tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post4053234785072758679..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: 'क्रोध की गठरी' और 'द्वेष की गांठ'सुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-3571069873952588282010-11-13T21:33:15.346+05:302010-11-13T21:33:15.346+05:30..
मुझे गद्दारी, विश्वासघात करने वालों के प्रति द.....<br /><br />मुझे गद्दारी, विश्वासघात करने वालों के प्रति द्वेष रहता है. <br />कैसे करूँ अपना सिर भार-मुक्त? <br /><br />..प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-19138252926059572742010-11-02T13:42:19.699+05:302010-11-02T13:42:19.699+05:30.
प्रेरक पंक्तियां।
..<br /><br />प्रेरक पंक्तियां। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-60807149375922330012010-11-02T12:37:31.186+05:302010-11-02T12:37:31.186+05:30@सुज्ञ जी
बिलकुल सही कहा आपने , दरअसल मानव का मूल...@सुज्ञ जी<br />बिलकुल सही कहा आपने , दरअसल मानव का मूल स्वभाव ही है सुख की ओर दौड़ना<br />वो हर वस्तु [सजीव या निर्जीव ] से सुख की अभिलाषा रखता है जो की मूल रूप से गलत नहीं है पर गलत हो जाता है जब वो उचित और सुख को एक करना भूल जाता है [सुख क्षणिक हो या स्थाई उचित होना चाहिए ]<br />इस पर एक पोस्ट बनाई थी सही समय नहीं मिल पाया प्रकाशित करने काएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-53091081434207324402010-11-02T12:30:39.746+05:302010-11-02T12:30:39.746+05:30जिन सुखों के लिये दौडते है, वे सुख तो क्षणिक आभास ...जिन सुखों के लिये दौडते है, वे सुख तो क्षणिक आभास देकर विलुप्त हो जाते है,<br /><br />पढेंसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-53173483271316525432010-11-02T12:28:35.196+05:302010-11-02T12:28:35.196+05:30गौरव जी,
सत्य वचन, यह जीवन या जगत एक स्वप्न संसार...गौरव जी,<br /><br />सत्य वचन, यह जीवन या जगत एक स्वप्न संसार ही है। जिन सुखों के लिये दौडतष है, क्षणिक आभास देकर विलुप्त हो जाते है, सुखों की दौड खत्म ही नहिं होती। हमें वस्तुतः शास्वत सुख चाहिए। पर एक शहद बिंदु से सुख में हम बार बार क्यों खुश हो जाते है।<br />बिलकुल स्वप्न की तरह।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-78602396345496312562010-11-02T12:12:41.723+05:302010-11-02T12:12:41.723+05:30@सुज्ञ जी
सब संभव है मानव बेसिकली ब्रम्ह ही है ...@सुज्ञ जी<br />सब संभव है मानव बेसिकली ब्रम्ह ही है क्योंकि वह भी स्वप्न में अपनी सृष्टि रचता है , ये जीवन बेसिकली स्वप्न ही है जो उस परम ब्रम्ह द्वारा देखा या रचा जाता है<br />सब संभव हैएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-1073215984457432992010-11-02T12:09:11.743+05:302010-11-02T12:09:11.743+05:30गौरव जी,
इतना कहां सरल है बंधन मुक्त होना,बडा ही द...गौरव जी,<br />इतना कहां सरल है बंधन मुक्त होना,बडा ही दुष्कर है आस्क्तियों को त्याग पाना। राग-द्वेष पूर्ण त्याग तो सम्भव ही नहिं, उनमें वैचारिक न्यूनता ला पाएं तो भी बडी जीत होगी।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-12327573788419171972010-11-02T11:54:37.239+05:302010-11-02T11:54:37.239+05:30@सुज्ञ जी
आप ज्ञानियों की संगति में रहा तो शीघ्र ह...@सुज्ञ जी<br />आप ज्ञानियों की संगति में रहा तो शीघ्र ही सब बन्धनों से मुक्त हो जाऊंगा , इस सारगर्भित और प्रभावी शिक्षा के लिए आभारएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-84121661968518971882010-11-01T23:04:08.279+05:302010-11-01T23:04:08.279+05:30सुज्ञ जी आपकी सोंच उत्तम है. काश इसको लोग समझके अप...सुज्ञ जी आपकी सोंच उत्तम है. काश इसको लोग समझके अपनी ज़िंदगी मैं अपना लें <a href="http://aqyouth.blogspot.com/2010/11/blog-post.html" rel="nofollow">आज आवश्यकता है यह विचार करने की के हम हैं कौन?</a>S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-7279985199790496022010-11-01T16:20:17.601+05:302010-11-01T16:20:17.601+05:30दुःख की बात तब है जब लोग किसी निर्दोष से भी द्वेष ...दुःख की बात तब है जब लोग किसी निर्दोष से भी द्वेष भावना पाल लेते हैं .Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-88244928951008175762010-11-01T15:33:38.274+05:302010-11-01T15:33:38.274+05:30गौरव जी,
राग और द्वेष ही क्रोध का मूल कारण है, मनो...गौरव जी,<br />राग और द्वेष ही क्रोध का मूल कारण है, मनोज्ञ पर राग और अमनोज्ञ पर द्वेष।<br />जिस क्षण क्रोध का अवसर हो, हम मनन के लिये एक क्षण दें तो समाधान सम्भव है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-57421810481807348432010-11-01T15:15:46.570+05:302010-11-01T15:15:46.570+05:30@सुज्ञ जी
बेहद सुन्दर और सारगर्भित
आज क्रोध के उप...@सुज्ञ जी<br />बेहद सुन्दर और सारगर्भित<br /><br />आज क्रोध के उपचार बारे में ही ढूंढ रहा था, आपकी बात तो समझ में आ रही है लेकिन ये तो द्वेष रुपी गाँठ बाँधने वालों के बारे में हुआ <br /><br />मान लीजिये मैं द्वेष नहीं रखता फिर भी क्रोध तो आ ही सकता है ना , उस स्थिति में क्या होना चाहिए ?:)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-74225234370918247612010-11-01T14:45:40.376+05:302010-11-01T14:45:40.376+05:30बहुत ही प्यारी पंक्तियॉं हैं, राह दिखाती हुईं, जी...बहुत ही प्यारी पंक्तियॉं हैं, राह दिखाती हुईं, जीवन आलोकित करती हुईं।<br /><br />आभार।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">मन की गति से चलें...</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">बूझो मेरे भाई, वृक्ष पहेली आई।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-75314975209046444392010-11-01T13:30:31.870+05:302010-11-01T13:30:31.870+05:30बहुत सुंदर और प्रेरक पंक्तियां। आभार!बहुत सुंदर और प्रेरक पंक्तियां। आभार!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-51044414979108564472010-11-01T13:27:05.965+05:302010-11-01T13:27:05.965+05:30सर भार-मुक्त हो जाता... बहुत बढ़िया...सर भार-मुक्त हो जाता... बहुत बढ़िया...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-72319657034717840372010-11-01T13:11:28.169+05:302010-11-01T13:11:28.169+05:30Bahut acchha bichar dhanyabadBahut acchha bichar dhanyabadसूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.com