(चारों और फ़ैली आशा, निराशा, विषाद, श्रद्धा-अश्रद्धा के बीच एक जीवट भरी अभिव्यक्ति)
आत्मश्रद्धा से भर जाऊँ, प्रभुवर ऐसी भक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
कईं जन्मों के कृतकर्म ही, आज उदय में आये है।
कष्टो का कुछ पार नहीं, मुझ पर सारे मंडराए है।
डिगे न मन मेरा समता से, चरणो में अनुरक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
कायिक दर्द भले बढ जाय, किन्तु मुझ में क्षोभ न हो।
रोम रोम पीड़ित हो मेरा, किंचित मन विक्षोभ न हो।
दीन-भाव नहीं आवे मन में, ऐसी शुभ अभिव्यक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
दुरूह वेदना भले सताए, जीवट अपना ना छोडूँ।
जीवन की अन्तिम सांसो तक, अपनी समता ना छोडूँ।
रोने से ना कष्ट मिटे, यह पावन चिंतन शक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
अर्चना चावजी की मधुर आवाज में सुनें यह प्रार्थना…
आत्मश्रद्धा से भर जाऊँ, प्रभुवर ऐसी भक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
कईं जन्मों के कृतकर्म ही, आज उदय में आये है।
कष्टो का कुछ पार नहीं, मुझ पर सारे मंडराए है।
डिगे न मन मेरा समता से, चरणो में अनुरक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
कायिक दर्द भले बढ जाय, किन्तु मुझ में क्षोभ न हो।
रोम रोम पीड़ित हो मेरा, किंचित मन विक्षोभ न हो।
दीन-भाव नहीं आवे मन में, ऐसी शुभ अभिव्यक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
दुरूह वेदना भले सताए, जीवट अपना ना छोडूँ।
जीवन की अन्तिम सांसो तक, अपनी समता ना छोडूँ।
रोने से ना कष्ट मिटे, यह पावन चिंतन शक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
अर्चना चावजी की मधुर आवाज में सुनें यह प्रार्थना…
shradha to hamari aap par hai hi......aise hi 'suman' vachan pushpit-pallavit karte rahen...
जवाब देंहटाएंto bhakti bhi karne lag jaoonga........
pranam.
बहुत प्यारी याचना है करुणानिधान से ...हार्दिक शुभकामनाये !
जवाब देंहटाएंहे परमात्मा सबको शक्ति दे
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण कविता
बहुत उम्दा,सुज्ञ जी.
जवाब देंहटाएंदुरूह वेदना भले सताए, जीवट अपना ना छोडूँ।
जीवन की अन्तिम सांसो तक, अपनी समता ना छोडूँ।
रोने से ना कष्ट मिटे, यह पावन चिंतन शक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो.
समता जिसने पा ली,उसने ईश्वर को पा लिया.
रोने से ना कष्ट मिटे, यह पावन चिंतन शक्ति दो।
जवाब देंहटाएंसमभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
बहुत ही गहन विचार लिए हैं यह शब्द... सुंदर सच्चे अर्थपूर्ण भाव ....
प्रार्थना के भाव बहुत सुन्दर हैं.
जवाब देंहटाएंआपकी इस तरह की अभिव्यक्ति हमारी श्रद्धा को और गहन कर देती है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
शुभकामनाये
बहुत सुन्दर मंशा व्यक्त की है. हर व्यक्ति की यही कामना होना चाहिये.
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय प्रार्थना!
जवाब देंहटाएंआपकी प्रार्थना, हम सबकी भी.
जवाब देंहटाएंवंदना के इन स्वरों में मौन स्वर मेरा मिला लो.
जवाब देंहटाएंहाथ जोड़े मैं खड़ा हूँ.
मैं भी हूँ यहाँ पर :)
जवाब देंहटाएंमुझे भी प्रार्थना में शामिल किया जाए :)
मैं कोई मस्ती नहीं करूँगा , शोर भी नहीं मचाऊंगा :)
जवाब देंहटाएंलेकिन सलाह देने से बाज नहीं आऊंगा :)
जवाब देंहटाएं@सुज्ञ जी
दूसरे ब्लोग्स[?] पर आपकी टिप्पणियों के चक्कर में पूरे के पूरे लेख[?] पढने पड़ जाते हैं :) क्योंकि आपकी टिप्पणी के बाद हर लेख[?] की कीमत बढ़ जाती है .. आप समझ रहे हैं ना ? :)
"आपकी टिप्पणी के बाद लेख[?] की कीमत बढ़ जाती है" :)
bahut sunder rachna ....
जवाब देंहटाएंpahali baar aana huva aapke blog par...
सुमन जी,
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका!!
ग्लोबल जी,
जवाब देंहटाएंआप ऐसा मानते है,हमारा सौभाग्य है। लोगों तक प्रेम सौहार्द से सार्थक बात पहूँच जाय। बस
लोग स्वेच्छा इस प्रार्थना सभा में सम्मलित हों,
जवाब देंहटाएंइसलिये हमने संकेत टिप्पणी आमंत्रण औपचारिकता नहीं की। :)
एक बहुत ही सुन्दर प्रार्थना है । जरूरी है कि हर पाठक , ब्लॉगर , टिप्पणीकार इस प्रार्थना को अपनी प्रतिदिन की प्रार्थना में शामिल कर ले। तभी जगत का कल्याण संभव है । वैसे सुज्ञ जी , आपमें तो ये सारे गुण पहले से ही विद्यमान हैं , फिर भी प्रार्थना का नियम बनाए रखिये। हम भी Global जी के साथ ही इस प्रार्थना को दोहरा रहे हैं आपके साथ ।
जवाब देंहटाएंदिव्या जी,
जवाब देंहटाएंअच्छे विचारों का तो बार बार मनन जरूरी है। प्रतिदिन वही प्रार्थनाएँ, हमारे मन में समता भाव को बनाए रखती है।
बेशक आप अपने मनोबल को पोषण दे सकती है।
प्रार्थना का हर शब्द सुन्दर भाव से सजा हुआ है..
जवाब देंहटाएंउच्चतर ऊर्जा की ओर बढ़ते कदम।
जवाब देंहटाएंसुज्ञ जी,कायिक वेदना के उपरांत भी क्षोभ नहीं है इन दिनों मेरे मन में.. आपकी रचना ने तो यदि कोई क्षोभ रहा भी हो तो उसे भी मिटा दिया है!!
जवाब देंहटाएंकायिक दर्द भले बढ जाय, किन्तु मुझ में क्षोभ न हो।
जवाब देंहटाएंरोम रोम पीड़ित हो मेरा, किंचित मन विक्षोभ न हो।
दीन-भाव नहीं आवे मन में, ऐसी शुभ अभिव्यक्ति दो।
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
akinchan bhaw se ki gai prarthna
दीन-भाव नहीं आवे मन में, ऐसी शुभ अभिव्यक्ति दो।
जवाब देंहटाएंसमभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
प्रार्थना को बार बार दोहराने से अद्भुत उर्जा मिलती है..उसी उर्जा को लेकर जा रहे हैं...आभार्
श्रद्धा, प्रेम और भक्ति से भरी हृदयग्राही पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंबड़ी खूबसूरत आराधना के ज़रिये प्रभु को पुकारा है आपने,वो ज़रूर सुनेगा आपकी.
जवाब देंहटाएंhttp://my2010ideas.blogspot.com/2011/04/vs.html
जवाब देंहटाएंत्रिभुवन जननायक मर्यादा पुरुषोतम अखिल ब्रह्मांड चूडामणि श्री राघवेन्द्र सरकार
जवाब देंहटाएंके जन्मदिन की हार्दिक बधाई हो !!
समभावों से कष्ट सहूँ बस, मुझ में ऐसी शक्ति दो॥
जवाब देंहटाएं..बहुत सुंदर।
..समभाव की शक्ति प्राप्त करने के लिए कई जन्म भले लग जाय पर प्रार्थना करते रहना चाहिए। शायद किसी जन्म में प्रभु सुन लें।
इस प्रार्थना में मुझे भी शामिल मानिए.
जवाब देंहटाएंआपको रामनवमी की भी कोटि कोटि शुभकामनाएँ.