tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post4152347996815113557..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: सही निशानासुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-26692220820396144942012-01-05T17:25:27.179+05:302012-01-05T17:25:27.179+05:30आपको सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|आपको सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-72324282618143501552012-01-02T10:41:01.542+05:302012-01-02T10:41:01.542+05:30बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक,आभार के साथ नये
वर्ष क...बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक,आभार के साथ नये<br />वर्ष की शुभकामनायें।dinesh aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/18216221541613478194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-82185077966464923662012-01-01T20:51:12.114+05:302012-01-01T20:51:12.114+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
आपको और परिवारजनों को नववर...बहुत सुन्दर प्रस्तुति|<br /><br />आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-72985377269922538112011-12-31T13:29:49.614+05:302011-12-31T13:29:49.614+05:30सुज्ञ जी, आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए प...सुज्ञ जी, आपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य <br />की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष <br />२०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.<br /><br />मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन <br />में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.<br /><br />नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-46628008174096004312011-12-09T13:36:31.438+05:302011-12-09T13:36:31.438+05:30कला मन में होती है;हाथ और रंग तो माध्यम मात्र हैं।...कला मन में होती है;हाथ और रंग तो माध्यम मात्र हैं। चीज़ों को उसकी सम्पूर्णता में देखना ही गुरूता है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-22329242294813544242011-12-08T23:44:35.646+05:302011-12-08T23:44:35.646+05:30बहुत दिनों से इस ब्लॉग पर आपकी नई पोस्ट नही आई है....बहुत दिनों से इस ब्लॉग पर आपकी नई पोस्ट नही आई है.<br />आपके सद् लेखन का इंतजार है.<br />मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर भी आपका इंतजार है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-54961080759560443662011-11-18T19:21:13.961+05:302011-11-18T19:21:13.961+05:30very meaningful post!very meaningful post!Tv100https://www.blogger.com/profile/18382152690723183394noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-14998471798511116312011-11-07T15:59:20.994+05:302011-11-07T15:59:20.994+05:30कृपया पधारें। http://poetry-kavita.blogspot.com/...कृपया पधारें। http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.htmlHumanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-90533584599970711802011-11-05T09:03:28.238+05:302011-11-05T09:03:28.238+05:30बहुत सुन्दर बोध कथा....
विषम परिस्थितियों का धैर्...बहुत सुन्दर बोध कथा.... <br />विषम परिस्थितियों का धैर्य से ही सकारात्मक समाधान प्राप्त किया जा सकता है...<br />सुन्दर शिक्षा... सादर...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-8181234921941835272011-11-04T22:27:15.427+05:302011-11-04T22:27:15.427+05:30•आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...कल शनिवार (५-११-११...•आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...कल शनिवार (५-११-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ......कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें .....!!!धन्यवादAnupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-77985508305751008272011-10-28T12:53:10.064+05:302011-10-28T12:53:10.064+05:30सुज्ञ भैया - दीपावली की शुभकामनाएं, और आज भैयादूज ...सुज्ञ भैया - दीपावली की शुभकामनाएं, और आज भैयादूज के अवसर पर बहन का चरणस्पर्श और प्रणाम स्वीकारें | अपनी बहन पर हमेशा आशीर्वाद बनाये रखें :) |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-47711413309990233552011-10-26T16:25:33.858+05:302011-10-26T16:25:33.858+05:30सभी को दीपावली की शुभ कामनाएं! तमसोमा ज्योतिर्गमय!...सभी को दीपावली की शुभ कामनाएं! तमसोमा ज्योतिर्गमय!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-55092866811281002322011-10-26T12:02:53.614+05:302011-10-26T12:02:53.614+05:30बहुत अच्छा सकारात्मक सन्देश लिए प्रेरक कहानी,बधाई ...बहुत अच्छा सकारात्मक सन्देश लिए प्रेरक कहानी,बधाई !<br />कथा का बोध पढना ही अपने आप में विवेक को बल देता है<br /><br />आपको और आपके परिवार को दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ !Humanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-87184329808761348062011-10-26T09:08:53.355+05:302011-10-26T09:08:53.355+05:30सुज्ञ जी,आपके व आपके समस्त परिवार के स्वास्थ्य, सु...सुज्ञ जी,आपके व आपके समस्त परिवार के स्वास्थ्य, सुख समृद्धि की मंगलकामना करता हूँ.दीपावली के पावन पर्व की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.<br />दुआ करता हूँ कि आपके सुन्दर सद लेखन से ब्लॉग जगत हमेशा हमेशा आलोकित रहे.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-55794241286167594722011-10-21T10:22:13.164+05:302011-10-21T10:22:13.164+05:30हमारी 'अनपढ़' किन्तु 'विदुषी' माँ ...हमारी 'अनपढ़' किन्तु 'विदुषी' माँ कहा करती थी कि पेट भर जाए मगर आँख नहीं भारती :)JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-57566292375333599562011-10-20T12:47:37.258+05:302011-10-20T12:47:37.258+05:30नयी पोस्ट का इन्तजार है .....नयी पोस्ट का इन्तजार है .....एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-42008201512473857672011-10-19T16:17:45.361+05:302011-10-19T16:17:45.361+05:30बहुत बढि़या ।बहुत बढि़या ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-82801445406415430412011-10-06T22:41:26.686+05:302011-10-06T22:41:26.686+05:30हम अपने निजी अनुभव से भी जानते हैं की कोई भी ज्ञान...हम अपने निजी अनुभव से भी जानते हैं की कोई भी ज्ञान गुरु / गुर्वों के माध्यम से ग्रहण करले, १०0 में से १०० नंबर भी प्रति वर्ष ले कर जो कोई भी उस काल में उच्चतम पदाई उपलब्ध हो तो वो काफी नहीं होता, क्यूंकि जब कोई भी ग्रहण की हुई विद्या को उदरपूर्ति हेरू उपयोग में लाता है तो स्कूल/ कॉलेज से प्राप्त ज्ञान संभव है काफी नहीं होता... हर व्यक्ति जीवन भर कुछ न कुछ नया सीखता चला जाता है, और कोई भी नहीं कह सकता किसी समय भी कि उसे सब कुछ आ गया है...और केवल मूर्ख/ अज्ञानी ही ऐसा कहेगा, क्यूंकि कृष्ण भी कह गए कि हर गलती का कारण अज्ञान ही होता है, और केवल वो ही, विष्णु के अष्टम अवतार / योगेश्वर भी होने के कारण, परम सत्य, अमृत त्रिपुरारी शिव को जानते हैं (सत्यम शिवम् सुन्दरम! और 'क्षत्रिय', धनुर्धर राम और ज्ञानी 'ब्रह्मण' रावण दोनों ही शिव के परम भक्त थे, किन्तु दोनों में श्रेष्ट सीतापति राम ही थे, दशानन नहीं!)...<br />और यद्यपि बहुरूपी कृष्ण को (जो हमारी गैलेक्सी के प्रतिरूप हैं) पृथ्वी पर तीनों लोक में पाने को शेष कुछ नहीं रह गया है, फिर भी वो हर क्षण कर्म किये जा रहे हैं (गैलेक्सी को घुमा रहे हैं, जिसके भीतर हमारा सौर -मंडल भी अवस्थित है, जिसका राजा धनुर्धर सूर्य अथवा राम हैं, और हम भी हैं!), क्यूंकि वो रुके तो सब सृष्टि रुक जायेगी और नष्ट हो जायेगी!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-82421299972366378032011-10-06T10:12:32.778+05:302011-10-06T10:12:32.778+05:30व्यक्ति का अहम् उसे संपूर्णता को नहीं देखने देता। ...व्यक्ति का अहम् उसे संपूर्णता को नहीं देखने देता। शिष्य ने गुरु से जो शिक्षा ली वह अपूर्ण थी...क्योंकि अभी उसमें समर्पण नहीं उमगा था...लेकिन अपने अहम् वश वह शिष्य गुरु को छोड़ गया...लेकिन विकट परिस्थिति में उसे अपनी सीमाओं का ध्यान आया और वह पुन: गुरु के पास गया...गुरु ने उसे पुन: राह दिखाई...व्यक्ति का अहम् ही है जो उसे संपूर्ण को देखने में बाधा बन जाता है।<br /><br />एक अच्छी बोध कथा प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद!!!मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-30166625848419768662011-10-05T13:27:59.075+05:302011-10-05T13:27:59.075+05:30bahut hi sundar prerak aur gyanvardhak prastuti ke...bahut hi sundar prerak aur gyanvardhak prastuti ke liye aabhar!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-91905369713451078722011-10-01T13:46:45.242+05:302011-10-01T13:46:45.242+05:30अत्यंत प्रेरक और ज्ञानवर्धक कथा.
उत्तम टिप्पणियों ...अत्यंत प्रेरक और ज्ञानवर्धक कथा.<br />उत्तम टिप्पणियों के लिए टिप्पणीकारों का भी बहुत-बहुत धन्यवाद.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-615806232191532912011-09-30T05:08:54.705+05:302011-09-30T05:08:54.705+05:30हिन्दू मान्यतानुसार, भगवान् की दृष्टि में सभी भले-...हिन्दू मान्यतानुसार, भगवान् की दृष्टि में सभी भले-बुरे, गोरे-काले, लम्बे-छोटे, आदि आदि सभी बराबर हैं! जिस कारण यह भी कहा जाता है कि भगवान् सभी को एक ही आँख से देखता है, अर्थात वो भी 'संयोगवश' आपकी कहानी के राजा समान काना है... <br />और 'संयोगवश' हरि विष्णु / कृष्ण के सुदर्शन चक्र समान, चक्र-वात / हरिकेन के केंद्र को भी 'आँख' कहा जाता है :)... <br /><br />किन्तु मानव भगवान् का प्रतिरूप होते हुए भी 'दृष्टि दोष' के कारण (दो बहिर्मुखी आँखों में समन्वय न होने से, और 'अंतर्मन की आँख', अथवा 'शिव की तीसरी आँख' बंद होने के कारण), भटक जाता है... जो काल के कलियुग की ओर निरंतर प्रगतिशील होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति में मानसिक द्वन्द को, 'महाभारत', अथवा परोपकारी देवता और स्वार्थी राक्षसों के बीच निरंतर चलते युद्ध समान, बढ़ावा देता है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-54226015521447584462011-09-30T00:33:39.385+05:302011-09-30T00:33:39.385+05:30सुज्ञ जी!
पहले भी कहा है कि यहाँ आकर जो ज्ञान प्रा...सुज्ञ जी!<br />पहले भी कहा है कि यहाँ आकर जो ज्ञान प्राप्त होता है जो शान्ति मिलाती है वह बस आपकी पोस्ट के साथ साथ विद्वज्जनों की टिप्पणियों को पढकर ही जाना जा सकता है!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-6015333051998387032011-09-29T21:10:19.358+05:302011-09-29T21:10:19.358+05:30प्रेरणात्मक विचार लिये उत्तम प्रस्तुति|
नवरात्र...प्रेरणात्मक विचार लिये उत्तम प्रस्तुति|<br />नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-23799628033221478082011-09-29T20:44:02.832+05:302011-09-29T20:44:02.832+05:30aapki is kahani se hame b gyan mila. sach kaha aag...aapki is kahani se hame b gyan mila. sach kaha aagya hone tak vinay ke bhaav se na ruk pata.<br /><br />2. kaushal ke sath buddhi aur vivek ka hona b bahut mahatvpoorn hai.<br /><br />3.raja ka chitr banana sakratmakata darshata hai jisme vivek ka aur buddhi ka pryog hua to samasya ka samaadhan bhi ho gaya.<br /><br />aabhar.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.com