tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post8096835878078922216..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: नास्तिकता (धर्म- द्वेष) के कारणसुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-31707588373408736522010-11-11T10:15:14.156+05:302010-11-11T10:15:14.156+05:30विलासी और पाखंडी धर्माभासी स्वयं नास्तिक ही होते ह...विलासी और पाखंडी धर्माभासी स्वयं नास्तिक ही होते है, उनसे तो कपट धर्म फैल्ता है।<br />जिज्ञासुओं को उपदेशक के चरित्र की पहले ही गवेषणा कर देनी चाहिए।<br /><br />स्थापित समाज को विखण्डित कर कुंठित नव समाज के प्रेरक (वर्ग-द्वेषी)भी यह नास्तिकता फ़ैलाते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-69622095327224621132010-11-11T07:53:32.153+05:302010-11-11T07:53:32.153+05:30विलासी और पाखंडी धर्माचार्यों द्वारा जब जिज्ञासुओं...विलासी और पाखंडी धर्माचार्यों द्वारा जब जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान नहीं हो पाता तब भी नास्तिकता वुजूद में आती है ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-19109385771777894642010-11-11T05:35:33.762+05:302010-11-11T05:35:33.762+05:30सुंदर परिभाषा।सुंदर परिभाषा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-65181449373429186522010-11-10T23:34:20.666+05:302010-11-10T23:34:20.666+05:30बहुत अच्छा लिखा है...बहुत अच्छा लिखा है...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-53618015790234139612010-11-10T19:59:29.212+05:302010-11-10T19:59:29.212+05:30भाई जब भी मेरी कोई जरूरत पूरी नही होती मै नास्तिक ...भाई जब भी मेरी कोई जरूरत पूरी नही होती मै नास्तिक हो जाता हु<br />और पूरी होने पर आस्तिक<br />कर्म को धर्म मानने वाले ही असली आस्तिक हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-82131439800454665292010-11-10T19:37:26.937+05:302010-11-10T19:37:26.937+05:30सुज्ञ जी अपने जो बेहतरीन शुरुवात की उसे गौरव जी ने...सुज्ञ जी अपने जो बेहतरीन शुरुवात की उसे गौरव जी ने अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से और भी रोचक बनाया. आप दोनों को धन्यवादVICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-61697356826144315002010-11-10T19:13:35.619+05:302010-11-10T19:13:35.619+05:30okzokzSaleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-83197268415913904442010-11-10T18:51:18.636+05:302010-11-10T18:51:18.636+05:30कामनैव मूलमिति प्राप्तम् ।कामनैव मूलमिति प्राप्तम् ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-61609527447830117992010-11-10T18:30:44.985+05:302010-11-10T18:30:44.985+05:30very nice post
@ sugya ji aur gaurav ji ko bahut ...very nice post <br />@ sugya ji aur gaurav ji ko bahut dhanyavaadABHISHEK MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/08988588441157737049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-67083288258030857722010-11-10T16:41:35.653+05:302010-11-10T16:41:35.653+05:30गौरव जी,
विनम्रता तो कोई आपसे सीखे।
सच भी है, विन...गौरव जी,<br />विनम्रता तो कोई आपसे सीखे।<br /><br />सच भी है, विनयवान के लिये ज्ञान का झरना कभी नहिं सूखता।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-90388542335097034392010-11-10T16:35:31.731+05:302010-11-10T16:35:31.731+05:30@सुज्ञ जी
हाँ .... मैं इसी जगह थोडा सुधार चाहता था...@सुज्ञ जी<br />हाँ .... मैं इसी जगह थोडा सुधार चाहता था .... अभी इसी लाइन को देख कर सोच रहा था की कुछ कमी है [मेरे अनुसार]<br />और आपने भी एक दम सही शब्दों को चुना है ..आभारी हूँ :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-11751591196955629652010-11-10T16:31:28.066+05:302010-11-10T16:31:28.066+05:30नास्तिकता के कारण सही बताए हैं. सहमतनास्तिकता के कारण सही बताए हैं. सहमतS.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-67988062940515011602010-11-10T16:31:19.576+05:302010-11-10T16:31:19.576+05:30गौरव जी,
एक दम परफेक्ट है यह विज्ञापन दृष्टांत!!
...गौरव जी,<br />एक दम परफेक्ट है यह विज्ञापन दृष्टांत!! <br /><br />"कम दामों" = गहराई से चिंतन मनन किये बिना।<br /><br />भी हो सकता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-82005810369071445392010-11-10T16:24:22.925+05:302010-11-10T16:24:22.925+05:30@सुज्ञ जी
आप विनम्र हैं , धन्यवाद आपका ... आपने ...@सुज्ञ जी <br />आप विनम्र हैं , धन्यवाद आपका ... आपने बोलने का मौका दिया <br />[पिछले कमेन्ट में "विज्ञान" की जगह "कथित विज्ञान" पढ़ें]एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-70949526818316783712010-11-10T16:19:04.016+05:302010-11-10T16:19:04.016+05:30एक दूसरा कारण भी है सुज्ञ जी
आपने वो विज्ञापन देखा...एक दूसरा कारण भी है सुज्ञ जी<br />आपने वो विज्ञापन देखा है<br /><br /><b>जब वही सफेदी वही चमक .. कम दामों में मिले... तो तो कोई ये क्यों ले .... वो ना लें </b><br /><br />शब्दार्थ"<br />"यहाँ सफेदी और चमक" = आधुनिक और प्रगतिशील कहलाने का मौका<br />"कम दामों" = बिना पढ़े और दोनों पक्षों को बिना समझे<br />"ये" = इश्वर में विश्वास<br />"वो" = विज्ञान में विश्वास [पूरा का पूरा ]एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-79255888879793780282010-11-10T16:16:42.627+05:302010-11-10T16:16:42.627+05:30@जाकिर भाई
ये "जींस" तो फिर भी नयी खोज ह...@जाकिर भाई<br />ये "जींस" तो फिर भी नयी खोज होगी एक पुरानी खोज है "सत्संग" और "इश्वर चर्चा" <br /><br />"सत्संग" और "इश्वर चर्चा" प्रोटीन्स की कमी से भी "नास्तिकता" की बीमारी हो जाती है :))<br /><br />और आजकल ये सभी बच्चों को बचपन में पर्याप्त मात्रा में नहीं पिलाया जाता है इससे नास्तिकता में तेजी से वृद्दि हुयी हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-46135253057026475872010-11-10T16:13:37.358+05:302010-11-10T16:13:37.358+05:30गौरव जी,
स्वागत है।गौरव जी,<br /><br />स्वागत है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-85710104862306832542010-11-10T16:09:15.203+05:302010-11-10T16:09:15.203+05:30आपकी पोस्ट एक दम परफेक्ट है [हमेशा की तरह ] पर ये ...आपकी पोस्ट एक दम परफेक्ट है [हमेशा की तरह ] पर ये टोपिक अपने भी फेवरेट है हम भी कुछ तो बोलेंगे :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-44716694488335258142010-11-10T16:09:00.913+05:302010-11-10T16:09:00.913+05:30गौरव जी,
"स्वेच्छा" ही है।:)
खुशी हुई आप...गौरव जी,<br />"स्वेच्छा" ही है।:)<br />खुशी हुई आप बहुत ध्यान देते है, मित्र जो है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-47667676080235523192010-11-10T15:55:41.244+05:302010-11-10T15:55:41.244+05:30सुज्ञ जी ,
ये "स्वेछा" की जगह "स्वे...सुज्ञ जी ,<br />ये "स्वेछा" की जगह "स्वेच्छा" तो नहीं है ?एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-6122267699718819642010-11-10T15:49:55.124+05:302010-11-10T15:49:55.124+05:30ज़ाकिर साहब,
आपने सही कहा, भौतिक रूप से जींस निर्ध...ज़ाकिर साहब,<br /><br />आपने सही कहा, भौतिक रूप से जींस निर्धारित करता है, लेकिन जींस को कौन निर्देशित करता है, कदाचित जींस को कर्म-सत्ता ही एक्ट करती है। अर्थार्त कर्म, जिंस व डी एन ए के माध्यम से व्यवहार में आते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-19777590330711528232010-11-10T15:38:58.432+05:302010-11-10T15:38:58.432+05:30सुज्ञ जी, मुझे लगता है कि यह हमारे जींस से द्वारा ...सुज्ञ जी, मुझे लगता है कि यह हमारे जींस से द्वारा निर्धारित होती है। जिस व्यक्ति में जैसे जींस डेवलप हो जाऍं, वह व्यक्ति चाहे अनचाहे वैसा ही बन जाता है।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-63444195306258410362010-11-10T14:06:21.759+05:302010-11-10T14:06:21.759+05:30bahut pate ki baat...saargarbhit lekh.bahut pate ki baat...saargarbhit lekh.arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-13526042228409324642010-11-10T12:44:45.488+05:302010-11-10T12:44:45.488+05:30नास्तिकता परिभाषित ........नास्तिकता परिभाषित ........Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com