डॉक्टर साहब!!ठीक है, डॉक्टर साहब!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-58423621753346255232013-04-02T12:32:04.347+05:302013-04-02T12:32:04.347+05:30---देवेन्द्र जी ने लिखा...मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत...---देवेन्द्र जी ने लिखा...मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।।...सचमुच समस्त शिष्टाचार का मूल है..अहिंसा का भी ....<br />--- पता नहीं यहाँ पानी कहाँ से आगया ...सदगुणों की श्रेणियां नहीं हुआ करतीं सुज्ञ जी...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-47847584613175044552013-03-31T14:39:16.995+05:302013-03-31T14:39:16.995+05:30सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भ...सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।<br />सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।।<br /><br />..शिष्टाचार का मूल मंत्र तो इस वैदिक सूक्ति में ही छुपा हुआ है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-8148649794477364422013-03-31T13:13:10.682+05:302013-03-31T13:13:10.682+05:30सहमत हूं आपकी बात से ... पर आज भी उन्ही अंशों को प...सहमत हूं आपकी बात से ... पर आज भी उन्ही अंशों को पाश्चात्य ने संभाला हुआ है ... जबकि हमने अपनी गंगोत्री को भी व्यर्थ जाने दिया है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-37758281161106183392013-03-31T07:49:28.676+05:302013-03-31T07:49:28.676+05:30@ कठिनाईयां तो असंख्य आएगी -
कठिनाईयाँ ही आयेंगी भ...@ कठिनाईयां तो असंख्य आएगी -<br />कठिनाईयाँ ही आयेंगी भैया जी, नोबेल पुलित्ज़र तो आने से रहे :)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-44715669226043563352013-03-31T01:14:33.990+05:302013-03-31T01:14:33.990+05:30एक बार फिर से देखिए, सम्बंध है पानी!! इन सभी सद्गु...एक बार फिर से देखिए, सम्बंध है पानी!! इन सभी सद्गुणों को जल के विभिन्न स्वरूपों से उपमित कर उसकी श्रेणी को स्पष्ट किया गया है. गंगोत्री अर्थात मूल स्रोत जो अहिंसा है वह इन सभी गुणों का स्रोत है. नैतिकताएँ व सदाचरण जल-धाराएँ है और शिष्टाचार बोतलबंद पानी. शिष्टाचार मेँ मात्र सभ्य व्यवहार और वर्तन ही अभिप्रेत है नैतिकताएँ व सदाचरण उससे उपर की पायदान पर है क्योंकि नैतिकता में शुभ विचार और पर-कल्याण भाव है और सदाचरण में सत्य विवेक पूर्ण आचरण का भाव. इन दोनो धाराओं का स्रोत है अहिंसा.क्योंकि यह सारे शुभ आचरण अहिंसा को सुदृढ करने के लिए ही होते है. अहिंसा, मनसा,वयसा,कर्मणा तीनो प्रकार से परिपूर्ण है. मानसिक चोट पहूँचाना, वचनो से चोट पहूँचाना,शारिरिक चोट पहूँचाना या प्राण हरना हिंसा है प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, हिंसा प्रेरणा या उत्तेजन सभी इसमें समाहित है. किसी का भी न्यूनाधिक अहित न करना न सोचना अहिंसा है.और इस अहिंसा को निभाने के मात्र मार्ग है नैतिकता और सदाचरण. नैतिकता का सम्बंध मानसिक शुभ विचार से है और सदाचरण का सम्बंध शुभ व्यवहार या आचरण से है.<br /><br />यहाँ कृत्रिम शिष्टाचार का आशय नहीं है, यहाँ मानवीय गुण शिष्टाचार की ही बात हो रही है और पश्चिम के शिष्टाचार को श्रेष्टतम कहकर सराहा जाता है और यह भी कहा जाता है कि मानवीय गुणों में शिष्टाचार ही सब कुछ है. यहाँ मात्र उसी को स्पष्ट किया जा रहा है कि इस सभ्य आचार (शिष्टाचार) से भी बडा मानवीय गुण है अहिंसा. और वही मूल स्रोत है.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-8911961364416380832013-03-30T23:55:08.869+05:302013-03-30T23:55:08.869+05:30बिहारी जी ..हिंसा का अर्थ क्या है ....मारदालना नही...बिहारी जी ..हिंसा का अर्थ क्या है ....मारदालना नहीं अपितु किसी को भी कैसी भी हानि पहुंचाना है .... अहिंसा परमो धर्म या मा हिंसी ...से यही अर्थ है कि किसी अन्य को हानि न पहुंचाना ....<br />--- सभी तप, त्याग, स्वाध्याय , यम-नियम आदि में स्वयं को कष्ट होता है ...तप का अर्थ ही स्वयं कष्ट उठाना होता है ...अतः यदि आमरण अनशन हिंसा है तो ये सब तप आदि भी हिंसा होंगे और गान्धीजी पूरे हिंसक ..डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-28567204376804420012013-03-30T23:48:20.005+05:302013-03-30T23:48:20.005+05:30-----अहिंसा का सदाचरण व नैतिकता की गंगोत्री से क्य...-----अहिंसा का सदाचरण व नैतिकता की गंगोत्री से क्या सम्बन्ध ...वह स्वयं नैतिकता का एक अंग है ...<br />-----शिष्टाचार छोटी बोतल क्यों है वह तो नैतिकता व सदाचरण का अन्य रूप है .....शिष्टाचार व अहिंसा में भी परस्पर कोई सम्बन्ध नहीं है..<br />----- शब्दों व अर्थ-प्रतीति व भावों का कोई तालमेल नहीं है इस उक्ति में .... सब कुछ अस्पष्ट है ...सिर्फ अहिंसा को बिना व्याख्या महिमा-मंडित करने हेतु निरर्थक शब्दों का अतार्किक प्रयोग है..<br />---इतना बड़ा आलेख ..अहिंसा व शिष्टाचार के सम्बन्ध को स्पष्ट करने में सफल नहीं है सिवाय इसके कि अहिंसा भारतीय भाव है और अब भारत में भी भूल चले हैं...<br />--- वस्तुतः सुज्ञ जी कहना चाहते हैं कि विदेशी शिष्टाचार ..कृत्रिम शिष्टाचार है जैसा प्रवीण पांडे जी ने कमेन्ट से स्पष्ट किया है ...पर शिष्टाचार न तो देशी होता है न विदेशी न भारतीय न पाश्चात्य वह तो स्वयं में एक मानवीय गुण है.... डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-58109981684764267292013-03-30T21:58:41.080+05:302013-03-30T21:58:41.080+05:30सुज्ञ जी! सरल शब्दों में बहुत ही गहरी और सच्ची बात...सुज्ञ जी! सरल शब्दों में बहुत ही गहरी और सच्ची बात कही आपने.. वैसे भी जब कोई राष्ट्र या समाज जब अपनी सभ्यता, नैतिकता, संस्कृति या गौरव का 'भूतकाल' में उल्लेख करता है, तभी मान लेना चाहिए कि उन सभी मूल्यों का पतन हो चुका है.. हमारे साथ भी यही लागू होता है..<br />और अहिंसा को तो हमने शीर्षासन करती हुई हिंसा का पर्याय बना दिया है.. अहिंसक आंदोलन के लिए आमरण अनशन क्या स्वयं को मार डालने जैसी हिंसा की घोषणा नहीं???चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-64355358636812648352013-03-30T17:25:30.025+05:302013-03-30T17:25:30.025+05:30सार्थकता लिये सशक्त प्रस्तुति
आभारसार्थकता लिये सशक्त प्रस्तुति<br /><br />आभारसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-46131313544568652212013-03-30T07:45:26.597+05:302013-03-30T07:45:26.597+05:30हमारा ज्ञान आयातित हो पुनः पहुँचता है तब हम उसकी क...हमारा ज्ञान आयातित हो पुनः पहुँचता है तब हम उसकी क़द्र करते हैं . नैतिकता सिर्फ किताबों में लिखने पढने के लिए ही न हो !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-44544729343909634122013-03-29T22:25:05.346+05:302013-03-29T22:25:05.346+05:30कृत्रिम शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है, विचारों क...कृत्रिम शिष्टाचार से अधिक महत्वपूर्ण है, विचारों का शिष्ट होना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-47897280898219070432013-03-29T18:18:28.790+05:302013-03-29T18:18:28.790+05:30सार्थक आलेख !!सार्थक आलेख !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-17185447959496512542013-03-29T11:38:29.395+05:302013-03-29T11:38:29.395+05:30सुन्दर लेख. अपने देश में वर्तमान के बदलते सामजिक प...सुन्दर लेख. अपने देश में वर्तमान के बदलते सामजिक परिवेश में आपके इंगित बिन्दुओं पर सचमुच ध्यान देने की ज़रुरत है.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-19537459168131487422013-03-29T09:26:20.140+05:302013-03-29T09:26:20.140+05:30aapki posts se bahut aasha bandhati hai...
"...aapki posts se bahut aasha bandhati hai...<br /><br />"manasa vaacha karmana" vaale rakesh ji ke bare me kisee ko koi khabar hai ? ve theek hain ?Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-29391299851833352562013-03-29T07:46:15.294+05:302013-03-29T07:46:15.294+05:30बहुत बहुत आभार!!बहुत बहुत आभार!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-56988646761438485892013-03-28T22:28:53.313+05:302013-03-28T22:28:53.313+05:30सटीक सार्थक प्रस्तुति,,,,,,
Recent post: होली की ह...<b>सटीक सार्थक प्रस्तुति,,,,,,</b><br /><b>Recent post</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/03/blog-post_26.html#links" rel="nofollow">: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-33887617434514868022013-03-28T22:08:47.936+05:302013-03-28T22:08:47.936+05:30सारगर्भित... हम बस अपनी जड़ों से जुड़ें रहें , बह...सारगर्भित... हम बस अपनी जड़ों से जुड़ें रहें , बहुत समृद्ध हैं हर तरह से ... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-76822914415138236732013-03-28T21:25:43.685+05:302013-03-28T21:25:43.685+05:30विचारपरक आलेख
सार्थक सच
बधाई विचारपरक आलेख<br />सार्थक सच <br />बधाई Jyoti kharehttps://www.blogger.com/profile/02842512464516567466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-65490063919564007432013-03-28T21:00:30.881+05:302013-03-28T21:00:30.881+05:30'अहिंसा गंगोत्री है, सदाचरण और नैतिक आचरण की।&...'अहिंसा गंगोत्री है, सदाचरण और नैतिक आचरण की।'सुन्दर अभिव्यक्ति<br />latest post<a href="http://vichar-anubhuti.blogspot.in/2013/03/blog-post_28.html#links" rel="nofollow"> हिन्दू आराध्यों की आलोचना</a><br />latest post<a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2013/03/blog-post_25.html#links" rel="nofollow"> धर्म क्या है ?</a><br />कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-91458729657100465372013-03-28T19:52:35.563+05:302013-03-28T19:52:35.563+05:30हमसे अधिक नैतिक हो गये हैं पश्चिमी देशों के लोग. ह...हमसे अधिक नैतिक हो गये हैं पश्चिमी देशों के लोग. हम तो दिखावा करने वाले रह गये हैं.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-61093873250853935372013-03-28T19:14:21.897+05:302013-03-28T19:14:21.897+05:30'अहिंसा गंगोत्री है, सदाचरण और नैतिक आचरण की।&...'अहिंसा गंगोत्री है, सदाचरण और नैतिक आचरण की।' बिल्कुल सही कहा सुज्ञ जी। शिष्टाचार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, उस पर आपने लेख में प्रकाश डाला है। आपकी साहित्यिकङ नैतिक और वैचारिक रूचि को प्रणाम।साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदेhttps://www.blogger.com/profile/18249451298672443313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-89272496491757602252013-03-28T17:30:19.355+05:302013-03-28T17:30:19.355+05:30सार्थक आलेख....
आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें!...सार्थक आलेख.... <br />आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-35033817488875207372013-03-28T16:15:12.126+05:302013-03-28T16:15:12.126+05:30सटीक और सार्थक आलेख ..हमारी ही चीज़ को हमसे ही लेक...सटीक और सार्थक आलेख ..हमारी ही चीज़ को हमसे ही लेकर वह जरा पोलिश करके हमें ही बेच देते हैं. और हम बड़े गर्व से उसे ले लेते हैं.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-6352857236776349732013-03-28T15:09:57.594+05:302013-03-28T15:09:57.594+05:30बहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,अहिंसा परमो धर...बहुत ही बेहतरीन और सार्थक प्रस्तुति,अहिंसा परमो धर्म.Rajendra kumarhttps://www.blogger.com/profile/00010996779605572611noreply@blogger.com