tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post7708131824220634246..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: धुंध में उगता अहिंसा का सूरजसुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-40502985176820604642013-05-29T17:30:41.011+05:302013-05-29T17:30:41.011+05:30सीमा जी,
बहुत बहुत आभार!!सीमा जी,<br />बहुत बहुत आभार!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-58410704513511636432013-05-29T17:29:58.069+05:302013-05-29T17:29:58.069+05:30इन्द्रीय विषयों को वश में करते ही सब कुछ हमारे बस ...इन्द्रीय विषयों को वश में करते ही सब कुछ हमारे बस में हो जाता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-62630685767053754992013-05-29T17:28:49.533+05:302013-05-29T17:28:49.533+05:30मन सहज प्रवाह ने अधीन रहता है पर वही मनोबल बन जाय ...मन सहज प्रवाह ने अधीन रहता है पर वही मनोबल बन जाय तो कुछ भी कठिन नहीं…सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-40789134962093230582013-05-29T17:26:15.539+05:302013-05-29T17:26:15.539+05:30दुखद यह है कि मानसिक हिंसा, वचन हिंसा में समाहित ह...दुखद यह है कि मानसिक हिंसा, वचन हिंसा में समाहित होकर वर्तन व्यवहार में आने का मार्ग खोज ही लेती है।<br /><br />आपने सत्य कहा, और इसीलिए तो प्रतिक्रमण है, जब मन अपने शुद्ध शान्त स्वरूप से अतिक्रमण कर देता है तो उसे पुनः संयम मार्ग पर लाने का उपाय ही प्रतिक्रमण है। इसी चिंतन-मनन से दिनों दिन दोषों में न्य़ुनता आती है, मानसिक दोष, गलतियां मन ही मन स्वीकार करने से दोषों के प्रति गाढ आसक्ति में निरन्तर कमी आती है और यही आत्मिक विकास है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-7119675258558756182013-05-29T17:15:30.969+05:302013-05-29T17:15:30.969+05:30मन की हिंसा, प्रोत्साहन का काम करे हमारे विचारों क...मन की हिंसा, प्रोत्साहन का काम करे हमारे विचारों को हिंसक बनाने में, या किसी दूसरे हिंसक को प्रोत्साहित करे कि इसमें बुरा क्या है। निश्चित ही खराब कारण बनती है। राह तो बहुत कठिन अवश्य है, पर जैसे अन्य कठिनाईयां निभा ले जाते है, इस कठिनाई से भी उपर उठने का पुरूषार्थ करना ही होगा।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-90278833887919038992013-05-29T12:42:18.244+05:302013-05-29T12:42:18.244+05:30शांति के सारे रहस्य अहिंसा के पास हैं। अहिंसा से ब...शांति के सारे रहस्य अहिंसा के पास हैं। अहिंसा से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं है, शस्त्र भी नहीं है। अक्षरश: सही कहा ... सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-78370235497411412792013-05-29T11:54:37.051+05:302013-05-29T11:54:37.051+05:30बहुत सरल है, सर जी। हाँ यदि हम प्रतिक्रिया में अहि...बहुत सरल है, सर जी। हाँ यदि हम प्रतिक्रिया में अहिंसा सथापित करना चाहें तो यह सचमुच कठिन ही नहीं पूर्णत: असंभव है। कयोंकि हम केवल क्रिया को ही नियंत्रित कर सकते हैं। प्रतिक्रिया तो सहज़, स्वाभाविक और क्रिया के साथ ही उतपन्न और पूर्व निश्चित हो जाती है।<br />क्रिया में अहिंसा पालन के लिएहमें बस अहिंसा के वास्तविक स्वरूप को समझकर अपनी पाँचों इंद्रियों को हर पल चैतन्य रखने की आवशयकता होती है। शेष कोई कठिनाई इस मार्ग में कभी नहीं आती।अजय त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/06546645458064441709noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-55474312196601821722013-05-28T23:23:19.559+05:302013-05-28T23:23:19.559+05:30अहिंसा के मार्ग पर चलना सबके बस की बात नही,,
Rece...<b>अहिंसा के मार्ग पर चलना सबके बस की बात नही,,</b><br /><br /><b>Recent post</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/05/blog-post_28.html#links" rel="nofollow">: ओ प्यारी लली,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-25501507022633429792013-05-28T22:04:06.848+05:302013-05-28T22:04:06.848+05:30प्रवीण भाई ने कहा ठीक ही है ...
अहिंसा मार्ग पर चल...प्रवीण भाई ने कहा ठीक ही है ...<br />अहिंसा मार्ग पर चलना आसान नहीं भाई ...<br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-85937455673118719062013-05-28T20:50:25.342+05:302013-05-28T20:50:25.342+05:30‘त्याग धर्म है; भोग धर्म नहीं है. संयम धर्म है; अस...‘त्याग धर्म है; भोग धर्म नहीं है. संयम धर्म है; असंयम धर्म नहीं है. जीवन का मर्म ही यही है परंतु आजकल यदि प्रत्यक्ष रूप से कोई हिंसा करने में असमर्थ है तो परोक्ष रूप से यानि मानसिक हिंसा से कोई बच नही पाता.<br /><br />प्रतिक्रमण के समय दिन भर की इतनी मानसिक हिंसा सामने आ खडी होती है कि स्वयं पर ही शर्म आने लगती है. यद्यपि कुछ न्य़ुनता दिनों दिन आती जा रही है पर है तो सही, इसे स्वीकार करने में कोई हिचक नही है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-82292490815423542702013-05-28T19:17:13.501+05:302013-05-28T19:17:13.501+05:30धन्यवाद, सर जी!धन्यवाद, सर जी!अजय त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/06546645458064441709noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-61283216343623608432013-05-28T19:07:38.758+05:302013-05-28T19:07:38.758+05:30शान्ति की राह बहुत कठिन है, अपने मन से हिंसा करनी ...शान्ति की राह बहुत कठिन है, अपने मन से हिंसा करनी पड़ जाती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-53583898314884340742013-05-28T18:59:24.235+05:302013-05-28T18:59:24.235+05:30स्वागत!! अजय जी!! :)स्वागत!! अजय जी!! :)सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-11304579345885013402013-05-28T18:54:50.417+05:302013-05-28T18:54:50.417+05:30हिंसा और अहिंसा को थोड़ा व्यापक रूप में देखा जाय त...हिंसा और अहिंसा को थोड़ा व्यापक रूप में देखा जाय तो हिंसा केवल क्रिया होती है प्रतिक्रिया हिंसा नहीं कहलती(अहिंसा भी नहीं कहा है) <br />अजय त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/06546645458064441709noreply@blogger.com