tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post3790886432090006897..comments2023-10-21T14:43:56.493+05:30Comments on सुज्ञ: घाघ कलुषित हृदय, क्रूरता संग सहभोज सहवास करने लगे है।सुज्ञhttp://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-2880094537650767122020-03-04T02:52:36.519+05:302020-03-04T02:52:36.519+05:30Nice sir Nice sir Sandeep Kumarhttps://www.blogger.com/profile/05605631372360552352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-57974446413723398692010-09-20T16:59:17.211+05:302010-09-20T16:59:17.211+05:30हमारे कोमल मनोभावों को हिंसा व क्रूरता से दूर रखना...हमारे कोमल मनोभावों को हिंसा व क्रूरता से दूर रखना आवश्यक ह.<br />But today we are forgetting this fact. <br />Thanks also for visit my blog and suggest me.omhttps://www.blogger.com/profile/04488947342913211806noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-13563882316210637822010-09-19T20:14:29.362+05:302010-09-19T20:14:29.362+05:30@हम, 'यह सब तो बडी बडी ज्ञान की बातें', &#...@हम, 'यह सब तो बडी बडी ज्ञान की बातें', 'बाबाओं के प्रवचन', 'सत्संग' आदि शब्दों से मखौल उडाकर अपनी विद्वता बचाने का प्रयास करते है।<br /><br />@कलयुग के नाम पर, या ये सब आध्यात्मिक बातें है पालन मुश्किल है, कहकर हम सिरे से खारिज नहिं कर सकते।<br /><br />सत्य वचन ... पूरी पोस्ट बेहतरीन है .. आनंद आ रहा था पढने में .. मेरा भी अनुरोध शामिल कर लीजियेगा अमित भाई और प्रतुल जी के अनुरोध में .. इस पोस्ट को विस्तार देने का प्रयास कीजियेगा <br /><br />और हाँ.... पिछली चर्चा का अंतिम भाग मेरे ब्लॉग पर आपके विचारों का इन्तजार कर रहा है .... अगर नहीं पढ़ा हो तो पढियेगा जरूर <br /><br />http://my2010ideas.blogspot.com/2010/09/blog-post_19.htmlएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-20300155259694810592010-09-19T12:40:21.933+05:302010-09-19T12:40:21.933+05:30अच्छे सोचने की शुरुआत
.......पोस्ट बेहद पसन्द आईअच्छे सोचने की शुरुआत <br />.......पोस्ट बेहद पसन्द आईसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-53285606600565874852010-09-19T12:39:43.077+05:302010-09-19T12:39:43.077+05:30आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से ज...आप का ह्र्दय से बहुत बहुत<br />धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिएसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-76812305111699813882010-09-16T10:41:10.618+05:302010-09-16T10:41:10.618+05:30सुग्यजी आपके सुन्दर ज्ञान से सभी आनंदित होतें है, ...सुग्यजी आपके सुन्दर ज्ञान से सभी आनंदित होतें है, मेरे ब्लॉग पर आपकी "सत्य" के स्वरुप पर डाला गया प्रकाश काफी ज्ञान वर्धक था. पर पता नहीं कुछ जल्दी ही समाप्त कर दिया आपने. मेरा और प्रतुलजी का भी अनुरोध है की इस चर्चा को थोड़ा और विस्तार दे . आपके ज्ञान के आकांक्षी है हम.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-17408433740093134302010-09-16T07:11:15.305+05:302010-09-16T07:11:15.305+05:30सदाचरण को 'अच्छा' मानने की प्रवृति हमारी म...सदाचरण को 'अच्छा' मानने की प्रवृति हमारी मानसिकता में बनी रहे यह भी हमारी जीत है।<br />....यह जीत तो नहीं हाँ जीत की राह में बढ़ते कदम मान सकते है।<br />...सद विचारों से ओतप्रोत उम्दा पोस्ट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-91001077202075499902010-09-09T16:31:21.523+05:302010-09-09T16:31:21.523+05:30.
Beautiful thinking. !
Nice post indeed.
..<br />Beautiful thinking. !<br /><br />Nice post indeed.<br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-1686822449465543812010-09-09T16:27:07.635+05:302010-09-09T16:27:07.635+05:30@ हमारे कोमल मनोभावों को हिंसा व क्रूरता से दूर रख...@ हमारे कोमल मनोभावों को हिंसा व क्रूरता से दूर रखना आवश्यक है, देर से व शनै शनै ही सही हृदय की शुभ मानसिकता अंततः क्रियान्वन में उतरती ही है।...........पोस्ट बेहद पसन्द आईAmit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-11091101024626007762010-09-05T17:10:33.635+05:302010-09-05T17:10:33.635+05:30सच कहा ... अच्छे सोचने की शुरुआत ... अच्छा बनने की...सच कहा ... अच्छे सोचने की शुरुआत ... अच्छा बनने की दृष्टि में पहला और स्पष्ट कदम है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-83033268833117885412010-09-04T19:17:04.771+05:302010-09-04T19:17:04.771+05:30सुंदर विचार हैं ......पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा.सुंदर विचार हैं ......पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा.वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-78726726054023048812010-09-04T15:31:16.472+05:302010-09-04T15:31:16.472+05:30हँसराज जी, ये वो युग है जहाँ कुरीतियाँ, दुष्प्रवृ्...हँसराज जी, ये वो युग है जहाँ कुरीतियाँ, दुष्प्रवृ्तियाँ सदगुणों का रूप अख्तियार कर चुकी हैं..उनकी जगह लेने लगी हैं. और सदगुणों को मानवी कमियाँ समझा जाने लगा है....<br />बहरहाल पोस्ट बेहद पसन्द आई....अलख जगाए रखिए!!!Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-84774223518260325942010-09-04T09:38:54.137+05:302010-09-04T09:38:54.137+05:30रचना बहुत अच्छी लगी।
हिन्दी, भाषा के रूप में एक ...रचना बहुत अच्छी लगी।<br /><br /><b> हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है। </b><br /><br /><a href="http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com/2010/09/6.html" rel="nofollow"> स्वच्छंदतावाद और काव्य प्रयोजन , राजभाषा हिन्दी पर, पधारें</a>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-22936616559077856552010-09-03T22:11:44.930+05:302010-09-03T22:11:44.930+05:30बहुत ही बिचार्नीय बिषय है मनुष्य में सद्गुण होना अ...बहुत ही बिचार्नीय बिषय है मनुष्य में सद्गुण होना अवश्यक है कभी- कभी हमारी शाहिशुनता ,उदारता ही हमारे लिए घटक हो जाती है हमें अपने आचार बिचार को त्यागना नहीं लेकिन मध्य कल में कही हमने कायरता को उदारता तो नाही कहा मेरे मन में यह बिषय आया इस नाते लिख दिया हमारा संश्कर भी बचा रहे और हम शठे शाठ्यम समाचरेत की भी आवस्यकता भी है .इतनी अच्छी पोस्ट क़े लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-27209160510888969112010-09-03T19:54:02.662+05:302010-09-03T19:54:02.662+05:30सदाचरण को 'अच्छा' मानने की प्रवृति हमारी म...<b>सदाचरण को 'अच्छा' मानने की प्रवृति हमारी मानसिकता में बनी रहे यह भी हमारी जीत है।</b><br /><br />बहुत ही बढ़िया पोस्टMahakhttps://www.blogger.com/profile/11844015265293418272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-28810268432434362172010-09-03T18:45:12.214+05:302010-09-03T18:45:12.214+05:30चिंतनीय विचार!!चिंतनीय विचार!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7546054676355588576.post-26377182793581959902010-09-03T17:02:32.625+05:302010-09-03T17:02:32.625+05:30"सदाचरण को 'अच्छा' मानने की प्रवृति ह..."सदाचरण को 'अच्छा' मानने की प्रवृति हमारी मानसिकता में बनी रहे यह भी हमारी जीत है"...........<br /><br />bahut hi achhi post !bahut achhi sikh!HBMediahttps://www.blogger.com/profile/04747085073618372025noreply@blogger.com