tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post725059709584243016..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: आओ, धर्म धर्म खेलें !!सुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-41813236938881529152010-06-24T15:41:37.413+05:302010-06-24T15:41:37.413+05:30सभी धर्मो के लिए हमारा दिल विशाल होना चाहिये। तो य...सभी धर्मो के लिए हमारा दिल विशाल होना चाहिये। तो यह मान सकते है, सर्वधर्म सद्भाव (द्वेषरहित). लेकिन सर्वधर्म सम्भाव या सर्वधर्म समान कदापि नहिं।।Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-90221782923352384822010-06-22T01:09:45.665+05:302010-06-22T01:09:45.665+05:30@voice of the people,
सही कहा,सर्वधर्म सद्भाव,सभी...@voice of the people,<br /><br />सही कहा,सर्वधर्म सद्भाव,सभी धर्मो के साथ अच्छा भाव रखें,दूसरों के धर्म की इज्ज़त यदि सामने चल कर न सकें तो अपमान ना करें।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-24033343036869640792010-06-22T00:28:49.681+05:302010-06-22T00:28:49.681+05:30हंसराज में आपके विचारों से सहमत हूँ. सर्वधर्म सद्भ...हंसराज में आपके विचारों से सहमत हूँ. सर्वधर्म सद्भाव (द्वेषरहित). यही में भी मानता हूँ, अपने धर्म को मनो और दूसरों के धर्म की इज्ज़त करो. हर इन्सान के लिए उसका धर्म महान हुआ करता है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-79539960428870167872010-06-21T12:15:19.863+05:302010-06-21T12:15:19.863+05:30ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रि...ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-45695102564004305382010-06-21T12:14:54.039+05:302010-06-21T12:14:54.039+05:30बात सही है!बात सही है!संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-79669523294243726712010-06-21T06:09:24.955+05:302010-06-21T06:09:24.955+05:30अब तो जागिए!
सवेरा हो गया है!अब तो जागिए!<br />सवेरा हो गया है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-68397763527356304502010-06-21T05:55:25.026+05:302010-06-21T05:55:25.026+05:30चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके
बलिहारी जाऊ...चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके <br />बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके <br /><br />सदा बहार सजीला है रसूल मेरा <br />हो लाखपीर रसीला है रसूल मेरा <br />जहे जमाल छबीला है रसूल मेरा <br />रहीने इश्क रंगीला है रसूल मेरा <br /><br />चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके <br />बलिहारी जाऊँ मै तो अपने रसूल के सदके<br /><br />किसी की बिगड़ी बनाना है ब्याह कर लेंगे<br />बुझा चिराग जलाना है ब्याह कर लेंगे<br />किसी का रूप सुहाना है ब्याह कर लेंगे<br />किसी के पास खजाना है ब्याह कर लेंगे<br /><br />चमन में होने दो बुलबुल को फूल के सदके <br />बलिहारीजाऊँ मै तो अपने रसूल के सदकेसच का बोलबाला, झूठ का मुँह कालाhttps://www.blogger.com/profile/15332158219978204141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-42680269101373291912010-06-18T05:49:02.616+05:302010-06-18T05:49:02.616+05:30बात सही है!बात सही है!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-14361532247246422022010-06-16T12:54:04.440+05:302010-06-16T12:54:04.440+05:30@तिवारी जी,
सही निष्कर्ष है आपका,
"आचरण की ...@तिवारी जी,<br /><br />सही निष्कर्ष है आपका,<br /><br />"आचरण की सभ्यता के ये तथाकथित पुजारी,<br />ईश्वरत्व के संवाहक होने का दावा तो बढ़-चढ़ कर <br />करते हैं; परन्तु आचरण में वह दीखता क्यों नहीं?"<br /> <br />इन्होने ही सामान्य जन को वास्तविक दर्शन तक पहुँचने नहीं दिया।<br />इनके चरित्र को देख वास्तविक दर्शन पर शंका उपस्थित होती है।<br />इन पाखण्डियों की पहचान कर,इन्हे कैसे विलग किया जा सकता है,यही सोचने की बात है। उपाय सुझाएँ।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-51179169684441778672010-06-16T08:41:44.670+05:302010-06-16T08:41:44.670+05:30हम बातें तो बड़ी-बड़ी, धर्म और दर्शन की करते हैं;
...हम बातें तो बड़ी-बड़ी, धर्म और दर्शन की करते हैं;<br />"ईशावाष्य इदं सर्वं" का उद्घोष और जगत में,<br />"खुदा की नूर" देखने की वकालत खूब करते हैं.<br />परन्तु जन्मे-अजन्मे बच्चे में, वृद्धों और मजबूरों में,<br />अपंग - अपाहिजों में, उसी 'ईश्वरत्व' और <br />'खुदा के नूर' को देख क्यों नहीं पाते ?<br /><br />हम इतनी सी बात समझ क्यों नहीं पाते कि<br />कृति के बिना आकर्षक शब्दों का मूल्य कुछ भी नहीं.<br />शब्दों का मूल्य उसके अर्थ और आचरण में सन्निहित है.<br />आचरण की सभ्यता के ये तथाकथित पुजारी,<br />ईश्वरत्व के संवाहक होने का दावा तो बढ़-चढ़ कर <br />करते हैं; परन्तु आचरण में वह दीखता क्यों नहीं? <br />और पग-पग पर फरिश्तों का गुणवान करने वाले, <br />आज शैतान के तलवे चाटते नजर क्यों आरहें है?<br /> <br /> ये महानुभाव पुष्प-दीप तो सरस्वती चित्र पर चढाते हैं<br />परन्तु हंस के नीर - क्षीर विवेक की जगह,<br />'लक्ष्मी-वाहन' के, आदर्श को क्यों अपनाते हैं?<br />और मजा यह कि वक्त आने पर साफ़ मुकर जातें हैं.<br />इनकी नैतिकता धन में, आदर्श धन में, ईमान धन में,<br />और राष्ट्रीयता, मानवता, सब धन में, बह जाती है. <br />अरे ! ये तो धन-पशु हैं, और कुछ तो उनसे भी बीस हैं;<br />पूरे नर-पिशाच हैं- ये अपने भाई-बन्धु, राष्ट्रीयता तक,<br />नहीं पहचानते, इस बात की हमें बड़ी टीस है.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-24770339503795455452010-06-15T21:42:16.681+05:302010-06-15T21:42:16.681+05:30विचारणीय...विचारणीय...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.com